कार्टून चिड़िया | Episode New | Rano Chidiya Wala Cartoon | 2024 Cartoon

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कार्टून चिड़िया | Episode New | Rano Chidiya Wala Cartoon |
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00:00गुर्या का बुढ़ा पिता उसकी बिमार मा को ना बचा सका
00:04गुर्या की मा मर गई थी
00:06गुर्या बेटी मैं कुछ ना कर सका
00:10मैं ना बचा सका तुम्हारी मा को
00:13मुझे माफ कर देना
00:15पिता जी जो हो सकता था आपने किया
00:19साहुकार से पैसे लेकर मा का इलाज करवाया
00:23मगर जाने वालों को कौन रोक सकता है
00:27गुर्या का पिता जंगल से लकडी काट कर लाता
00:30और उसी से अपने घर को जलाता था
00:33मगर अब उसमें इतनी जान नहीं बची थी
00:36के अब लकडी काट सके
00:38उसकी बेटी गुर्या बहुत ही सुन्दर और समझदार थी
00:42एक दिन जब गुर्या का पिता लकडी काटने जा रहा होता है
00:46तो उसकी बेटी उससे कहती है
00:49पिता जी मैंने आपसे केई बार कहा है
00:52अब आपके शरीर में इतनी ताकत नहीं है
00:55कि आप लकडी काट सको
00:57आपको आराम की ज़रूरत है
00:59आप आराम क्यों नहीं करते हो
01:01बेटी मैं आराम कैसे कर सकता हूँ
01:04तुम्हारी शादी भी करनी है
01:06और उस साहुकार कवे के पैसे भी तो लुदाने है
01:10फिर गुर्या के पिता जी अपना कुलहाडा लेकर
01:14जंगल में चले जाते हैं
01:16घने जंगल में जाकर
01:18गुर्या का पिता लकडी काटने लगता है
01:20उसे थोड़ी तूर कोई आवाज सुनाई देती है
01:24गुर्या का पिता कुलाडा रहकर
01:26उस आवाज की दिशा में जाता है
01:29तुम उल्लू होगे धूसरों के लिए
01:33मेरे लिए तो तुम बड़ी आँखों वाला कमजोर पक्षी ही है
01:37सुन्ले बूरे, मेरी बात धिहाँ से सुनले
01:40ये थैली तुम मुझे दे दो
01:42वर्ना
01:43वर्ना
01:44क्या वर्ना
01:46चोरी हम दोनों ने की है
01:47और ये सिके भी आधे आधे होंगे
01:50इसी बात पर डिना में लड़ाई शुरू हो जाती है
01:54और वो दोनों उल्लू और चौर कवा एक दूसरे को माने लगते हैं
01:59वो दोनों लड़ते रहते हैं
02:01और एक दूसरे को जान से मार देते हैं
02:05गुर्या का पिता
02:06जो छुपा हुआ ये सब देख रहा था
02:09आहिस्था आहिस्था वहां आ जाता है
02:12इस थैली में ऐसा क्या है
02:14जो इन दोनों ने एक दूसरे की जान ले ली
02:17गुर्या का पिता उस थैली को खोलता है
02:20तो हैरान हो जाता है
02:21उस थैली में सोने के सिक्के थे
02:25गुर्या का पिता अपना कुलहाडा उढ़ाता है
02:28और वो सोने के सिक्कों वाली थैली लेकर
02:30अपने घर की दरफ चलता है
02:33घर जाकर वो सारी बात अपनी बेटी को बताता है
02:38बेटी, अब मुझे समझ नहीं आ रही
02:40कि मैं ये सोने के सिक्कों की थैली का क्या करूँ
02:44पिता जी, हम इंतजार करते हैं
02:46शायद जिसकी ये थैली हो वो ढूनता हुआ आ जाए
02:50हाँ बेटी, हमें इंतजार करना होगा
02:53और सबसे ये बात छुपा कर रखनी होगी
02:56वर्ना सारा जंगल ही इस थैली का मालिक बन जाएगा
03:01दूसरे दिन गुढ्या का पिता फिट से जंगल जा रहा था
03:05के रास्ते में उसे साहुकार, गोरी कवी और कालु कवा रोख लेती हैं
03:10हाँ भी बुढ़े चुड़े, कब लुटाएगा मेरा कर्ज
03:15अगर कर्ज के पैसे नहीं है तो अपना घर ही हमें दे दो
03:19किरप्या करें मुझे हरी पर रहम करें
03:22मैं कुछ दिनों तक आपका कर्ज लुटा दूँगा
03:25मुझे काम पर जाने दे
03:27अगर मैं काम पर नहीं गया
03:29तो मेरी बेटी खाना कहां से खाएगी
03:32बुढ़े चुड़े, कल तक का समय है तुम्हारे पास
03:35या हमारे पैसे हमें वापिस कर दो
03:37या अपनी बेटी को मेरे घर काम पर भेज देना
03:41गुढ्या का पिता चला जाता है
03:44थोड़ी देर बाद कभूतर जंगल में इलान करने आता है
03:48सुनो, सुनो, सुनो
03:50राजा जी की तरफ से इलान है
03:52राणी की एक सोनी के सिकों से भरी हुई थैली छोरी हो गी है
03:57वो थैली जिसे भी मिले राजा जी के महल में पहुंचा दे
04:01शुक्रिया
04:02गुढ्या ये इलान चलकर खुश हो जाती है
04:05और बेसबरी से अपने पिता का इंतिजार करने लगती है
04:10शाम हो जाती है
04:12गुढ्या के पिता ने कुछ लकड़ियां काट ली थी
04:15वो लकड़ियां बेच कर गुढ्या का पिता अपनी बेटी के लिए खाना लेता है
04:20और अपने घड की दरफ चलता है
04:23पिता जी पिता जी दुपहर को एक पक्षी इलान करा था
04:27के जो थैली हमें मिली है वो राजा की रानी की छोरी हुई है
04:31हमें वो थैली लेकर राजा जी के पास जाना चाहिए
04:35शायद वो उल्लू और कववा ये सोने के सिक्कों से भरी थैली
04:39रानी की ही छोरी कर के लाई थे
04:42तब ही उनके दरवाजे पर दस्तक होती है
04:45गुढ्या दरवाजा खोलती है
04:49तुम तुम बेटी हो मानो चुड़े की
04:52जी अंकल आप अंदर आ जाये
04:55कालु कवा घर के अंदर आ जाता है
04:59मुझे पता है तुम घरी पक्षी जो पैसे लेकर खर्च कर लेते हो
05:04तो वापिस करना बहुत मुश्किल हो जाता है
05:07हा, एक रास्ता है तमहारे पास
05:10अगर पैसे नहीं है तो
05:12बताये बताये साहूकार जी
05:14क्या रास्ता है
05:16तुम अपनी बेटी की शादि मुझसे कर दो
05:19ये सुंकर गुढ्या और उसका पिता
05:21हैरान हो जाते हैं
05:23आप, आप ये बात कैसे कर सकते हैं
05:26आप मेरे पिता की उम्र के हैं
05:28साहुकार जी
05:30मुझे इतना रुस्वा ना करें
05:32मैं जानता हूँ
05:34मैंने आपका कर्स देना है
05:36मैं लुटा दूँगा चैसे भी हुआ
05:38मैं बताओंगी
05:40मैं आपकी बतनी गोरी ताय को बताओंगी
05:42ना ना
05:44मैं तो मजा कर रहा था
05:46अच्छा अच्छा
05:48अब मैं चलता हूँ
05:50मेरे पैसे मुझे जरूर लुटा देना
05:52कवा वहाँ से चला जाता है
05:54घरीबा बेटी बैठकर
05:56अपने घरीबी पर रोने लगते हैं
05:58हो जाती है
06:00गुरिया अपने पिता से कहती है
06:02पिता जी
06:04पिता जी मैं अभी आपके साथ जाओंगी
06:06वो थैलीलेकर राजजी के महल में
06:08हाँ बेटी
06:10एक बार सोने के सिक्के देखलो
06:12पूरे है न
06:14पिता जी मैंने थैली
06:16अच्छे से देखली है
06:18फिर गुरिया और उसका पिता
06:20सिक्कों वाली थैली लेकर
06:22राजा के महल की दरफ चल देते हैं
06:24हमने राजा से मिलना है
06:26कोई चीज लुटानी है
06:28राजा जी को हमने
06:30आप यहां रुकें
06:32मैं अभी राजा जी से पूछ कर आता हूँ
06:34फिर कभूतर राजा जी के पास जाता है
06:36राजा जी
06:38राजा जी एक बुढ़ा चुड़ा और उसकी बेटी
06:40आप से मिलना चाहते है
06:42उन्हें मेरे पास ले आओ
06:44कभूतर जाता है
06:46और गुर्या और उसके पिता को
06:48महल के अंदर ले जाता है
06:52राजा जी और राणी जी
06:54ये आपकी सोने के सिक्कों के थैली
06:56हम आपको वापिस करने आए है
06:58राजा और राणी
07:00वो सोने के सिक्कों से भरी थैली
07:02देखकर खुश हो जाते हैं
07:04छोटी चुड़िया
07:06ये आपको कहां से मिली है
07:08राजा जी मैं जंगल में
07:10लकडियां काट रहा था
07:12कि एक उल्लू और कव़ा
07:14तोटा राजा आधे सिक्के
07:16आप इन दोनों बाबेटी को दे दे
07:18इस जमाने में इन जैसे
07:20इमांदार पक्षी बहुत कम है
07:22महरानी हम हरीब जरूर है
07:24मगर लालची नहीं
07:26आप ये ले ले
07:28हम जंगल से लकडियां काट कर
07:30अपना गुजारा कर लेते है
07:32मगर लालची नहीं
07:34आप ये ले ले
07:36हम जंगल से लकडियां काट कर अपना गुजारा कर लेते है
07:38नहीं बेटी
07:40ये आपका इनाम है
07:42फिर तोटा राजा आधे सिक्के
07:44गुढिया को दे दे देता है
07:46और वो बाब बेटी
07:48खुशी खुशी अपने घर
07:50अब तो एक काम जरूर होगा
07:52या तुम्हारी बेटी
07:54मेरे साथ काम पर जाएगी
07:56या फिर मैं अपना कर्ज
07:58वापिस ले कर ही जाओंगी
08:00आज कालू कववा चुप था
08:02शायद वो डराह था
08:04के गुढिया गोरी को
08:06शादी वाली बात न बदा दे
08:08गोरी ताई आप चिंता न करें
08:10आप घर जाये
08:12मैं अभी थोड़ी दिर बाद
08:14आपके पैसे आपके घर ले कर आती हूँ
08:16ये सुनकर गोरी बोलती है
08:18कहां से लाऊगी
08:20मुझे उल्लू मत बनाओ
08:22आप जाये
08:24अगर हमने आज आपके पैसे न लुटाए
08:26तो कल आप हमारे घर पर कबजा कर लेना
08:28फिर गुरिया कुछ सिक्के लेकर
08:30सुनार के पास जाती है
08:32और बेच कर पैसे ले लेती है
08:34और गोरी और कालू का कर्स चुका देती है
08:36ये रहे आपके पैसे
08:38मैंने कहा था न
08:40कि हम आपका कर्स आज चुका देंगे
08:42गुरिया अपने घर चली जाती है
08:44और दोनों बा बेटी
08:46खुश्यों भरा जीवन गुजारते है
09:12सच ही कहते हैं
09:14कि बुरा पड़ोसी
09:16किसी का ना हो
09:18जैसे चुड़िया का पड़ोसी
09:20कालू कवा था
09:22कालू कवा हमेशा चुड़िया को दंग करता
09:24उन दिनों चुड़िया ने अपने खेत में
09:26सबजियां उगा रखी थी
09:28चुड़िया अपनी सबजियों की
09:30बहुत हिफासत करती
09:32गुर्या बेटी आप घर जाये
09:34और मैं करेले की बेलों को
09:36पानी देकर घर आती हूँ
09:38मम्मा आप सुभासे काम कर रही है
09:40आप ठक गई होंगी
09:42नहीं बेटा करेले की
09:44सबजी त्यार हो गई है
09:46अगर आज इन्हें पानी ना दिया
09:48गुर्या घर चले जाती है
09:50और ममा चृडिया अपने काम में
09:52लग जाती है
09:54साथ वाले ठेट में
09:56कव़ा और उसकी पतनी गोरी कव़ी
09:58सोर हिये थे
10:00शाम के बाद गोरी की आंख खुलती है
10:02कालू उठो
10:04शाम हो गई है
10:06देखो वो चृडिया
10:08अभी तब काम कर रही है
10:10कालू कव़ा भी कुछ जा रहा है
10:12काम कर रही है
10:14तो क्या हुआ
10:16इसकी करेले की सबजी
10:18मैं आज रात ही तोड लूगा
10:20हाँ कालू मैं कल गई थी
10:22चृडिया के खेत में
10:24चृडिया की सबजी तो पूरी तरहां तियार है
10:26इतने बड़े बड़े
10:28करेले लगे हुए है
10:30मैं आज रात ही चृडिया के
10:32खे से करेले तोड कर
10:34कल मंडी में बेचाऊंगा
10:36चृडिया ठकी हुई थी
10:38इसलिए वो लेड़ते ही सो जाती है
10:40चृडिया के बेटी गुरिया बैठी
10:42गिता पढ़ रही थी
10:44गोरी और कालू जाग रहे थे
10:46उन्होंने आज रात
10:48चृडिया की सबजी जो चुलाना थी
10:50आधी रात को
10:52कालु कवा अपने घर से निकलता है
10:54और चृडिया के खेद में
10:56जला जाता है
10:58कालु कवा चृडिया की करेले की बेलों से
11:00करेले तोड़ तोड़ कर
11:02टोकरिया भर लेता है
11:04कालु कवा तो चृडिया की
11:06सारी ही करेले की बेले
11:08खाली कर देता है
11:10कवा वो टोकरिया ले जाकर
11:12अपने खेद में रख देता है
11:14आब सुभाई ये सबजी
11:16मैं मंडी ले जाओंगा
11:18घर जाकर थोड़ा सो लेता हूँ
11:22कवा अपने घर चला जाता है
11:24कालु काम हो गया
11:26हाँ
11:28मैंने चृडिया के सारे करेले तोड़ कर
11:30अपने खेद में रख दिये है
11:32गोरी मैं सोने जा रहा हूँ
11:34तुम कल सुभाई सवेरे
11:36ही वो करेले बैल गाड़ी पर लाद कर
11:38मंडी ले जाना
11:40कवा सो जाता है
11:44सुभाई हो जाती है
11:46चृडिया जब अपने खेद में जाती है
11:48तो अपनी करेले की सारी बेलें
11:50खाली देखकर रूआने लग जाती है
11:54मेरी महीने की मेहनत कौन चुरा कर ले गया
11:56मैंने क्या क्या सोच रखा था
11:58कि सबजी बेच कर ये करूँगी
12:00सबजी बेच कर वो करूँगी
12:02मगर सब मत्ती में मिल गया
12:06गोरी कवी टोकरिया अपनी बैल गाड़ी पर रख रही थी
12:10ये गोरी बैल गाड़ी पर क्या लाद रही है
12:12जा कर देखती हूँ
12:14चड़िया गोरी के पास चाती है
12:16ये ये करेले तो इसने मेरे खेसे ही तोड़े है
12:18गोरी तुमने मेरे खेसे करेले की सबजी तोड़ी है
12:20देखा है क्या तुमने
12:22शरम करो चड़िया
12:24अलजाम न लगाओ
12:26मैंने तो ये सबजी अपने खेसे तोड़ी है
12:28तुम्हारी करेलों की बेले सूखी पड़ी है
12:30उन बेलों पर कल तक तो
12:32कोई करेला नहीं था
12:34मुझे क्या मालूम
12:36रात और रात मेरी बेले
12:38हरी भरी हो गई
12:40और उन पर ये करेले भी लगे
12:42हटो, रास्ता छोड़ो
12:44मुझे जाने दो
12:46गोरी कवी अपनी
12:48बैल गारी लेकर चली जाती है
12:50पिछली बार इन्होंने
12:52मेरी भेंडी तोड़ ली थी
12:54और इस बार करेले तोड़ लिये
12:56जो हुआ सो हुआ
12:58मगर अब के बार
13:00मैं इन कवों को अपने खेट से
13:02चोरी नहीं करने दूँगी
13:04चिरिया अपने खेट में जाती है
13:06और अपनी कद्दू की बेलों को
13:08पानी देने लगती है
13:10भाई जी
13:12पांच टोकरी करेले की है
13:14कितने मिलोगे
13:16पांसो, पांसो दूँगा सब के
13:18कुछ और दाम बढ़ाओ तो
13:20मैं ये सबजी तुम्हें ही दे जाओँगी
13:22ठीक है
13:24600 हुआ, इस से ज़्यादा नहीं मिलेंगे
13:26गोरी कवी 600 में
13:28वो करेले की सबजी
13:30पकशी को बेच देती है
13:32और पैसे गिनने लगती है
13:34आज तो सोने का हार
13:36लेकर ही घर जाओंगी
13:38अगर पैसे घर लेते तो
13:40कालू फीट से इधर उधर कर देगा
13:42और मेरी सोने की हार लेने की इच्छा
13:44दिल में ही रह जाएगी
13:46गोरी कवी बैलकारी
13:48सीधी सुनार की दुकान पर ले जाती है
13:50और सुनार के पास चाती है
13:52सुनार सुनार
13:54वो बड़ा सोने का हार दो मुझे
13:56ये हार असली सोने का है
13:58पहनोगी तो याद करोगी
14:12चोड़ी दूर किकर के पेड़ पर बैठा हुआ
14:14चोर उल्लू गोरी कवी को देख रहा था
14:16बुढ़ी कवी
14:18इस उमर में ये सोने का हार
14:20तेरे किसी काम का नहीं
14:22ये हार मुझे देना ही होगा तुझे
14:24गोरी जाती है
14:26तो वो चोर उल्लू
14:28तो वो चोर उल्लू
14:30गोरी कवी के पीछे पीछे उड़ता है
14:32बैल काड़ी घने जंगल में पहुन जाती है
14:34सामने एक बड़ी लकड़ी पढ़ी थी
14:36सामने एक बड़ी लकड़ी पढ़ी थी
14:38ये रास्ता किस ने बंद कर दिया
14:40मैं उठर कर इस लकड़ी को हटाती हूँ
14:42गोरी कवी बैल काड़ी से
14:44मीचे उठर कर
14:46वो लकड़ी हटाने लगती है
14:48तो पीछे से चोर उल्लू
14:50बड़ा चाकू लेकर आ जाता है
14:52कौन?
14:54कौन हो तुम?
14:56उल्लू उल्लू चोर हूँ
14:58लाओ ये अपना हार
15:00जल्दी से मुझे दे दो
15:02उल्लू चोर जी
15:04माफ कर दे
15:06ये हार लेने के लिए
15:08तो ना जाने
15:10मैंने सारी जिन्दगी
15:12कितनी चोरियां की हैं
15:14मेरा हार मत लो
15:16सीधे से देती हो
15:18या मैं तेरी गर्दन ही काट कर
15:20ले जाओ
15:22बचाओ
15:25गोरी कव्वी शोर मचाती है
15:27तो वो उल्लू अपने जाकू से
15:29गोरी पर वार करता है
15:31और गोरी कव्वी का पंख गायल करके
15:34वो हार गोरी कव्वी के
15:36गले से उधार कर ले जाता है
15:38गोरी गिर जाती है
15:40खोन बहने लगता है
15:42थोड़ी देर बाद
15:44एक तोटा वहाँ से गुज़रता है
15:46तो गोरी कव्वी को गिरा पढ़ा देखकर
15:48वहाँ आ जाता है
15:50गोरी ये क्या हुआ
15:52तम्हारे पंख पर चोट कैसे है
15:54ले गया
15:56वो चोर उल्लू
15:58मेरा सोने का हार ले गया
16:00और मुझे मार कर
16:02यहाँ फैंक गया
16:04मिठू किसी तरह मुझे मेरे घर पहुँचा दो
16:10मिठू तोटा बहुत मुश्किल से
16:12गोरी कव्वी को बैलकारी पर ला देता है
16:14और उसके घर की तरफ जाता है
16:18कालू कालू कव्वे बाहर आओ
16:20तम्हारी पतनी के पंख पर चोट आई है
16:22इसे घर ले जाओ
16:24थोड़ी देर बाद कालू कव्वा घर से बाहर निकलता है
16:28नहीं मेरी गोरी, मेरी गोरी पतनी ये कैसे हुआ
16:34शौर सनकर चिर्या भी वहा आ जाती है
16:38इसके पंख से तो खोन बह रहा है
16:40इसके पंख पर पटी करना होगी
16:43मैं अभी डॉक्टर को बुला कर लाती हूँ
16:46गोरी को घर ले जाती है
16:49कालू, ये सब मुझे हमारे बुरे कर्मों की सजा मिली है
16:54गोरी, ये सब कैसे हुआ
16:57मैं करेले मंडी में बेच कर सुनार की दुकान पर चली गई थी
17:02वहां से अपने लिए सोने का हार लिया
17:05नचाने वो उल्लू कहां से मेरे भीचे लग गया
17:08सब ले गया
17:10सोने का हार भी और मेरा पांख भी काट गया
17:15चिर्या भी बुलबुल को ले आती है
17:18मैंने पटी तो बांध दी है
17:20मगर कालू, बहुत अफसोस की बात है
17:22गोरी अब कभी उन नहीं सकेगी
17:25गोरी, मैं तो कल करेले ना से ही कद्दू दोड लूँगी
17:29और तुमने करेले की सबजी के बदले अपना पांख गवा दिया
17:33मुझे बहुत दुख हुआ
17:35चिर्या बहन, गुज्रा समय लोट कर नहीं आ सकता
17:39मगर मुझे सजा मिल चुकी है

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