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00:00रवीन्द्रनात के एक उपण्यास में एक युवती अपने प्रेमी से कहती है
00:04कि मैं विवा करने को तो राजी हूं लेकिन तुम जील के उस तरफ रहोगे और मैं जील के इस तरफ।
00:11प्रेमी की बात समझ के बाहर है वह कहता है तू पागल हो गई है प्रेम करने के बाद लोग एक ही घर में रहते हैं
00:20उसने कहा कि प्रेम करने के पहले भला एक घर में रहें प्रेम करने के बाद एक घर में रहना ठीक नहीं
00:27खत्रे से खाली नहीं एक दूसरे के आकाश में बाधाएं बड़ी डिधहनी शुरू हो जाती हैं
00:33मैं जील के उस पार तुम जील के इस पार यह शर्त है तो विवा होगा
00:39हाँ कभी तुम निमंतरण भेज देना तो मैं आउंगी या मैं निमंतरण भेजूंगी तो तुम आणा या कभी जील पर नौका विहार करते अचानक मिलना हो जाएगा या जील के पास खुरिद्धिन
00:53व्रिक्षों के पास सुबह के भ्रमन के लिए निकले हुए अचानक हम मिल जाएंगे चौक कर तो प्रीति कर होगा लेकिन गुलामी नहीं होगी तुम्हारे बिना बुलाए मैं ना आउंगी मेरे बिना बुलाए तुम ना आणा तुम आणा चाहो तो ही आणा मेरे बुला�
01:23है जिसको तुम जानते हो इस प्रेम ने तुम्हारे जीवन को नरक बना दिया है इस प्रेम की बात नहीं कर रहा प्रेम पंद ऐसो कठिन यह तो कठिन है ही नहीं यह तो बड़दधा सरल है दुनिया में सभी इसको समहाल लेते हैं इसमें कठिनाई क्या होगी हर घर में चल
01:53प्रेम में गिरना नहीं कह सकते उसको हम कहेंगे प्रेम में होना बीइंग इन लव वह बड़दधाती एर बात है उसका स्वभाव मैत्री का है
02:05जिबरान ने ठीक कहा है कि सच्चे प्रेमी मंदर के दो स्टंबों की भाती होते हैं बहुत पास भी नहीं क्योंकि बहुत पास हो तो मंदर गिर जाए बहुत दूर भी नहीं क्योंकि बहुत दूर हो तो भी मंदर गिर जाए देखते हो ये स्टंब जिन्होंने च्वांग्
02:36तो ही छप्पर समहला रह सकता है एकदम पास आ जाए तो छप्पर गिर जाए
02:41बहुत दूर हो जाए तो छप्पर गिर जाए एक संतुलन चाहिए
02:45असली प्रेमी ना तो एक दूसरे के बहुत पास होते हैं ना बहुत दूर होते हैं
02:51थोड़ दहा सा फासला रखते हैं ताकि एक दूसरे की स्वतंतरता जीवित रहें
02:57ताकाता ताकि एक दूसरे की स्वतंतरता में व्यागात न हो अतिक्रमण न हो
03:03ताकि एक दूसरे की सीमा में अकारण हस्तक्षेप न हो
03:07प्रेम में होने का अर्थ होता है हम पास भी होंगे इतने कि हमें एक दूसरे से कोई भय का कारण नहीं और हम इतने दूर भी होंगे कि हम
03:17एक दूसरे को रॉंद भी न डालेंगे हमारे बीच आकाश होगा और तुम्हारा निमंतरण होगा तो मैं आउंगा और मेरा निमंतरण होगा तो तुम मेरे भीतर आउगे मगर निमंतरण पर यह हक न होगा अधिकार न होगा