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क्रांतिकारी खुदीराम बोस

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खुदीराम बोस, एक ऐसे युवा क्रांतिकारी जिन्होंने भारत की आज़ादी की लड़ाई में अपनी जान की कुर्बानी दी। 19 जुलाई, 1905 को लॉर्ड कर्ज़न द्वारा बंगाल विभाजन की घोषणा ने पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ आक्रोश पैदा किया। स्वामी विवेकानंद के भाई, भूपेंद्रनाथ दत्त की गिरफ्तारी और सत्येंद्रनाथ बोस के द्वारा 'वन्दे मातरम' पर्चों के वितरण ने इस विद्रोह को और भड़का दिया।

1908 में, 17 वर्षीय खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी को डगलस किंग्सफ़ोर्ड की हत्या का जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन किंग्सफ़ोर्ड ने अपने स्थानांतरण से बचाव किया। इस वीडियो में जानें खुदीराम बोस की शहादत की पूरी कहानी, उनके संघर्ष और उनके बलिदान को।

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Kudiram Bose, a young revolutionary who sacrificed his life for India’s freedom, was only 18 years old when he was executed. On July 19, 1905, Lord Curzon's decision to partition Bengal sparked widespread outrage against the British across India. The arrest of Swami Vivekananda's brother, Bhupendranath Dutt, and the distribution of 'Vande Mataram' pamphlets by Satyendranath Bose intensified the revolt.

In April 1908, 17-year-old Kudiram Bose and Prafulla Chaki were assigned to assassinate Douglas Kingsford. However, Kingsford managed to evade the attack by transferring his post. This video explores the full story of Kudiram Bose's martyrdom, his struggle, and his ultimate sacrifice for India's independence.

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Transcript
00:00एक मयी की शामे साई नंदलाल बनर जी को समस्तीपूर स्टेशन पर प्रफुल चाकी की वेश भूशा पर कुछ शक हुआ
00:05तो उसने मुजफरपूर पुलिस को तार दे दिया
00:07जैसे ही प्रफुल चाकी को पता चला उन्होंने वहाँ से निकलने की कोशिश की
00:11परंतु पुलिस द्वारा घेर लिये जाने के बाद उन्होंने अपने आपको दो गोलियां मारे
00:15और उसी स्थान पर उनकी मृत्यू हो गई
00:17तहसील दारखां और फयाजुद्दीन ने प्रफुल चाकी के शव की शिनाक्त की
00:20कि ये वही दूसरा शक्स है
00:22खुदी राम बोस ने अपने साथी के शव की पहचान की
00:24लेकिन उन्होंने उनका नाम दिनेश चंदर रोय बताया
00:269 नवंबर को प्रफुल चाकी को गिरफ़तार करने वाले नंदलाल बनर जी की कलकता में
00:31और गनेंदरनाथ गांगुली ने गोली मार कर हत्या कर दी
00:3313 जुन 1908 को अदालत ने खुदी राम बोस को फांसी की सज़ा सुनाई
00:37और 11 अगस्त की सुबह पहली बार 18 साल 8 महीने और 8 दिन के एक इशोर को फांसी दे दी गई
00:41वीतां बरदास ने उनके सम्मान में एक गीत लिखा जिसकी आखरी पंक्तिया है
00:44हेमा आज से 10 महीने 10 दिन बाद मैं मॉसी के घर फिर से जन्म ले कर लोटूंगा
00:48अगर मुझे न पहचान पाओ तो मेरे गले में फांसी के फंदे का निशान देख लेना
00:52ऐसे ही और वीडियो देखने के लिए हमें कमेंट करें और सब्सक्राइब बटन पर क्लिक करना न भूलें

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