रीढ़ की हड्डी और उससे जुड़ी बीमारियां और समस्याएं | Backbone and disease associated with it in hindi

  • 2 months ago
रीढ़ की हड्डी और उससे जुड़ी समस्याएं:
रीढ़ की हड्डी, जो 26 छोटी हड्डियों (कशेरुका) से बनी होती है, हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह न केवल शरीर को सहारा देती है, बल्कि मस्तिष्क से पूरे शरीर तक संदेशों को पहुंचाने वाले तंत्रिका तंत्र की रक्षा भी करती है।
रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कई बीमारियां और स्थितियां हो सकती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
1. रीढ़ की हड्डी में दर्द: यह रीढ़ की हड्डी से जुड़ी सबसे आम समस्या है। दर्द कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि चोट, गठिया, डिस्क हर्नियेशन, संक्रमण, या तंत्रिका तंत्र को दबाव।
2. रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन: रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन, जिसे स्कोलियोसिस के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी एक तरफ से मुड़ जाती है। यह आमतौर पर किशोरावस्था में विकसित होती है और इसका कारण अज्ञात है।
3. गठिया: रीढ़ की हड्डी के जोड़ों को प्रभावित करने वाले गठिया के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे कि ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटॉयड गठिया। इनसे दर्द, सूजन और गतिशीलता में कमी हो सकती है।
4. डिस्क हर्नियेशन: रीढ़ की हड्डी के बीच स्थित कुशननुमा डिस्क, बाहर निकल सकती हैं और तंत्रिका तंत्र को दबा सकती हैं, जिससे दर्द, सुन्नपन और कमजोरी हो सकती है।
5. रीढ़ की हड्डी में संक्रमण: रीढ़ की हड्डी में संक्रमण, जो मेनिन्जाइटिस या मायलाइटिस का कारण बन सकता है, गंभीर और जानलेवा हो सकता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न और मानसिक भ्रम शामिल हो सकते हैं।
रीढ़ की हड्डी की बीमारियों के लक्षण:
• दर्द, जो तेज या सुस्त हो सकता है और गर्दन, पीठ या पैरों में फैल सकता है
• सुन्नपन या झुनझुनाहट
• मांसपेशियों में कमजोरी
• चलने में कठिनाई
• संतुलन या समन्वय की समस्या
• आंत्र या मूत्राशय नियंत्रण में कठिनाई
यदि आपको रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कोई समस्या है, तो डॉक्टर से मिलना महत्वपूर्ण है।
डॉक्टर लक्षणों का मूल्यांकन करेंगे और उचित निदान और उपचार योजना निर्धारित करने के लिए परीक्षण कर सकते हैं। उपचार में दवाएं, फिजिकल थेरेपी, या सर्जरी शामिल हो सकती हैं।
रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखने के लिए:
• स्वस्थ वजन बनाए रखें।
• नियमित रूप से व्यायाम करें।
• अच्छी मुद्रा बनाए रखें।
• धूम्रपान न करें।
• तनाव का प्रबंधन करें।

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