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इस सृष्टि का निर्माण क्यों हुआ? हमें मनुष्य जीवन क्यों मिला है? चलिए जानते हैं पूज्यश्री दीपकभाई से कि किस तरह इस संसार में अनुभव लेते-लेते मनुष्य मोक्ष मार्ग में आगे बढ़ता है |
Transcript
00:00ये सुरुष्टी की निर्मान क्यू हुआ है? ये वर्ल्ड ही क्यू बना?
00:06क्यू भगवान, दानाव, देव, अर्थ, प्लांट, आनिमल्स, साटेलाइट ये सब क्यू हुआ?
00:12कुछ भी नहीं होता था तो कितना अच्छा रहता था, कुछ करना ही नहीं पढ़ता था.
00:16ना पढ़ाई, ना कमाना, कुछ संकती नहीं रहता था, ये एक्जिस्टन्स ही क्यू हुआ?
00:22पिछर में कुछ दिखाते नहीं तो फिर देखने का मतलब ही क्या रहेगा?
00:26तो ये संसार सचमुझ क्या है?
00:29एक इंद्रिय से लेके पंचेंद्रिय तक डेवलप्मेंट होता है और अनुभव लेता है.
00:35अनुभव लेके उपर चड़ता है.
00:37पहले अशुद्ध ज्ञान में आता है.
00:40एक इंद्रिय से पंचेंद्रिय तक आ गया वो तो नेचरल डेवलप्मेंट है.
00:44पर मनुष्य में आके अनुभव लेता है.
00:47पहले जुआ खेलता है, चोरी खेलता है, दारू पीता है, मारा मारी करता है.
00:52बाद में कितने अवतार से करते करते अनुभव होता है कि ये गलत है, ऐसा नहीं होना चाहिए.
00:56और जितना अनुभव हुआ उपर के स्टेज में चड़ता है.
01:00बाद में धर्म के अनुभव करके बाद में धर्म में आता है.
01:05धर्म में भी दान, सेवा, परोपकार करता है.
01:08उसमें भी लगता है कि पुरी सांति नहीं मिलती, और भी कुछ कमी होती है.
01:12इतना किया धर्म, तो भी बितर में कभी चिंता हो जाती है, क्रोध हो जाता है,
01:17और भी कुछ आगे होना चाहिए.
01:20तब जाके लगता है कि अविनाशि, आत्मा का सुख, वो सच्चा सुख है, संसार में सच्चा सुख नहीं है.
01:27और वो जब समझ में आया, या तो सुना शास्त्र में पढ़ा, संतों के पास पढ़ा,
01:34मगर तो भी प्राप्ती, अनुभूती नहीं हो जाती है,
01:37तैसे भी कितने अवतार चले गए, और जब ग्यानी मिलते हैं, तब आत्मा साक्षात कराते हैं,
01:43तब जाके इस संसार के अनुभव का एंड आ गया, अभी नया अनुभव बाकी नहीं रहा,
01:49अभी पुराना हिसाब कर्मों का पुरा करेंगे, और मोक्ष में चले जाएंगे, तो यह संसार डेवलप्मेंट है,
01:56उसको जैसे जिगनेश्यम रहता है, जिगनेश्यम, एक्सेस है, शरीर बिल्ट अप करने के लिए,
02:02तो यह अनुभव शाला है, संसार, आत्मा की सब प्रकार के अनुभव, पहले रिलेटिव अनुभव लेता है, अशुब, बाद में शुब के अनुभव लेता है,
02:12और बाद में शुद्धात्मा का अनुभव में आ गया, तो मोक्ष में चले जाएगा, वहाँ तक डेवलप्मेंट बढ़ते, बढ़ते, बढ़ते ही जाता है,
02:20नहीं, कोई लोग दारू पीते, उसको कितना भी समझाए, मानते ही नहीं है, और पीते रहते, सारा जिनगी बरबाद हो जाती है, खुद भी मर जाता है, तो यह गलत नहीं हुआ, अनुभव लिया उसने,
02:31मगर उसको भी लगता है कुछ है सुख, है सुख है, दूसरे अवतार भी पिएगा, तीसरे अवतार, बाद में बहुत दुखी होईगा, लगता है कि गलत है, यह नहीं होना चाहिए,
02:39तो जाके अनुभव पक्का हुआ, तो उसका दारू चुटेगा, पाँच पचीस अवतार भी बिगडेगा, मगर अनुभव लेके उपर की कक्षा में चड़ता है,
02:49ऐसे अनुभव लेके हर एक चीज का अनुभव लेता है, और जब डिसीजन आ गया कि इसमें सुख नहीं है, तो अनुभव पुरा हो गया, तो यह अनुभव शाला है संसार, अनुभव करते करते उपर चड़ना है, समझ में है नहीं, इसके लिए अभी अच्छा बुरा ब
03:19डिसाइड किया, क्योंने करें कवीय कोई अथार में शादी नहीं करना
03:22कोई अथार में बच्चे नहीं, जवाई नहीं होना है,
03:25बाप होना नहीं, अभी आत्मा का घ्याण में रहना है,
03:27और मोक्ष का काम निकाल आगला है।
03:29तो अनुबव मुझे यादा आगया इस लाइफ में।
03:31दादा जी मिले, उनकी कुछ बात मिले,
03:33मुझे यही चाहिए वो, दूसरा कुछ नहीं चाहिए।
03:36क्योंकि मेरा डिसीजन आ गिया था अनुबव।
03:39कहने यह शादी में नहीं जाना है, ब्रह्मचर्य का पालंग।
03:43तो यह अनुबव हमें यादा आता है
03:45और वो यही डिवलॉप्मेंट में आगया लेके जाता है।