• 3 months ago
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The Wise Rat & Fearful Animals 3D Animated Hindi MoralStories for Kids बुद्धिमान चूहा और जानवर कहानी.

This story is about a clever rat. we should discuss about the rat cleverness when it was in danger. watch the video and learn best morals with #moralstoriesforkids . here the story is one day the rat went out to get food. all animals want to eat rat but the rat was very clever said all animals that if you kill my friends will not leave you. all animals scared for that words. here we need to learn the best moral that be clever in need situations

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Transcript
00:00चोजो केट्स
00:03बुद्धीमान चूहा राक्षस
00:06एक समय की बात है
00:08एक चूहा जंगल में भोजन की तलाश में जा रहा था
00:12कि तब ही उसके सामने एक लोमडी आ गई
00:15अरे वाह
00:16चूहे मुझे बहुत भूँक लगी है
00:19आज तुम्हारा ही बोजन करूँगी
00:22नहीं नहीं मुझे मत खाओ
00:24यहां पास में ही एक बहुत भयानक जानवर रहता है
00:28वो मेरा दोस्त है
00:30उसके पूरे शरीर में बाल ही बाल है
00:33लंबे लंबे तांथ है
00:35अगर तुमने मुझे कुछ किया
00:37तो वो तुम्हे मार देगा
00:39लोमडी तर गई
00:40और अपनी गुफा में वापस चली गई
00:43चूहा मज़े से धीरे धीरे चलने लगा
00:46उसका यहां उपाय बहुत काम का था
00:49रास्ते में उसे उल्लू मिला
00:52अच्छा हुआ तुम आ गए
00:54आज मैं तुम्हे खाओंगा
00:56नहीं नहीं मुझे मत खाओ
00:59अगर तुमने मुझे कुछ किया
01:01तो जिस पेड़ पर तुम रहते हो
01:03वही मेरा दोस्त आकर
01:05अपने बड़े दान्त और नाकुनों से
01:07तुम्हे मार डालेगा
01:09उल्लू सुनते ही अपने पेड़ पर चला गया
01:12और डर गया
01:15आगे चलकर चुहे को ठीक वैसा ही राक्षस मिला
01:18जिसके वारे में उसने उल्लू और राक्षस को बताया था
01:22और वह बहुत बुरी ताना डर गया
01:25अरे इतना भयानक राक्षस
01:28भगवान मेरी मदद करो
01:30हा हा हा अब मैं तुम्हे खा जाओंगा
01:34मजे खाने की सोचना भी मत
01:36मैं जंगल का राजा हूं
01:39मुझे खा कर कोई फायदा नहीं
01:41मुझसे सर कितना डर्ते हैं जानते हो
01:46तुमसे कोई डर्ता है
01:48दिखाओं मुझे כן काओं डर्ता है तुमसे
01:50आओ मेरे सात
01:52उस राक्षस को चूहा अपने साथ लेकर उल्लू पे टेड़ के पास पहुचा
01:57चूहे और राक्षस को साथ देखकर उल्लू बहुत डर गया
02:01और यह देखकर राक्षस बहुत हैरान दूआ
02:04आगे चलकर लोमडी की गुफा आई
02:07और चूहे ने कहा
02:09लोमडी, बाहर निकलो
02:10मेरा दोस्त तुमसे मिलना चाहता है
02:13जैसे ही लोमडी बाहर आयी
02:15राक्षस को देखकर वह दर गई
02:17और राक्षस को लगा
02:19कि ये चूहे की करामात है
02:21चूहे का खोफ है
02:23राक्षस बहुत बुरी तरां से डर गया और वहां से फाग गया
02:27अपनी बुद्धी मानी से लोमडी, उल्लू और राक्षस सब से बच गया चूटा सा चूहा
02:35बारिश और बिल्ली
02:39एक दिन बिल्ली मोर को नाशते हुए देखती है
02:44बड़ा मन तर रहा है धीखने का
02:47ये मोर कितना सुन्दर है और नाशते हुए तो और भी सुन्दर लगता है
02:54काश मैं भी इसकी तरह नाच पाती बारिश का मज़ा ले सकती
03:01बिल्ली जिस पेड़ के नीचे पैठी थी उसी पेड़ के उपर एक क़ुआ बैठा था
03:08क्या हो गया, क्या सोच रही हो बिल्ली मॉसी
03:12कच नहीं, बारिश का मज़ा लेना चाहती हूं
03:16पर क्या करूँ, खाली पेड़ तो कोई मज़ा नहीं
03:21अरे इतना उदास क्यों होती हो, आओ मेरे पास आओ
03:26इस पेड़ पर बड़े स्वाधिष्ट बेर लगे हैं
03:29आओ, मैं तुम्हें तोड़ कर खिलाता हूं
03:32अरे वाह, बिल्ली जट से पेड़ पर चड़ गई
03:36अरे ये तो बहुत अच्छा उपाए है
03:38क़ुए ने बिल्ली के लिए खूब सारे बेर तोड़े
03:42और दोनों ने मिलकर बेर को खाया
03:45अब कैसा लग रहा है बिल्ली मासी?
03:49हाँ, अब अच्छा लग रहा है
03:51बारिश हो रही है और पेट भी भरा हुआ है
03:55मोर भी लगता है नाज़ते नाज़ते ठक गया
03:59और हम खाते खाते
04:03हो, हो, हो
04:05हमें हर चीज में मज़ा आता है
04:07जब हम एक साथ अपनों के साथ रहते हैं
04:11बकरी और मुरगी
04:14एक दिन एक मुरगी के पैर बे
04:17चलते चलते बढ़ा सा काटा चुप गया
04:21बचाओ, बचाओ, कोई मेरे बदत करो
04:26ओ, बहुत दर्थ हो रहा है
04:29वही पास पे एक बकरी खास खा रही थी
04:33अरे, मैं, मैं, ये तो मदद कौन बाँग रहा है
04:37चलो, चल कर देखती हूं, मैं, मैं
04:41क्या हुआ तुम्हे, इतनी चिला क्यों रही हो
04:44मेरे पैर में काटा चुप गया है
04:47बहुत दर्थ हो रहा है
04:50चला भी नहीं जा रहा
04:52मेरा काटा निकाल दो बकरी
04:55मेरी बदध करो
04:57नहीं तो मुझे अकेला और कैल पाकर
05:00कोई भी मुरा शिकार कर सकता है
05:03मैं, मैं, जरूर, जरूर
05:05बकरि ने मुर्गी का काटा निकाल दिया
05:09अगर मुर्गी के पेर में ग़ाव बहुत बड़ा था
05:12सो चलना बहुत मुश्किल हो गया था
05:15शुक्रिया बक्री बहन
05:17मगर मैं अब चल नहीं पा रही
05:19कुछ करो
05:21बक्री बहुत अच्छी थी
05:22उसने मुर्गी को अपनी पीट पर विठा लिया
05:25और उसके घर भी छोड़ कर आई
05:56और इस तरह मुर्गी की चान एक पक्री ने बचाई
06:01भालू और रानी मदुमक्ऻी
06:04एक दिन भालू बड़े मज़े से
06:07पेड़ की चाओ में बैठा था
06:09तब ही उसने देखा
06:11कि सामने के पेड़ पर
06:13मदुमक्ऻी का बड़ा सा छटता है
06:16जिसमें शहद ही शहद है
06:19इतना सारा शहद
06:21अरे वाह!
06:23काश ये मुझे मिल चाए
06:26पर कैसे मिलेगा?
06:28भालू के मुझ में पानी आ गया
06:31अगले दिन भालू ने हिम्मत कर
06:34मदुमक्ऻी से कहा
06:36कैसी हो रानी जी
06:38मुझे आप से कुछ बात करनी है
06:42हाँ हाँ बोलो
06:43क्या कहना जाते हो?
06:45आपके छटे का जवाब नहीं
06:49आप बड़ी मेहनत करती हो
06:51और आपकी मेहनत देख
06:54मुझे बहुत खुशी मिलती है
06:57क्या कहा?
06:58बात क्या है?
07:00साफ साफ कहो भालू
07:02अच्छा
07:04वो आपके छटे को देखा
07:07तो सोचा
07:09अब तो बहुत शेहट जमा हो चुका है
07:13किसी दिन कोई दावत रखो
07:15हमे भी बुलाओ
07:17जंगल के बाकी जानवर भी बुलाओ
07:21कहीं ऐसा ना हो
07:22ये शेहट को चुरा ले
07:25रानी मदुमक्ही बहुत चालाक थी
07:28वो भालू की बातों में नहीं आई
07:31बलकि उसने चतुराई से भालू से कहा
07:35हाँ हाँ भालू भाई मैं समझ गई
07:38आप क्या कहना चाते हो
07:40शेहट खाने का दिल है आपका
07:43बाते मत बनाओ
07:45मैं सब समझती हूँ
07:47अच्छा
07:48भालू बहुत शर्मिंदा हो गया
07:51तब ही रानी मदुमक्ही ने कहा
07:53ये लो भालू भाई शेहट आपके लिए
07:57क्या क्या कहा मेरे लिए
08:00हाँ आपके लिए
08:03मगर आपको एक वादा करना होगा
08:06हाँ हाँ बोलो बोलो क्या वादा है
08:09बस आपको हर रोज मेरे घर का ध्यान रखना होगा
08:13और मेरे चते की रखवाली करनी होगी
08:17मैं हर रोज आपको शेहट खिलाऊँगी
08:20हाँ हाँ ये ठीक रहेगा
08:22ठीक है राणी जी
08:24आज से मैं आपका सेवक
08:27आपके चते का ख्याल रखूँगा
08:30आप मुझे हर रोज शेहट दीजिए
08:33इस तरहां राणी मक्ही ने चतराई से
08:37इतने बड़े भालू को अपना सेवक बना लिया
08:41साप और चीटी
08:44एक बड़े से पेड़ पर एक लमबासा
08:47ताकतवर साप रहता था
08:49उसके पेड़ के पास चीटियों का बड़ासा घर था
08:53जहां सबी चीटियां मजे से रहती थी
08:57साप पेड़ के उपर से उन्हें देखता रहता
09:01साप बहुत शैतान था
09:03वो जब भी अपना शिकार ढूंडने निकलता
09:06जान पूचकर अपनी पूच से चीटियों का घर तोड़ रहता
09:12हाँ, हाँ, बहुत भूँक लगी है
09:16चलो जंगल की सेर पर निकला जाय
09:21और इन चीटियों को भी कई दिनों से सताया भी तो नहीं
09:27आज ही इन्हें मज़ा चकाता हूँ
09:31साफधान, दोस्तों देखो, वो साप यहीं आ रहा है
09:36खुद को बचाओ, इस साप ने तो परिशान कर दिया है
09:40जब भी पेड़ से नीचे आता है
09:43हमारे घर को नुखसान पहुजाता है
09:46और पल भर में हमारी सारी मेहनत बरपात हो जाती है
09:50हमें कुछ करना होगा
09:53हाँ, मगर कैसे?
09:56मैंने साप को सबक सिखाने का उपाए सोच लिया है
10:00क्या उपाए?
10:02हम कहीं और जाकर अपना घर बनाएंगे
10:05नहीं, हम जहाँ जाएंगे ये वहीं आ जाएगा
10:10हमें इसे सबक सिखाने के लिए
10:12कुछ और करना होगा
10:14मैंने कुछ सोचा है
10:16जब सामप वापस लोटा
10:19जब सामप वापस लोटा
10:21और अपने पेड़ पर चड़ गया
10:23वहां पहले से राणी चीटी
10:25अपने सेना पती के साथ
10:27पेड़ पर चुप कर बैठी थी
10:30जैसे ही साम सुस्ताने बैठा
10:33और उसने अपनी आँखों को खोला
10:35तुरंट चीटीों ने
10:37लाल मिर्च डाल कर
10:39साम की आँखों पर हमला कर दिया
10:42अरे बचाओ, बचाओ, ये क्या हुआ?
10:46अरे बचाओ, बचाओ, ये क्या?
10:50मेरी आँखों में इतनी जलन कैसी?
10:53मुझे कुछ दिखाई क्यों नहीं दे रहा?
10:56अरे ये कौन है? बचाओ, बचाओ
11:02आब तुम्हें पता चला
11:04दूसरों को सताने में
11:05तुम्हें बहुत मज़ा आता है न?
11:07आज तुम्हें भी हम सता के मज़े ले रहे हैं
11:10मुझे माफ कर दो, मैं अब कभी ऐसा नहीं करूँगा
11:14मुझे बचाओ, मुझे बचाओ
11:17तब ही चीटियों ने पानी डाल कर
11:19साप के आँखों को धो दिया
11:21और उससे वादा लिया
11:23कि वो कभी चीटियों का घर नहीं तोड़ेगा
11:27मैं वादा करता हूँ
11:28इस तरह की शेतानी अब नहीं करूँगा
11:31तुम्हें कभी परिशान नहीं करूँगा
11:35एक जंगल के पास, दो देश के राजाओं के बीच
11:39पहत बड़ा युद्ध हो
11:41युद्ध समाफ्थ होने पर
11:43सेनाएं अपने-अपने राजों की और वापस चली गए
11:47लेकिन सेना का एक धोल
11:50युद्ध इस तल पर ही गलती से रह गया
11:53एक दिन आंधी आई
11:55और वह बेचारा धोल
11:58लुडक्ता-लुडक्ता हुआ
12:00जंगल के बीचों-बीच
12:11जब भी ठेनी उस धोल से टकराती
12:14तो उसमें से आबाज आती
12:19एक दिन एक सियार ने धोल की आबाज सुनी
12:23आबाज सुनकर सियार बहुत डर गया
12:26और सोचनी लगा
12:28जरूर कोई जानवर है
12:31पर सियार को कुछ समझ नहीं आया
12:34सियार छुप-छुप कर
12:36डर के मारे धोल पर नज़र रखनी लगा
12:39एक दिन वह देखता है
12:42कि लहरी धोल पर कूद रही है
12:44और हलकी सी धं की आवार भी हो रही है
12:49ओ, यह कोई डरावना जानवर नहीं है
12:53सियार थीरे-थीरे धोल तक पहुंचा
12:57पर बहुत डरा हुआ था
12:59उसे धोल का कोई सिर-पैर नज़र ही नहीं आ रहा था
13:03क्यूंकि पेड़ की टेहन्यों ने
13:05उसे बुरी तरह से जगड कर ठक दिया था
13:09अब समझ में आया
13:11हूँ, तो जानवर इस धोल के अन्दर है
13:16चरूर मोटा-ताजा होगा
13:18तब ही इतनी जोर से आवाज आती है
13:21सियार वापिस अपने घर आ जाता है
13:24और सब कुछ अपनी पत्नी को बताता है
13:27तुम उसे मार कर क्यों नहीं लाए?
13:29मैं मूर्ख नहीं हूँ
13:32वैं तो एक पोल के अंदर है
13:35अगर मैं उसे एक तरफ से पकड़ने की कोशिश करता
13:38तो वैं दूसरी तरफ से भाग जाता
13:41इसलिए अब हम दोनों उसे पकड़ने चलेंगे
13:44हाँ, तुम तो बड़ी समझदार होते जा रहे हो
13:48मेरे साथ रहते रहते
13:50यही ठीक रहेगा
13:52कल सवेरे सवेरे हम दोनों जंगल मे जाएंगे
13:56अगले दिन सियार और उसकी पत्मी
13:59सुभह-सुभह दोनों धॉल के पास पहुँच जाते हैं
14:03और दोनों एक-एक तरफ से
14:06चम्डी के खिनारों को काटने लगते हैं
14:09जैसे ही ढोल की चम्डी कटने लगी
14:13सियार बोला
14:14वश्यार रहना
14:16एक साथ ढोल में हाथ डालकर
14:18शिकार को पकड़ना है
14:20भव्राओ मत
14:21मैंने अच्छे से पकड़ा हुआ है ढोल को
14:23दोनोंने अपने हाथ शिकार को पकड़ने के लिए
14:28ढोल में डाले
14:29अरे ये क्या हुआ
14:31यहां तो कुछ भी नहीं है
14:34अरे हम तो बुद्धू बन गए
14:37और इस तरहां दोनों मूर्फ बन गए
14:40ढोल के अंदर कुछ नहीं था

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