किसान की बकरी और जंगली भेड़िया || The Farmer's Goat and the Wild Wolf || ||#moralstories #story

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किसान की बकरी और जंगली भेड़िया || The Farmer's Goat and the Wild Wolf || ||#moralstories #story

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00:00जंगल किनारे एक गाव में रामु नाम का एक साधारन किसां था।
00:06इसके पास ज्मीन का एक चोटा सा टुकडा था.
00:10जीवन की मेहनत से उसे गुजारा चलता था।
00:18उसके पास एक बक्री भी थी, जिसका नाम था मुन्मुन.
00:22मुन्मुन् सिर्फ बक्री नहीं थी, बल्की रामू का एक वफादार साथी थी.
00:28वह समझदार थी और अक्सर अपने मालिक को मुसीबत से निकालने में मदद करती थी.
00:39एक साल सूखा पड़ गया.
00:42आस्मान से एक बून पानी भी नहीं गिरा.
00:46फसले सूख गई, रामू के पास खाने को कुछ नहीं बजा था.
00:51उसकी आंखों में उदासी साफ दिखाई दे रही थी.
00:56मुन्मुन् अपने मालिक की इस हालत को देखकर बहुत दुखी हुई.
01:01वह जानती थी कि उसे कुछ करना होगा.
01:05एक रात को जब रामू सो गया, मुन्मुन् खड़े-खड़े सोचने लगी.
01:12तभी उसे एक योजना सूझी और वो जंगल की और निकल पड़ी.
01:25जंगल अजीबो गरीब जानवरों से भरा हुआ था.
01:29उस जंगल में कुछ साधारन और कुछ विचित्र जानवर रहते थे.
01:34उसी जंगल में एक बुढ्धा भेडिया भी रहता था जो हमेसा किसी न किसी जानवर के तलाश में रहता था.
01:41पर अब वो शिकार नहीं कर पाता था.
01:45रोज की तरा आज भी भेडिया शिकार पर निकलता है.
02:16और काफी देर तक जंगल में घूमता रहता है.
02:20तभी उसे कुछ दुरी पर मुन-मुन बक्री आती दिखाई देती हैं.
02:27और वो विचार करता है.
02:30ये किस तरह का अजीब से जानवर चला आ रहा है इसे तो पहले कभी जंगल में नहीं देखा.
02:38भेडिया यही विचार करके बक्री के सामने कूद पड़ता है और उससे कहता है.
02:44तुम्हें पहले कभी इस जंगल में नहीं देखा. क्या तुम इस जंगल में पहली बार आई हो? जल्दी से बताओ ताकि मैं तुम्हें अपना शिकार बना सकूं.
02:54भेडिये की बात सुन बक्री डर जाती है और मन ही मन सोचती है.
03:00ये आज मैं कहा फस गई. अगर मैंने इस भेडिये को बता दिया कि मैं एक बक्री हूँ और पास के गाउ से आई हूँ तो ये मेरा शिकार कर लेगा. मुझे इससे बचने की कोई तरकीब लगानी होगी.
03:14मुन्मुन कुछ देर सोचने के बाद भेडिये से कहती है.
03:17रुक्ये, रुक्ये भेडिये बाबा, आप मेरा शिकार मत करो नहीं तो आप मुझे खाने के बाद मर जाओगे. मैं एक जहरीली बक्री हूँ और मेरा स्वाद भी कड़वा है. मैं बहुत सालों से इस जंगल में एक गुफा में रहती हूँ और कभी कभी बाहर निकलती हू
03:48अब मेरा खाना बनने के लिए तयार हो जाओ.
03:52बक्री फिर से कहती है,
03:55रुक्ये भेडिये बाबा, मेरा विश्वास करो नहीं तो आपको मेरा शिकार करने के बाद अपनी जान गवानी पड़ेगी.
04:02अगर ऐसा नहीं होता तो जंगल के राजा मेरा कभी का शिकार कर लिये होते,
04:08क्योंकि मैं उनकी गुफा के पास ही रहती हूं, आप चाहो तो चल कर उनसे पूछ सकते हो.
04:14बक्री की बात इस बार सुन, भेडिया मुन्मुन की बात मान जाता है और उसे वहां से जाने देता है.
04:25बक्री अपनी चालाकी से अपनी जान बचा लेती है और जंगल में आगे की ओर जाती है.
04:32काफी दूर जाने के बाद मुन्मुन देकती है कि एक सुनहरी मुर्गी कुछ दूरी पर एक ज़ारी में फ़स गई है और मदद के लिए किसी की तलाश में खडी है.
04:46मुन्मुन चालाक के साथ काफी दयालू भी थी और उसे मुर्गी की इस हालत पर दया आ जाती हैं
04:53और मुन्मुन अपनी सिंगों से उस जाड को मुर्गी के उपर से हटा देती हैं
04:59अपने उपर से जाड को हटा देख मुर्गी को राहत मिलती हैं और वो बक्री से कहती है
05:16मुझे बताओ क्या बात है और क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकती हूं
05:21हाँ मुर्गी बहन मैं इस जंगल में अपने मालिक की वजल से यहां आई हूं
05:26मैं जहां रहती हूं उस गाव में इस बार सूखा पड़ गया है और सभी लोग परेशान हो गये हैं
05:33मेरे भी मालिक की सब फसल खराब हो गयी है जिसकी वजल से वे काफी दुखी हैं
05:40और मैं यहां इस जंगल में अपने मालिक की परेशानी दूर करने का उपाय ढूडने आई हूं
05:47मैंने सुना है यह जंगल तरह तरह के पशु पक्षियों से भरा है
05:53हा, बेहन तुमने एकडम सही सुना है यहां हर तरह के पशु और पक्षी है
05:58मैं भी उनमें से एक हूं
06:01तुम घबराओ नहीं मैं तुम्हारी मदद करती हूं
06:04मैं एक सोने के अंडे देने वाली मुर्गी हूं
06:08तुम मेरे अंडे मेंसे एक अंडा ले जाकर अपने मालिक को दे दो
06:12जिसे वो बेच कर अपने नुकसान की भरपाई कर लगे
06:16मुर्गी की बात सुन
06:18मुन-मुन पास ही रखे अंडो मेंसे एक अंडा ले लेती हैं
06:25और अपने गाव में अपने मालिक के पास आ जाती हैं
06:38और उसकी खाट के पास रख वही पास में बैठ जाती हैं
06:42अगली सुभा मुन-मुन रामू को जगाने लगी
06:56रामू ने आखे मलते हुए पूचा
07:00क्या हुआ मुन-मुन इतनी जल्दी क्यों जगाया
07:03मुन-मुन ने मेम्ने की भाषा में कुछ ऐसा कहा
07:07जैसे वह कुछ बताना चाहती है
07:11रामू ने समझा कि मुन-मुन को कुछ जरूरी बात कहनी है
07:15रामू जैसे ही खाट से खड़ा हुआ
07:18वहाँ हैरान रह गया
07:21उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सोने का अंड़ा कहाँ से आया
07:27उसने मुन-मुन को प्यार से सहलाया और सोने के अंडे को
07:31अपने साथ ले आया.
07:40उसने सोने के अंडे को बेच दिया
07:43और खूब सारा अनाज खरीदा.
07:46अब उसके पास खाने के लिए भरपूर था.
07:49गाव वाले हैरान थे कि
07:51रामू के पास अचानक इतना धन कहां से आ गया.
07:55कुछ लोग ईर्श्यालू भी थे.
07:58उनोंने रामू पर कई तरह के आरोप लगाए.
08:02लेकिन रामू चुप रहा.
08:05वह जानता था कि सचाई क्या है
08:08और उसे मुन-मुन पर पूरा भरोसा था.
08:12रामू के घर के पास ही एक घर और था
08:16जिसमें एक लालची किसान रहता था.
08:20एक दिन वो रामू के घर आता है
08:37और रामू से अमीर बनने का राज पूछता है.
08:41रामू एक अच्छा आदमी था.
08:44वो अपने पडोसी को सब बात बता देता है
08:48कि किस तरह उसकी बक्री जंगल से जाकर एक सोने का अंडा लेकर आई.
08:53रामू की बात सुन उसका पडोसी अपने घर चला जाता है.
08:58जहाँ वो अपनी पत्नी को रामू के अमीर बनने की बात बता देता है.
09:20किसान और उसकी पत्नी दोनों बहुत लालची थे.
09:24कुछ दिनों बाद फिर से सूखा पडने लगा.
09:28इस बार रामू पहले से तयार था.
09:32उसने अपने खेत में कुए खुदवाएं और पानी की व्यवस्था की.
09:37और इस तरफ लालची किसान दंपती भी रामू के जैसे अमीर बनने के लिए अपनी बक्री को जानबुच कर जंगल में छोड आते हैं.
09:49और अपने घर चले आते हैं.
09:52बेचारी बक्री जंगल में चली जाती हैं और भेडिये का शिकार बन जाती हैं.
09:58इस लालची किसान अपनी बक्री को भी खो देता है और उसे लालच का फल मिल जाता है.
10:06इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए.
10:12मुश्किल समय में भी उम्मीद और द्रिधता से काम्याबी हासिल की जा सकती है.
10:19और कभी कभी हमारे सबसे चोटे दोस्त भी हमारे सबसे बड़े सहयोगी बन सकते हैं.

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