गर्मी में गाय और बैल का अनोखा प्यार HINDI KAHANIYA HINDI STORIES

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Video Description (Hindi):
गर्मी में गाय और बैल की इस अनोखी प्रेम कहानी में देखें कैसे पशु भी प्यार और दोस्ती के भाव समझते हैं। बच्चों और बड़ों के लिए यह एक मनोरंजक और शिक्षाप्रद हिंदी कहानी है। हमारी और भी रोचक कहानियों के लिए चैनल को सब्सक्राइब करें!

Video Description (English):
In this heartwarming story of a cow and bull during the summer, see how animals express love and friendship. This is a fun and educational Hindi story for kids and adults. Subscribe to our channel for more such interesting stories!
Transcript
00:00गर्मी में गाए और बैल का अनूखा प्यार
00:03उफ़ बहुत गर्मी लग रही है
00:05काश कही थोड़ा सा पानी का घूट मिल जाता
00:08हाँ हाँ चांदनी मैं अभी तुम्हारी लिए कही से थोड़ा सा पानी ले कर आता हूँ
00:12चांद और चांदनी एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे
00:15मानो उनका तो जैसे जन्मो जन्मो का नाता था
00:18दोनों एक दूसरे के लिए अपनी जान तक देने को संकोच नहीं करते थे
00:22चांदनी छै महिने की गर्बवती थी
00:24चांद को उसकी बहुत चिंता रहती थी
00:26क्योंकि गर्मियों का मौसम चल रहा था
00:29ये लो चांदनी पानी पीलो
00:31मैं तुम्हारे लिए थंडा पानी लेकर आना चाहता था
00:34लेकिन बढ़ी मुश्किल से चल्दी जल्दी में यही पानी मिला मुझे
00:37हाँ, कितना खयाल रखते हो तुम मेरा
00:40कैसे ना रखो चांदनी मैं तुम्हारा ध्याना अखिर
00:42तुम से और अपने होने वाले बच्चे से मैं इतना प्यार जो करता हूं
00:46क्या हुआ चांदनी तुम अचानक से इतनी चिंता में क्यों आ गई
00:50चांद, क्या तुम भूल गए
00:52माल्किन ने कहा है कि आज हमें हमारा नया मालिक लेने आएगा
00:56चांद, कहीं ऐसा ना हो कि माल्किन हमें अलग-अलग व्यक्तियों को दे दे
01:00एक ही घर में जाएंगे तो चिंता नहीं रहेगी, साथ में ही रहेंगे
01:04लेकिन अगर हमें अलग-अलग कर दिया तो
01:08मेरा तो बहुत मन गब्रा रहा है, मुझे बहुत डर लग रहा है, तुम से दूर नहीं रहना चाती
01:13तुम गब्राओ मत और ऐसे उल्टे सीदे खयाल अपने मन में भी मत लाओ, सब ठीक हो जाएगा, हम एक ही घर में जाएंगे
01:21चांद और चांदनी की मालकेन नीला नाम की बुजुर्ग और विद्वा महिला थी, जिसने बहुत लंबे समय तक चांद और चांदनी को अपने पास रखा, उनको खूब सेवा प्यार दिया
01:31लेकिन अब वो बुजुर्ग हो जुकी थी, सेवा नहीं कर पा रही थी, इस वजए से वो उन दोनों को किसी को बेच रही थी
01:38माझी, मुझे आपकी गाएं से कोई मतलब नहीं है, मुझे सिर्फ बैल चाहिए, क्योंकि मुझे अपनी खेती बाड़ी करानी है, कौन इतना जंजट पालेगा, गाएं साथ ले जाओंगा, तो उसकी सेवा करनी पड़ेगी, उपर से गर्बवती है, और कौन इसके और इस
02:08हाँ चांदनी, तुम घब्राओ मत, देखो, माल्किन पर भरोसा रखो, क्या पता, वो हमें समझे, वो ऐसा ना करें
02:15देखो बेटा माधव, जानते हो, मैंने इन दोनों को बहुत लंबे समय से रखा है, क्योंकि इन दोनों की बीच में बहुत प्यार है, बहुत प्यार करते हैं एक दूसरे से, हलाकि मुझे भी बैल की ज़रूरत नहीं थी, लेकिन मैंने इन्हे अलग करना ठीक नहीं समझा,
02:45इसलिए मैं इन्हे दे रही हूँ, ये दोनों बहुत ही समझदार काई और बैल हैं,
02:51भले ही जानवर है, लेकिन इंसानों से भी ज्यादा समझ और प्यार है इन दोनों में,
02:57अगर तुम्हें लेना है तो दोनों को ले जाओ
03:01वर्ना मैं इन्हें अलग-अलग करके किसी को भी नहीं दूँगी
03:05तब ही माधव कुछ सोचने लगता है
03:09अरे ये तो इतना अच्छा फट्टा-कट्टा बैल है
03:13अगर इस गाय को साथ में नहीं ले गया
03:15तो ये बुढिया बैल भी नहीं देगी
03:17इतने अच्छे बैल से हाथ तो बहटूंगा
03:19ऐसा करता हूँ इस गाय को भी साथ ले जाता हूँ
03:22फिर बात का बाद में देखूंगा
03:24इसका क्या करना है
03:26कि आप मुझे ये गाए भी दे दिजिये
03:28मैं इसकी अच्छे से सेवा करना चाता हूँ
03:30देखा चांद्री
03:32तुम यो ही घबरा रही थी
03:34माल्किन कबी भी हमारे साथ गलत नहीं कर सकती
03:36माल्किन अब बहुत बुरी हो चुकी है
03:38अब उनके बस का कुछ भी नहीं रहा है
03:40वो हमारी देख रेक नहीं कर सकती है
03:42शायद इसी वजए से
03:44हमें वो किसी को दे रही है
03:46चांद
03:48शायद तुम सही कह रहे हो
03:50लेकिन आगे भी सब सही रहे
03:52भगवान से यही प्रातना करती हूँ
03:54जाओ मेरे बच्चो
03:56मेरे बच्चो मैं तुम दोनों को
03:58किसी को देना नहीं चाहती थी
04:00लेकिन क्या करू
04:02बहुत बुजरग हो गई हूँ
04:04पता नहीं कब स्वर्ग सिधार जाओंगी
04:06तो तुम दोनों का
04:08यहाँ कौन होगा
04:10इसलिए मैं तुम दोनों को
04:12किसी को सौप रही हूँ
04:14माधव चांद और चांधनी को
04:16वहाँ से घर ले आता है
04:18दरसल माधव की पहले एक
04:20बहुत बड़ी किरानी की दुकान थी
04:22लेकिन ग्राहकों के साथ
04:24उसका बोलचाल बिल्कुल ठीक नहीं था
04:26जिस वजय से धीरे धीरे करके
04:28उसकी दुकान एक दम से बंद हो जाती है
04:30अब उसके पास करने के लिए
04:32कुछ काम भी नहीं था
04:34इसलिए वो अपनी जो छोटी सी
04:36खेती बाड़ी थी उसी को करना चाता था
04:38लेकिन उसको करने के लिए भी
04:40वो दो की बज़ाए एक बैल चाता था
04:42उसकी ऐसी सोच थी
04:44वो सोचता था
04:46कि अगर मैं दो बैल रखूंगा
04:48तो दो बैलों को खिलाना पिलाना पड़ेगा
04:50इसलिए वो एक ऐसा हट्टा कट्टा बैल चाता था
04:52जिससे वो अकेले ही
04:54खेत जोद के सारे खेत में काम करवा सके
04:56उपर से अब उसके उपर चांदनी की जिम्मेदारी भी आ गई थी
04:58अरे अरे चांदनी
05:00ये हमारा नया मालिक क्या कर रहा है
05:02ये हम दोनों को अलग अलग क्यों पांद रहा है
05:04ये गाए अब यही बाहर बंधेगी
05:06इसकी यही असली जगा है
05:08माधब चांद और चांदनी को अलग अलग बंध देता है
05:10चांद को वो गोशाला में रखता है
05:12और चांदनी को गोशाला के बाहर बंध देता है
05:14जहाँ पर बहुत सारे मच्चर और बहुत ज़ादा गर्मी थी
05:16चांद को खाने में हरी हरी खास
05:18जबकि चांदनी को भूका रखता है
05:48चांदनी को भूका रखता है
05:50चांदनी को भूका रखता है
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11:38चांदनी को भूका रखता है
11:40एक दिन राम जी अपनी पतनी लक्षमी से कहता है
11:43लक्षमी ओ लक्षमी अब जल्द ही हमारे भाग खुलने वाले हैं
11:48बहुत जल्द चांदनी को बच्चा हुने वाला है
11:50उसके बाद चांदनी खूब सारा दूद देगी
11:53उस दूद को बेचने मैं शहर जाओंगा
11:55हम खूब सारे पैसे कमाएंगे
11:59हाँ जी आप सही कह रहे हैं
12:01फिर कुछ दिन बाद चांदनी एक छोटे से बच्चडी को जनम देती है
12:05राम जी और लक्षमी बहुत खुश हो जाते हैं
12:07कुछ ही दिनों में राम जी की अच्छी खासी कमाएं चलने लगती है
12:11चांदनी जो भी दूद देती थी
12:13राम जी उसे सुभाई शहर जाकर बेचता था
12:15फिर एक दिन राम जी दूद बेचके शहर से घर लोटा
12:19तबी पीछे से एक आदमी राम जी को आवाज लगाता है
12:23राम जी भाई सुनिये तो
12:25हाँ बोलो क्या बात है भाई
12:27भाई मैं यहां से गुजर रहा था
12:29तबी मेरी नजर तुमारे बैल पर पड़ी
12:31तुमारा बैल मुझे बहुत अच्छा लगा
12:33मैं बैलो का व्यापारी हूँ
12:35मैंने देखा तुमारे पास तो एक ही बैल है
12:37तुम एक बैल का क्या करोगे
12:39मैं तुमें इसके अच्छे दाम दूँगा
12:41अगर तुम चाहो तो मुझे बेट दो
12:43नही नही भाई
12:45मुझे अपने बैल से बहुत प्यार है
12:47अगर तुम चाहो तो मुझे बेट दो
12:49मैंने बैल का क्या करोगे
12:51मैंने बैल का क्या करोगे
12:53मैंने बैल का क्या करोगे
12:55मैंने बैल का क्या करोगे
12:57मैंने बैल का क्या करोगे
12:59मैंने बैल का क्या करोगे
13:01मैंने बैल का क्या करोगे
13:03मैंने बैल का क्या करोगे
13:05आपने उस आदमी को
13:07बैल बेचने से मना क्यों किया जी
13:09तो तुम क्या चाहती हो, मैं चांद को बेच दू
13:11जानती हो न, जब हमारे पास
13:13कोई नहीं था, तो हमें छूटा सा
13:15चांद रास्ते में मिला था, और फिर
13:17जब से हम उसे घर लाये हैं, तो मानो
13:19हमारी किसमत ही बदल गई
13:21उफ आप कितना दिल से
13:23सोचते हैं जी, ऐसा कुछ
13:25नहीं है, और अगर कुछ ऐसा है भी
13:27तो क्या, सारी उमार उस बैल को
13:29मुफ्त में पालते रहना है क्या
13:31उसका तो हमें कुछ फाइदा भी नहीं है
13:33उफ सेट
13:35कितना अच्छा दाम दे रहा था
13:37मैं कह देती हूँ, आप
13:39कल ही सेट से बात करिये और
13:41इस चांद को बेच दीजे
13:43राम जी चांद से बहुत प्यार करता था
13:45वो उसे बेचना नहीं चाता था
13:47पत्नी के दवाव में आके चांद को
13:49बेचना पड़ता है, अगले दिन
13:51सेट बैल को लेने आता है
13:53सेट चांद को ले जाने के लिए रसी खोलता है
13:55तबी चांदनी चांद से कहती है
13:57ये कौन है और
13:59चांद तुम्हारे रसी क्यो खोल रहा है
14:01मुझे तो ऐसा लग रहा है
14:03मालिक ने मुझे बेच दिया है
14:05ये मेरा नया मालिक है
14:27फिर सेट रसी खोल के चांद को
14:29वहाँ से ले जाने लगता है
14:31बहुत दुख हो रहा था
14:33चांद पीछे मुढ मुढ के
14:35चांदनी और अपने बच्चो के ओर देख रहा था
14:37चांदनी का भी रो रो कर बुरा हाल था
14:39वही दूसरी ओर लक्षमी
14:41खुश थी कि चांद को बेच के
14:43अच्छा दाम मिला, रास्ते में चांद को
14:45सेट ने खुब मारा, घर पहुचने
14:47में पूरा दिन लग गया, चांद
14:49को बहुत बड़ी गोशाला में बांद दिया
14:51गया, जहां और भी बहुत सारे बैल
14:53थे और खाने को सुखी खास दी गई
14:55चांद का उस अंजानी जगह पर
14:57बिलकुल भी मन नहीं लग रहा था, उसने
14:59वो सुखी खास नहीं खाई और
15:01पूरी रात वहां से भागने की योजना
15:03बनाने लगा, वही दूसरी तरफ चांदनी
15:05ने भी चारा नहीं खाया, वो
15:07भूकी प्यासी ही थी, चांद
15:09जिस रसी से पंदा था, उसे उसने
15:11खीच कर तोड़ दिया, अगले दिन जब
15:13चांदनी ने देखा, तो चांद उसके
15:15सामने था, चांदनी को अपनी आखो
15:17पर यकीन नहीं हो रहा था, कि
15:19चांद लौट आया था, अब मैं
15:21चांद लौट आया है, उसे अपनी आखो पर यकीन नहीं हो रहा था.
15:51ये फिर से आ गया, नहीं नहीं,
15:53मैं नहीं जाओंगा
16:03सेट चांद को फिर से ले जाने लगता है,
16:05इस बार वो उसे मारता नहीं है,
16:07घर पहुँचके उसे गोशाला में
16:09बान देता है, उसे फिर से सूखी
16:11गास खिलाई जाती है, चांद
16:13को इस बार एक मोटी रसी से बान दिया जाता है,
16:15ता कि वो भाग न सके,
16:17पर फिर भी, वो वहाँ से
16:19भागने के बारे में सूचना नहीं छोड़ता,
16:21इस बार भागूंगा, तो
16:23चांदनी और अपने बच्चो को लेकर कहीं
16:25दूर जाओंगा, ता कि फिर से हमें
16:43आचानक से इतनी बिमार कैसे हो गई?
16:45ये सब तुम्हारी कारण हुआ है,
16:47तुम्हारे साथ मैं भी इस पाप का
16:49भागिदार बन गया हूँ.
16:51हाँ? मेरे कारण?
16:53मैंने क्या किया?
16:55क्या तुम अंधी हो गई हो?
16:57तुम्हें दिखता नहीं है?
16:59चांध और चांधनी का प्यार,
17:01वो दोनों एक दूसरे से कितना प्यार करते हैं.
17:03चांधनी का बच्चे का बाब भी चांध ही है.
17:05तबी चांध भाग भाग कर अपने परिवार के पास लोट आता है.
17:07और हमने किसी के परिवार को तोड़ा है.
17:09इसका पाब तो हमें जरूर लगेगा.
17:29उदर चांध पूरी रात रसी को तोड़ने में लगा रहता है.
17:31आकिरकार उसकी मेनत रंग लाई.
17:33वो उस मोटी रसी को तोड़ने में काम्याब हो ही जाता है.
17:35और रात में वहाँ से भाग जाता है.
17:37रात के अंधेरे में वो रास्ता भटक जाता है.
17:39और चलते चलते बहुत धख जाता है.
17:41उपर से भूक और प्यास से बहुत बुरा हाल था.
17:43फिर चांध को एक जगे हरी खाँस का खेद दिखता है.
17:45चांध उस खेद में गुष जाता है.
17:47एक जगे हरी खांस का खेद दिखता है
17:50चांद उस खेद में गुश जाता है और घांस खाने लगता है
17:53तबी कुछ लोग उसे घेर लेते हैं और पकड़के
17:56एक चोटी सी अंधेरी कोशाला में बांद देते हैं
17:59यहाँ पहले से बहुत दुर्बल पड़े हुए डरे जानवर थे
18:02राम जी अगले दिन सेट के पास चांद को लेने के लिए पहुचता है
18:05पर सेट से उसे पता चलता है कि चांद फिर से भाग गया
18:08राम जी आके अपनी पत्नी को बताता है
18:11दोनों चांद के लिए बहुत चिंतित होते हैं
18:14हमारा चांद कहां गया होगा अभी तक तो वो घर पहुच जाता
18:17पर उसका कोई अथा पता ही नहीं है
18:20कहां गया होगा वो भूका प्यासा
18:23आप सही कह रहे हैं हजी पर आप चिंदा मत करिये
18:27वही दूसरी तरफ चांद का उस कैद में तम गुढ रहा था
18:30वो सोच रहा था भगवान ने उसकी कितनी बुरी किसमत लिखी है
18:33और कितना और दुख देखना बाकी है
18:48तबी चांद दीवार को तोडने की सोचता है क्योंकि दीवार कची थी
18:52उसने सिंग मार मार कर दुवार तोड दी लेकिन तबी वहाँ गुशाला का मालेग आ जाता है
18:57और चांद को बहुतर मारता है
18:59चांद को इतना मार जाता है, कि वो जमीन पर घिट जाता है
19:02ये देख़ के सारे जानवर गुष्टम ओग चाते हैं
19:05और सारे उस आद्मी पर तूट परते हैं
19:08उसे मार डालते हैं
19:10और फिर सारे जानवर खुशी खुशी वहाँ से भाग चाते हैं
19:13चान्त भूका प्यासा था और मार खाके
19:15वो इतना दुरबल पड़ चुका था कि चल पाना अब उसके बस की बात नहीं थी
19:19पर फिर भी जैसे तैसे वो चल के घर पहुचा
19:22जैसे ही चांदनी ने उसे देखा मानो उसकी जान में जान आ गई हो
19:26वो चांद को पुछकार नहीं लगी
19:28तुम आ गए मैं जानती थी तुम जरूर आओगे
19:32कैसे नहीं आता अब मैं तुमें और अपने बच्चो को लेकर कहीं दूर चला जाओंगा
19:37चहां हमें कोई अलग ना कर सके कोई हम पे अपना हक ना जदा सके
19:41तब ही लक्षमी चांद को वापस पाकर खुश होकर कहती है
19:45चांद तु आ गया मुझे यकीन था तु जरूर आएगा
19:49अजी सुनते हो देखो तो कौन आया है
19:53कौन आया है हमारा चांद वापस लट आया है
19:57क्या चांद आ गया
19:59तबी राम जी रोते रोते उसके सर पे हांत फेड़ता है और कहता है
20:03मुझे माफ कर दो चांद मैं तुम दोनों का कुनेगार हूँ
20:07मुझे कोई हक नहीं बनता कि किसी के परिवार को तोड़ू
20:10और मैंने ये पाप किया मुझे बहुत पहले ही ये सब नहीं करना चाहिए था
20:14अब मैं तुम्हें कहीं नहीं बेचूँगा चांद हम सब साथ रहेंगे
20:18चांदनी मुझे लग रहा है कि मालिक और मालकिन अब समझ गए है
20:22अब वो दोबारा ऐसा नहीं करेंगे अब हमें भी इनको मौका देना चाहिए
20:26हाँ तुम सही कह रहे हो और वैसे भी गलती भी तो इंसानों से ही होती है
20:32और अंत भला तो सब भला और फिर सब खुशी से रहने लगते हैं

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