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वीडियो जानकारी: 26.06.24, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ मूल से समस्या का समाधान कैसे करें?
~ क्या समस्याओं का सतही इलाज करना ठीक है?
~ मन को स्वस्थ कैसे रखें?
~ व्यर्थ विचारों से कैसे बचें?
~ अच्छी नींद के लिए क्या करें?
~ दिनचर्या का ख्याल कैसे रखें?

जो उच्चतम है वह जल की तरह है। वह बिना प्रयास किए सभी चीज़ों का पोषण करता है। जिन निचले स्थानों का लोग तिरस्कार करते हैं, वह वहाँ भी संतुष्ट रहता है। अतः वह ताओ की तरह है।

The Supreme Good is like water. It nourishes all things without trying to. It is content even with the low places that people disdain. Thus, it is like the Tao.

~ ताओ ते चिंग, अध्याय 8, भाग-1

मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा ।
निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः ॥

आत्मज्ञान के प्रकाश में, अंधे कर्म सब त्याग दो
निराश हो निर्मम बनो, तापरहित बस युद्ध हो
(आचार्य प्रशांत द्वारा काव्यात्मक अर्थ)
~ भगवद् गीता - 3.30

हीरा पड़ा जो गैल में, दुनिया जाए डोल।
जहाँ हीरा का पारखी, तहाँ हीरा का मोल ।।
~ संत कबीर

संगीत: मिलिंद दाते
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