चिड़िया वाले कार्टून | टुनटुनी चिड़िया का कार्टून | TunChidiya wala Cartoon | HindiKahani

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चिड़िया वाले कार्टून | टुनटुनी चिड़िया का कार्टून | TunChidiya wala Cartoon | HindiKahani

कार्टून चिड़िया | Episode New | Chidiya Wala Cartoon | Tuni Achi Cartoon | Hindi Kahani
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00:00आर्शों का था, एक दिन छोड़कर एक दिन तो बारिष हो ही जाती
00:04आज भी सुभा से बारिष लगी ही थी
00:07ममा चड़िया के पास आग चुलाने के लिए एक भी सूखी लकडी नहीं थी
00:12ममा आगने कहा था आज पकोरे बनानेंगे
00:16ममा बताइए ना कप पकोड़े बनानी है
00:19बेटी बारिश रुकती है तो मैं सूखी लकडियां लेकर आती हूँ
00:23घर में तो एक भी सूखी लकड़ी नहीं है
00:26थोड़ा इंतजार करने के बाद ममा जुढ्या पडोसन गोरी कफी के घर जाती है
00:32गोरी क्या तुम्हारे पास कोई सूखी लकड़ी है
00:35मैंने आग सुना रहा है बेट कम में एक भी सूखी लकड़ी नहीं है
00:39ना भी जुढ्या मेरे घर में तो सूखी छोड़ गीली भी नहीं है
00:43कई दिनों से कालू से कह रही हूँ
00:46मगर वो है कि बाती नहीं सुनता
00:49गोरी मैं जंगल में जा रही हूँ
00:51शायद कोई सूखी लकड़ी मिल जाएं
00:53तुम भी आ जाओ हम दोनों अगैती ही चली जाती हैं
00:56नहीं जुढ्या मैं तुम्हारे साथ नहीं जाओंगी
00:59तुम जाओ मैं बाद में चली जाओंगी
01:02तुम भी मैंने जगू को चाय बना कर देनी है
01:05चिड़िया सोझती है कि बारिश ना जाने कब रुकेगी
01:09इसलिए वो बारिश में ही धने जंगल की करफ निकर जानी है
01:14थोड़ी देर बाद गोरी कवी भी सूखी लकड़िया लेने चली जाती है
01:19गोरी कवी जा रही थी कि एक बुढ़ी कवी गोरी को आवाज देती है
01:24कवी कवी ये सूखी लकड़िया मेरे सर पर तो रख दो
01:30सूखी लकड़िया देखकर गोरी कवी की नियत खराब हो जाती है
01:35मैं इस बुढ़ी कवी से लकड़िया छीन कर ले जाती हूँ
01:39ये कहां मुझे पकड़ सकेगी ऐसा सोचकर गोरी कवी बुढ़ी कवी के पास जाती है
01:46बुढ़ी माजी पारिश तेज है आप से ये लकड़िया नहीं उठाई जाएंगी
01:51लाईये मैं ये लकड़िया आपके घर तक छोड़ाती हूँ
01:55कवी बेटी तुम इतनी अच्छी भी हो सकती हो
01:59मैंने तो सोचा भी ना था
02:02गोरी कवी लकड़िया उठा लेती है और बुढ़ी कवी के पीछे पीछे चलती है
02:08थोड़ी दूर जाकर बुढ़ी पीछे मुटती है और अपने घर की दरब चली जाती है
02:15वो सामने है मेरा घर बेटी मेरे पीछे बीछे ही आ जाओ
02:22जब बुढ़ी कवी अपने घर के सामने जाकर देखती है तो पीछे कवी को ना देखकर बुढ़ी कवी रोने लग जाती है
02:33वो कवी तो मुझे उल्लू बनाकर मेरी लकड़िया चुरा कर ले गई
02:40वो अच्छी कवी नही वो तो बहुत बुरी कवी थी
02:51थोड़ी देर बाद बारिश भी रुक जाती है और चिर्या को पुराने कुमे के पास से कुछ सूकी हुई लकड़िया मिल जाती है
03:01चुरिया उन लकड़ियों की घटरि बनाती है और उठा कर अपने घटरकी धरप उढ़ती है
03:14चुरिया । चुरिया बेटी जी मा जी आपने मुझे बुलाया कौ बाद है
03:21बेटी! एक कव़ी मेरी लकडियां चुरा कर ले गई है
03:26मैंने खाना बनाना है
03:29तुम मुझे थोड़ी सी सूखी लकडियां दे दो
03:33माजी! आप तो बहुत बुढही है
03:35आप कैसे खाना बनाएंगी
03:37मैं आपको लकडियां भी देती हूँ
03:39और खाना भी बना देती हूं
03:41तुन फिर चिरीया बुरी कव़ी के घर में जाती है
03:45चिरीया चूल्हे में लकडिया लगाकर आग जलाती है
03:49बेटी, मैंने ये चावल बहगोए हैं
03:53दाल-चावल ही बनालो
03:55चिर्या बुढ़ी कवी के लिए दाल चावल बैनाने लग दी है
04:00कालू कालू उस बुढ़ी कवी ने जब पीछे मुड़कर देखा होगा तो बहुत रोई होगी
04:10डूस्ट कवी बुरी कवी गंदी कवी ऐसे ऐसे कह रही होगी वो बुढ़ी कमजोर कवी
04:19अच्छा गोरी मैंने आग जला दी है अब हंडिया बना ले तो जल्दी से
04:25कालू घर में ना आलू है ना प्याज मैं हंडिया किसे बनाओ केवल सूखी लकडियों से तो आग ही जलेगी
04:33आलू प्याज आलू प्याज मैं कुछ करता हूँ
04:38जडिया बेटी ये आधे डाल चावल तुम अपने घर ले जाओ मेरे लिए इतने ही काफी है
04:46नहीं नहीं माजी आप रहने दें मेरे घर में सबजी है मैं जाकर बना लूँगी
04:52बेटी मेरा कोई नहीं है इस दुनिया में अगर तुमने मा कहा है तो मेरी बात भी मानो
04:59तुम हर रोज मेरे घर आ जाया करो मेरे लिए खाना बना कर अपने लिए ले जाया करो मेरे पास बहुत सारा अनाज और सबजीया है
05:11फिर चिरिया एक बर्तन में डाल चावल डाल कर ले जाती है
05:16डाल चावल डाल चावल मममा ये डाल चावल बहुत स्वादिश्ट होंगे
05:22अच्छा अभी गरम गरम है आहिसा आहिसा खाना किहीं जूबान न चेल जाए
05:28उनके घर के दर्वाजे पर दैसक होती है चिरिया बाहर जाती है
05:34चिरिया क्या दो आलू हैं घर में तुम्हारे , अगर हैं तो मुझे दे दो
05:40हाँ गोरी बहन मैंने और मेरी बेटीने दो डाल चावल खा लीहें
05:43मैं अभी आको आलू देतियू प्यारे धोसलू रहती है और गोरी को दिदेती है
05:48चुड़िया दाल जावल तुमने कहाँ से लिये हैं
05:52रास्ते में मुझे एक बुढ़ी कव़ी मिली थी
05:55बेचारी की लकडिया कोई कव़ी चुरा कर ले गई
05:58परेशान थी मैंने उसे सूखी लकडियां भी दी
06:01और खाना भी बना कर दिया
06:03उसने मुझे आधे दाल जावल दे दिये
06:06गोरी, अब तो हर रोज मैं उस बुढ़ी कव़ी का खाना बनाने जाया करूंगी
06:11तो क्या वो बुढ़ी कव़ी हर रोज तमें खाना दिया करेगी
06:15हाँ, वो बुढ़ी कव़ी हर रोज मुझे खाना दिया करेगी
06:19गोरी वहाँसे चली जाएंती है
06:23कालू, ऐसा नहीं हासकता वो बुढ़ी कव़ी कव़ी को छोड़ कर
06:28चिृपति फ खाना दे
06:29मैं लूंगी, मैं जाऊंगी बुढ़ी कव़ी के पास
06:32और मैं लूंगी खाना उसे
06:35तुम उसे कहना के तुम चुड़िया से अच्छा खाना बना लेती हो
06:40दूसरे दिन बारिश फिर से शुरू हो जाती है
06:44पम्पा आज तो घड़ में खाने को कुछ भी नहीं है
06:48चिंतना करो गुड़िया बेदी, मैं जा रहे हूँ
06:51गुड़ी कभी मा का खाना बनाने, और वही से मैं आप के लिए भी खाना ले आउंगी
06:57चुड़िया जाती है, और गुड़ी मा के घर में जाकर गरम गरम खिचड़ी बनाती है
07:05बेटी चुड़िया, मेरे लिए यही खिचड़ी काफी है, बाकी की तुम ले जाओ
07:11मा जी, सच बताओं, तो आज मेरे घर में भी खाने को कुछ नहीं था
07:16बेटी, तुम्हें जिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं है
07:21चुड़िया खिचड़ी लेकर अपने घर चली जाती है
07:25बुढ़ी मा कवी, खिचड़ी खा रही थी, के दर्वाजे पर दस्थक होती है
07:32बुढ़ी मा कवी, बाहर जाती है
07:35ऐ, यह तो वही कवी है, जो मेरी लकडियां चुरा कर ले गई थी
07:41मा जी, मैं चुड़िया से अच्छा खाना बना लेती हूँ
07:45मेरे हाथ का बनाया हुआ खाना आपको बहुत पिसांद आएगा
07:49आप आधा खाना मुझे दे दिया करें और मुझे अपने लिए खाना बनवा लिया करें
07:55अच्छा तो ये भात है, तुम्हारे हाथ में बहुत स्वाद है
08:00मगर उस दिन तुम मेरी लकडियां क्यूं चुरा कर ले गई थी
08:04माजी, वो मैं रास्ता भूल गई थी, मैंने आपको बहुत ढूढा, मगर आप तो आगे निकल गई थी
08:12हाँ, मैं बुढ़ी कवी, बहुत तेज उड़ती हूँ न
08:17बुढ़ी कवी, गोरी को सजा देने का फैसला करती है और उससे कहती है
08:23ठीक है, तुम अंदर आजाओ और मेरे लिए बेसन के लडू बनाओ
08:29आधे लडू तुम्हारे और आधे लडू मेरे
08:34गोरी, खुश हो जाती है
08:37और बुढ़ी कवी के घर में चली जाती है
08:40बुढ़ी कवी अंदर से दर्वासा बंद कर लेती है
08:44और लकड़ी उठा लेती है
08:46मा, मा, मा जी, मैं जला लेती हूँ आग, आप आराम करे
08:52मैं भी तुम्हारी तरहां कवी हूँ, मैं अभी बताती हूँ तुम्हे
08:58कि किसी की चीज चुराने की क्या सजा होती है
09:02बुढ़ी कवी सूखी लकड़ी से गोरी को माडने लगती है
09:06बचाओ, बचाओ, कालू, कालू जी, मुझे बचाओ
09:12जगू, जगू बेटा, ये आबास तुम्हारी मा की है क्या
09:18हाँ पिता जी, लग रहा है कि तुम्हारी की चीजे बिटने की है
09:24ऐसे गोरी कवी को सजा मिलती है
09:33गोरी कवी अपनी काई को ना अच्छा चारा दे थी
09:36ना समय पर पानी और ना ही उसकी धूब चाओं का खियार रखती थी
09:41यही वज़ा थी कि उसकी गाई का दूद बहुत थोड़ा और बेसवाद होता
09:47ज्यादा खालिस भी ना होता उसकी गाई का दूद
09:51पड़ोसी चिरिया की गाई बहुत मोटी तासी थी क्यूंके
10:08चिरिया अपनी गाई का अच्छे से खियार ढखती
10:11इसलिए वो बाल्टी भर दूद देती
10:15और जंगल के सभी पक्षी सुभा और शाम
10:18लाइन में लकड चिरिया से दूद ले जाते
10:21माफ कहना तोटे भाई आज तो दूद टाइम से ही खतम हो गया
10:25मैं कर रख लूँगी आपके लिए दूद
10:28चुरिया मेरे बच्चे तुम्हारी गाई के इलावा
10:31किसी और गाई का दूद पसान नहीं करते
10:34तोटे भाई आज का दिन तुम गोरी कवी से दूद ले जाओ
10:38फिर तोटा गोरी कवी के पास चाता है
10:41गोरी कवी तो सुभा से बाल्टी बहर दूद
10:44जिसमें आधी बाल्टी पानी की थी
10:47ले कर बैठी हुई थी
10:49कोई लेने वाला नहीं था
10:51गोरी एक तुम्हारा दूद है कि बिकता ही नहीं
10:55और चुड़िया है कि उसका दूद बचता ही नहीं
10:58मैं चुड़ियों के पास दूद लेने गया था
11:00मगर ख़तम हो गया
11:02अपनी बकवास बंद भी कर ले
11:04चुड़िया चुड़िया गाए गाए बोले जा रहे हो
11:06सीधे से बताओ क्या लेने आए हो
11:09तुम यहाँ दूद बेचने के लिए बैठी हुई हो
11:12जा लडने के लिए बैठी हुई हो
11:14मैं दूद लेने ही आया हूँ
11:16मैं कौन सा लड़ू लेने आया हूँ तुम्हारे पास
11:19कितने का चाहिए
11:21पचास का जितना आए दे दो
11:23ये लो
11:25ये ये पचास का दूद है
11:27मैं चुड़िया से हर रोज ले कर जाता हूँ
11:30यहां गले तक आता है बरतन के
11:32मैं तेरी ये बड़ी चौच ही तोड़ दूँगी
11:35अगर दुबारा चुड़िया का नाम लिया तो
11:37तोता वहां से चला जाता है
11:40बेशरम उठ जा
11:42एक तो कोई काम धन्दा नहीं करता
11:45दूसरा उस चुड़िया के गाई से भी
11:47मेरा पीछा नहीं चुड़वाता
12:02मीठा नजाने क्या क्या बोलते रहते हैं
12:05काम तो मुश्किल है
12:07मगर मैं करूँगा
12:09मैं चुड़िया की गाई को ऐसे ठिकाने लगाऊँगा
12:12कि कभी नज़र नहीं आएगी
12:15मममा मैं अपनी गाई के साथ नदी पर जा रही हूँ
12:18मैं भी पानी पी लूँगी
12:20और मेरी गाई भी पानी पी लेकी
12:22ठीक है बेटी अपने गाई का दिहान रखना
12:25इसे अकेले इधर उधर न जाने देना
12:29गुर्या अपनी गाई लेकर नदी की तरफ चली जाती है
12:34मैं जाकर इस गुर्या की बच्ची को बातों में लगाती हूँ
12:37और तुम ले जाओ इसकी गाई
12:40फिर गोरी कवी गुर्या के पास जाती है
12:43गुर्या गुर्या तुम्हारी नानो कब आयेगी
12:47नानो मेरी नानो तो अकले महीने आयेंगी
12:51और मेरे लिए थेर सारी चीसे लेकर आयेंगी
12:55गुर्या गोरी कवी से बातों में लग जाती है
12:58और उसकी गाई खास खाती खाती थोड़ी दूर निकल जाती है
13:03वो है ना कपोतर का बेटा कीकी
13:06वो कहता था के गुर्या की नानो गंदी है
13:09क्या कीकी ने ऐसे कहा
13:12वो गंदा होगा उसकी नानो गंदी होगी
13:14मैं पूछूंगी उस गंदे कीकी से
13:17ना ना अब ना पूछना मैंने खूब पिटाई की थी उसकी
13:22मेरी गाई, मेरी गाई कहां गई
13:25जब गुर्या का दिहान अपनी गाई की दरफ जाता है
13:28तो उसकी गाई वहां नहीं थी
13:31होती भी कैसे
13:33गाई को तो कालु कवा जी रसी पकड़ कर
13:37पुराने जंगल में, पुराने कूने के पास ले गया था
13:41इस कूने में हरीभरी घास है, जा खाले
13:46गाई बोलती है तो इधर उधर देखती है
13:50कालु कवा एक मुठी हरी घास की गाट कर
13:54कूने में फैंकता है
13:56खाले खाले बहुत स्वादीश्ट है ये घास, खाले
14:01गाय बोलती है और घास खाने के लिए आगे भरती है
14:05वो कूवे में गिर जाती है
14:08गाय अपना मूँ उपर करके बोले जा रही थी
14:11मगर वहाँ कौन था जो उसकी मदद करता
14:14कवा तो गाइ को कूवे में गिराकर वापिस आजाता है
14:19ताम हो गया कालोजी
14:22हो गया अब ना रहेंगी गाए और ना बजेंगी बाँसूरी
14:30ममम ममम मेरी गाए
14:33मैं गओरि आंठी से बाते करेह लगगी
14:36और मेरी गाए कहीं चली गई
14:38केही चली गई बेटी गाई तो केही नहीं जाती
14:44वो तो सीधी अपने घार आती है
14:46दोनों मा बेटी अपनी गाई ढूढने निकल जाती हैं
14:51बेचने के लिए बैठती है तो उसका सारा दूद मिन्टो में ही बिक जाता है
14:57गोरी चुडिया की तो गाई खो गई है अब तो दूद तमसे ही लेना होगा
15:01एक एक लीटर मुझे भी दे तो
15:04चालो चालो निकल निकल यहां से तुझे तो मैं ठेंगा भी नहीं दूँगी
15:09मौती चौंच वाले चुडिया की गाई गाई की चुडिया
15:13याद करो उस दिन क्या क्या बोले जा रहे थे
15:16तोता बेचारा शर्मीनदा होकर वहां से चला जाता है
15:21एक दो तीन चार पांच
15:25कालू कालू जी पूरे पांसो रुपै का दूद बिका है आज
15:30काल दूद में एक बाल्टी पानी की और मिला लेना
15:34पांसो की भजाएं डबल हो जाएंगी कमाई
15:38वो तो मैंने पहले ही सोच लिया है
15:42कल मैं एक बाल्टी पानी के सासाथ
15:44केमिकल भी मिलाओंगी दूद में
15:46दूद को गड़ा करने के लिए
15:48गोरी कवी चुडिया की काई को कुमे में गिराकर
15:52अपने पैसे बना रही थी
15:54और उधर बेचारी चुडिया
15:56अपने काई के लिए मारी मारी फिर रही थी
15:59गुज़रते हुए चुडिया को
16:01अपनी काई की आवाज सुनाई दे थी है
16:04मम मम मम हमारी काई की आवाज है
16:07वहाँ उस तरफ से आ रही है
16:11पुराने कुवे के पास जाती है
16:14तो गाए वहां बोल रही थी
16:17हमारी गाए इतनी पागल तो नहीं है
16:20जो कुवे में गिर जाए
16:22ये काँ जरूर किसी दुश्मन का है
16:25मममा अब सोचना यह है
16:27गाए को कुवे से निकाले कैसे
16:30यह काम तो कोई इनसान ही कर सकता है
16:33मुझे इनसान के पास जाना होगा
16:36ममा चुडिया जल्दी से उड़ती है
16:38जंगल के बाहिर एक इनसान
16:40क्रेयंन की मदर से बिजलू के खंभे लगा रहा था
16:44जुळ्बा उस इनसान के पास जाती है
16:47और उसे अपनी समस्या बताती है
16:50किरपिया करें, मेरी मदद करें
16:52मेरी गाई मर जाएगी
16:54गाई सबकी दोस्त है
16:56क्या इनसान, क्या पक्षी
16:57मुझे जाना होगा
16:59मैं अभी अपनी क्रेन के मदद से
17:01आपकी गाई कुँए से निकाल दूँगा
17:04सिर्व इनसान, क्रेन लेकर चुड़िया के साथ जाता है
17:08और बहुत आसानी से
17:09चुड़िया के गाई भूने से निकाल दूँगा है
17:13गाई उपर आते ही
17:15अपनी माल्किन चुड़िया के
17:17पांख चाटने लगती है
17:19और चुड़िया अपनी गाई को लेकर
17:22जब गाई अपने घड के करीब आती है
17:24तो कालु कवा और गोरी कवी बैठे
17:26दूद बेच रहे थे
17:28गाई कालु कवो को देखते ही
17:31उससे में आ जाती है
17:33गाई भागती है
17:34और पीछे से जाकर
17:36कालु कवे के
17:37एक जौर की टकर लगाती है
17:40गाई फीट से आगे भडती है
17:42और कालु कवे को फूट बॉल की तरहाँ
17:45इधर उधर फैंकने लगती है
17:47गोरी तो दूद छोड़कर
17:49अपनी जान बचाकर भागती है
17:52और गाई कालु कवे को अच्छा सबक देती है
17:56जो कवा हमेशा याद रखेगा

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