All Reality shows and movies and dramas watch and Enjoy on this channel
Bhutiya Train full _ Haunted Train _ भूतिया ट्रेन _ Horror Story Animation _ Horror story hindi(480P)
Bhutiya Train full _ Haunted Train _ भूतिया ट्रेन _ Horror Story Animation _ Horror story hindi(480P)
Category
😹
FunTranscript
00:00ये लगभग दस साल पहले की बात है, जब मुझे एक नई नई नोकरी मिली थी और मेरी पोस्टिंग हुई थी पाथोर चंपा गाओ में, अब तो इस्टेशन का नाम भी बदल गया है, वो मैं आपको नहीं बता सकता।
00:17पर जब ये घटना मेरे साथ कटी, तब देश आजाध नहीं हुआ था। पाथोर चंपा गाओ पश्यम बंगाल का एक छुटा सा गाओ था। रेल्वे लाइन खराब होने के कारण सफर करने का सिर्फ एक ही उपाय था और वो थी बैलगारी।
00:33गर्मी और थंडी के मौसम में ज्यादा तकलीफ नहीं होती थी, लेकिन बरसात में और ज्यादा कीचड होने के वज़ा से और बैलगारी के पईये उसमें फस जाते थे और गाओ वाले हर रोज इस परिशानी का सामना करते थे। इसलिए हम लोग यहाँ पर आ गए। हम या
01:03काम था गाओ के लोगों से बाचीत करना और उनको कूली मज़दूर का काम दिलवाना इससे दो फायदे थे। इससे गाओ के लोगों को आर्थिक सहइता मिल जाती थी और हमें मज़दूर और कूली मिल जाते थे।
01:17हम घर से ट्रेन में बैट कर पाथोर चंपा गाओ पहुँचे तो तब तक रात हो चुगी थी।
01:31बैलगाडी से हमें लगबग दो घंटे में गाओ पहुँच जाते थे।
01:38लेकिन ठकान से मेरा पूरा शरीर दर्द कर रहा था। हम इस्टेशन से बाहर निकले तो बाहर कोई नहीं था।
01:46पूरा रास्ता सुनसान था लेकिन वहाँ पर चारो ओर इतना नधेरा था कि मानो रास्ता कंबल ओड कर सो रहा था।
01:54हलकी हलकी हवा चल रही थी और इतनी ठकान होने की वज़ा से मेरी आँखें बंद हो रही थी।
02:08मैं धिमान को भी देख रहा था उसकी हालत भी मेरे जैसे ही हो रही थी।
02:15मैं कुछ सोच रहा था तब ही धिमान बोला भाई क्या हम आज रात इस स्टेशन पर ही सो जाएं कल सुभा चले जाएंगे न।
02:26ठकान से मेरा पूरा शरीर तूट रहा था। मुझे तो ये भी नहीं पता था कि गाओ यहाँ से कितना दूर था।
02:32आगे का रास्ता देखा तो इतना अंधेरा था कि आगे बढ़ने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी।
02:37अगर मैं अपनी आखों से ये सब नहीं देखता तो मुझे यकीन भी नहीं होता कि अंधेरा इतना काला हो सकता है।
02:43मैं स्टेशन मास्टर के आफिस के तरफ गया।
02:47टिम टिमाती लाल्टीन की रोष्णी में मैंने देखा कि स्टेशन मास्टर के आफिस के बाहर ताला लगा हुआ है।
02:54मैंने पूरे स्टेशन पर देखा तो वहाँ कोई भी नहीं था।
02:59मेरी नजर धिमान पर पड़ी वो ठका हुआ था एक बेंच पर बैठा हुआ था और मैं भी बहुत ठक गया था तो उसके पास जाकर बैठ गया गर्मी भी बहुत थी
03:10हम खुले अस्मान के नीचे बैठे थे लेकिन यहां इतने मच्चर थे एक रात आप यहां बिताएंगे तो मलेरिया से मर जाएंगे आप इस बारे में क्या सोचते हैं
03:22लेकिन मुझे जवाप नहीं मिला तो मैं धिमान के तरफ देखा तो मैंने देखा कि धिमान सो गया था और उसके पैर बैंचे से नीचे लटक रहे थे तो मैंने उसको सीधा सुला दिया और थंदी थंदी हवा के कारण मुझे भी नींदा गयी
03:36सोय हुए पता ही नहीं कितनी दीर हो गयी थी लेकिन मुझे हलकी से गुन्गुनहट की आवाज आई और मेरी आखी खुली तो मैंने देखा कि स्टेशन पर बहुत सारे लोग थी
03:51वो लोग ऐसे खड़े थे कि जैसे कि अभी ट्रेन आने ही बाली थी मैं एक आदमी के पास गया और उससे पूछा लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया ऐसा लग रहा था कि जैसे उसने मेरी बात को अंसुना कर दिया है मैंने गडी में देखा तो सुभा के 3 बजे हुए �
04:22तब मुझे कुछ अजीब लगा क्योंकि सब लोग मुझे ही देख रहे थे
04:31मैंने लोगों से पूछने की कोशिश की लेकिन किसी ने मेरी बातों पर द्यान नहीं दिया और फिर अचानक सभी हाथ हिला कर मुझे बुला रहे थे
04:39मैं भी अचानक से आगे बढ़ने लगा मेरे पास कोई टिकेट नहीं था और मुझे ये भी नहीं पता था कि ये ट्रेन कौन सी थी और फिर भी मैं आगे ही बढ़ता जा रहा था
04:49तो मुझे लगा कि आगे सिगनल नहीं मिल रहा होगा लेकिन मैंने देखा कि वहाँ पर कोई नहीं था फिर भी ट्रेन रुक गई ऐसा लग रहा था कि मुझे लेकर ही जाएगा अब अच्छे से ध्यान देकर सुना तो सब मुझे ही बुला रहे थे
05:09आओ आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर आओ इधर �
05:39उस धक्के से मैं नीचे गिर पड़ा इस्टेशन की ऊपर
05:42और उसी वक रेम भी बहुत जोर आवाज के साथ काले अन्देरे में कहीं खो गया
05:49मैं स्थब दो कर इस्टेशन पर बैट गया
05:52दिमान अभी भी सो रहा है
05:55अब मैंने ध्यान से मेरे सामने बैठे आद्मी को देखा जिसे मैं चोटा समझ रहा था वो चोटा नहीं है
06:04बलकि उसके बीट पर एक बड़ा सा कूबड है कूबड के भार से कमर जुख कर चलता था वो मुझे चुबचा बैठे उसने देखा
06:13कितना बड़ा खत्रा होने वाला था अज अगर मैं नाया होता तो
06:19किस शीच का खत्रा
06:21वो शार्पिट ट्रेन है वो असली में है ही नहीं हर रात इसी तरह लोगों को नर्क में खीचने के लिए आती है
06:29एक बाद जो उस ट्रेन में चड़ा उसका पीछा कभी नहीं छोड़ती है वो
06:36मैं अपना कपड़ा जहारते हुए फिर से बेंच पर जाकर बैठा
06:42वो आदमी भी धीरे से आकर मेरे पास बैठा
06:46असल में बात क्या है जरा खुल कर बताएं
06:49मदे रात की ट्रेन है परन्तो तुम कह रहे हो शापिट ट्रेन
06:53मुझे भी लगा जैसे कोई पुकार से मैं समोहित होकर उठने ही वाला था
06:58वो आदमी और भी सपस्त आवाज में कहने लगा
07:01इस कारण वस रात में कोई स्टेशन पर नहीं रहता
07:03स्टेशन माश्टर जी रात के ग्यारा बस दे ही चले जाते है
07:08सिर्फ एक गाड रहता है रखवाली करने के लिए
07:13लेकिन वो भी नश्य में चूरो कर कहीं पड़ा होगा
07:17अगर अजारो ट्रेन भी आ जाए फिर भी उसकी नीम नहीं तूटनी वाली है
07:21परन्तु बाबु सहब आप लोग इतने रात में स्टेशन में क्यों?
07:26उससे सारी बात खुल कर बताने के बाद उसने कहा पाथोर चंपा गाउ अभी भी बहुत दूर है
07:33कुछ घंटे की बात है मैं ये सोचकर स्टेशन पर बैठा रहा
07:38सुबा होते ही मुझे बैल गाड़ी मिल जाएगी
07:42उस आदमी के धीरे धीरे अन्धेरे में कही खो जाते हुए देखा
07:49मैं बीचे से आवाज लगा कर तूछा आप कौन है? आपका नाम क्या है?
07:55मेरा नाम है अच्छा चलते हैं तिर मुलकात होगी
08:01उसका नाम सुनाई नहीं दिया उसे पहले ही वो कायब हो चुका था
08:13स्टेशन के नल के पानी से मुधो कर फिर से बेंच पर जाकर लेट गया
08:20फिर कब नीन च्छा गई आखो पर पता ही नहीं चला
08:24नीन तूटा धिमान के बुलाने पर अब उठ भी जाओ पर आशर आ चुका है
08:31स्टेशन के बाहर जाकर देखा बहलगारी की उपर बैठा है एक अधेड उम्र का आदमी
08:38हम दोनों को देख जल्दी गारी से उतर कर सब समान लेकर गारी में रखना शुरू किया
08:44बहलगारी पर बैठे तो हट हट आवाज करते हुए गारी अपनी गंतद की ओर चलना शुरू किया
08:51कल रात क्यों नहीं आय थे
08:54बाभू जी रात होने पे ये स्टेशन आना मतलब गाओ की बाते हैं साब
09:03धिमान को कल रात के बारे में नहीं पता था
09:06इसलिए मैं भी उसे कुछ नहीं बोला
09:09गारी इत्मनान से आगे बढ़ते जा रही थी
09:12चारो ओर प्राकतिक द्रिश्व को देख कर ही पता चलता था की एक पिछड़ा हुआ गाओ है
09:16कोई पक्का घर भी दिखाई नहीं दे रहा था
09:19कुछ देर तक चुक चाप चलने के बाद वैलगाडी का ड्रैवर ने कुछ से बोला
09:24मतलब बाबुजी कर रात को स्टेशन में कुछ देखा गया
09:30धिमान ने उतर दिया
09:32क्या देखेंगे
09:34असल में रात के तीन बजे एक सैथानी ट्रेन आती है
09:42सुनते ही मेरे पीट के बीचों बीच एक थंडी से लहर दो रहा था
09:47मतलब कल रात की घटना सची थी कोई सपना नहीं
09:51सुबा उठ कर मुझे सपना जैसे ही लग रहा था
09:55ये ट्रेन का क्या माजरा है
09:57फुदको जितना ही हो सके स्वाभाविक रखते हुए प्रशन पुछा
10:02वो थोड़ा हिच्किचाते हुए का
10:05वो ट्रेन आती है रात को
10:09जो मिलता है नरक के दरवाजे तक ले जाता है
10:14जो उस ट्रेन में चरता है
10:16वो फिर से प्रेत बन के पिठी में लोट के आते है
10:21मुक्ती नहीं मिलती उनको
10:24रोज रात को ये घटना बार बार घटती है
10:29कितने लोगों को ले गया है
10:32ये गाउं भी इसलिए पूरा खाली हो चुका है
10:37कुछ परिवार ही रहते हैं सिर्फ
10:40आखिर के कुछ बाते सुनकर सिर्फ पर हाथ दे कर बैट गया
10:45कोई नहीं रहता तो कुली और मजदूर कहां से मिलेंगे
10:50जब उसे ये बात पता चली तो उसने कहा
10:53डस पन्दरा घर मिला के पाथोड चपा गाउ है
10:58यहां पे मजदूर कहां मिलेंगा सहाब
11:00स्कूल के जिस गर पे आप लोगो के लिए रहने कर विवस्ता किया है
11:06वो गर भी तो आजकल बच्चो की पढ़ाई के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता
11:12बारी सोने पे हम लोग स्कूल पे ही अपना डेरा जमाते हैं
11:18मजदूर के लिए पास वाले गाउ में चाना पड़ेगा
11:23वो सब ले के सोचीए मत
11:25कंपनी का कागश दिखा कर पैसव की लालच में सभी आएंगे
11:31फिर कुछ पल सब चुपचा बैठे
11:37ब्रेत बन कर लोड आते हैं इस बात का क्या आर्थ है
11:41पराशर ने बोलना शुरू किया
11:45वो बहुत दिन पहली की बात है
11:49कही दूर से एक ट्रेन आती थी
11:53रात के तीन बजे स्टेशन पे आके रुपती है
11:57सिगनल नहीं था
11:59कुछ देर बाद स्टेशन मास्टर सिगनल दे दिया
12:05लेकिन उन्होंने ठीक तरीगे से देखा नहीं था
12:09कुछ ही दूर ट्रेन लाइन तूटी हुई थी
12:13एक भयंकर दुरघटना में उस ट्रेन की सभी यात्री मारे गये थे
12:20अद्भूत तरीगे से अगले दिन
12:23स्टेशन मास्टर की गटी हुई लास बरामत हुई थी
12:27स्टेशन घर से
12:30उसके बाद से ही राद दीन बजे वो ट्रेन लौट आती है
12:37उसके साथ ही सभी यात्री भी
12:41स्टेशन छोड के थोड़ी ही दूर में दुरघटना स्थल में आके ट्रेन गायब हो जाती है
12:50ये सभी बाते हम लोग सभी जानते हैं
12:54लेकिन कोई भी उस ट्रेन को देखने के लिए बाहर नहीं निकलता
12:59हमारी गाउं में एक लड़का था
13:02नाम था राजी
13:04बच्पन से ही वो बहुत साहसी था
13:08एक राद उसको लोटने में बहुत देर हो गया
13:13बैल गाड़ी नहीं मिला था
13:14इतनी राद इतना लंबा रस्ता कैसे आएगा ये सोचकर
13:19स्टेशन पे ही रुखने का सोचा उसने
13:23राद के तीन बज़े
13:25वो ही सैतानी ट्रेन लोट के आई
13:31आसपास जो भी आत्माये थी
13:35सभी स्टेशन पे इंतजार कर रहे थे
13:39ये पूरी घटना सुनकर मुझे कल राद के बाक्या याद आगी
13:45कैसे करके वो लोग भी मुझे इसारा करके बुला रहे थे
13:53उसके बाद
13:55वो सभी ट्रेन पे चड़ जाते हैं
13:59ऐसा ही चलता आया है
14:01जो भी उस स्टेशन पे अकेला रहता है
14:04उसे भी वो लोग बुलाते हैं
14:07अगर एक बाद ट्रेन पे चड़ गये
14:10पस वहाँ से कभी भी नहीं लौट सकते
14:15हमारा राजीब भी लौट के नहीं आया
14:20दिल ही दिल में धन्यवाद दिया उस आदमी को
14:23आखरी समय पर आकर मुझे बचाने के लिए
14:26काम पर आने से पहले ऐसे अब सगुन भारी बातों से मन विचलित हो गया
14:31यहां आकर कुछ गलती तो नहीं कर बैटा
14:35मुझे गंभीर रूप में देखकर दिमान ने पूछा
14:39क्या हुआ भाई इतने गंभीर क्यों लग रहे हो
14:44नहीं सोच रहा हूँ ये जगा
14:46लेकिन दिमान ने इसारा करते हुए मुझे चुक करवा दिया
14:50फिर कान के पास आकर बोला
14:53ये सब काम ना करने देने का बहाना है
14:56तुम्हें ये सब बोतों की असियत नहीं पता
15:00फिर इससे ज़दा कुछ नहीं कह सकता
15:02तुम्हें ये सब बोतों की असियत नहीं पता
15:06फिर इससे ज़दा कुछ नहीं कह सकता
15:09कुछ देर बाद गाड़ी इसकूल भवन के सामने आकर रुकी
15:14और सबी समान लेकर वो हम लोग अंदर प्रवेश किये
15:18पर अशर गाड़ी में बैट कर ही कहने लगा
15:21मैं इसको रखे आता हूँ बाबुजी
15:24बात्रुम में पानी है नाहा लीजेगा
15:27दोपैर का खाने का चिंता मत करिये बाबुजी
15:30मैं सब बनदवस्त कर दूँगा
15:34थंडे पानी से नहा कर मेरा मन इकदम तरोताजा हो गया
15:37पास के गिसी घर पर शायद परशर खाने के लिए बोल रखा था
15:42गरम गरम खिच्चडी और आलू की भाजी के साथ एक महिला घर के अंदर आई
15:48कल राज से कुछ खाना पीना नहीं हुआ था
15:51भूग से पेट के अंदर जैसे आग लग रही हो
15:53सब खानो मानो अमरी जैसे लग रहा हो
15:58जल्दी से खाना ख़त्म करके घर के अंदर चले गए विश्राम करने के लिए
16:03यहाँ स्कूल में एक कच मौजूद था
16:06मोटा कंबल बिचा कर सोने का आयोजन किया
16:08सारी रात की ठकान और पेट पूजा के बाद गहरी नींद आ गई
16:18सपने में देखा तो वो कुबड आदमी स्कूल के बाहर ख़डा
16:22स्कूल इस्टेशन के इक्टम पास मौजूद है
16:26फिर से वो ट्रेन पीज रखतार में आ रहे थे
16:28उसके पीट की आकरिती धीरे धीरे बदल रही थी
16:32मानो उसके पीट की उपर कोई इंसान दुबख कर बैठा है
16:38धीरे धीरे उस आदमी का चेहरा एक भयानक रूप में परवर्तित हो गया
16:42एक महिला थी जिसके सरीर पर कोई मांस का नामो निशान नहीं थी
16:44सिर्फ हड़ी दिखाए दे रहे थी
16:48वैसे ही बैठे थी उस आदमी के पीट पर और हाथ हिला कर मुझे बुला रहे थी
16:52आओ आओ
16:56एक तेजी से बढ़ते हुए स्कूल के तरफ आ रहे थी
17:00वो तेजी रोशनी में सहन नहीं कर पारा था
17:02मैंने आग बंद कर के दुखी
17:04अब वो औरक उस आदमी के पीट से उतर कर
17:06अपने सीने के बल पर मुझे मेरे पास आ भूची
17:10डर से मेरे सासे रुख ही गई थी
17:12ऐसा लग रहा था
17:14तब अचाने से किसी ने मेरे मुझे पानी उड़ेल दिया
17:16क्या हुआ? कोई बुरा सपना देख रहे थे?
17:18जोर जोर से सास लेते हुए बोला
17:20हाँ, हाँ, बुरा सपना ही देख रहा था
17:22मैंने आग बंद कर के दुखी
17:24अब वो औरक उस आदमी के पीट से उतर कर
17:26अपने सीने के बल पर मुझे मेरे पास आ भूची
17:28अपने से किसी ने मेरे मुझे पानी उड़ेल दिया
17:30चॉक कर उठ कर बैठा
17:32तो देखा धिमान मेरे एक दम
17:34मुझे के पास जुप कर बैठा है
17:36क्या हुआ? कोई बुरा सपना देख रहे थे?
17:38जोर जोर से सास लेते हुए बोला
17:40हाँ बुरा सपना ही देख रहा था
17:42एक गिलास पानी देकर मुझे बताया
17:44कल बूरी राद तुम सोय नहीं थे न
17:46इसलिए देखे होगे
17:48तुम विश्राम करो
17:50मैं गाउं गोंग कर आता हूँ
17:52साच के समय लाल्टेन की डिम डिम आते हुई रोष्णी में
17:54मैं गाउं गोंग कर आता हूँ
17:56साच के समय लाल्टेन की डिम डिम आते हुई रोष्णी में
17:58बैठने का सहास ही नहीं हो रहा था
18:00रोष्णी को देखकर ऐसा लग रहा था
18:02अंधिरिय उसके पास चुप कर बैठा है
18:04लग रहा था किसी बिछड उसे निगल जाएगा
18:06इस गाउं में अभी तक एलेट्रिसिटी की कोई विवस्था नहीं की गई थी
18:08काम कैसा होगा क्या पता
18:10धिमान मैं भी जाओंगा तुम्हारे साथ
18:12चलो एक बार
18:14सब देख लेना ही तो जरूरी है
18:16हम दोनों गाउं में कूली मजदूर ढूंडने लगे
18:18कुछ देर चलने के बाद
18:20बस बारा घर छोड़कर कुछ नजर नहीं आ रहा था
18:22इसकूल घर में आकर देख गया
18:24हम दोनों गाउं में कूली मजदूर ढूंडने लगे
18:26कुछ देर चलने के बाद
18:28कुछ देर चलने के बाद
18:30बस बारा घर छोड़कर कुछ नजर नहीं आ रहा था
18:32इसकूल घर में आकर देख गया
18:34हम दोनों गाउं में कूली मजदूर ढूंडने लगे
18:36कुछ देर चलने के बाद
18:38बस बारा घर छोड़कर कुछ नजर नहीं आ रहा था
18:40इसकूल घर में आकर देख गया
18:42परशर खाने के अंदिजाम करके बैठा है
18:44दोनों का सुखा पड़ा मुझ देखकर उसने कहा
18:46मैंने बोला था ना
18:48आप लोगों ने विश्वास नहीं किया
18:50इस गाउं में
18:52लोग ज्यादा देर ठीक नहीं पाते
18:54जो है
18:56ना उनको दिखाई देता है
18:58ना ही सुनाई देता है
19:00इस गाउं के बहुत लोग
19:02खो गये हैं धीरे धीरे
19:04आखिर में खो गये थे
19:06इस गाउं के ही मास्टर जी
19:08टारक नाथ रॉय
19:10उसके बाद से ही
19:12हमारे गाउं में
19:14मास्टर जी सेहर जा रहे थे
19:16इलाज के लिए बाबु जी
19:18वो लोग
19:20वोर के ट्रेन से जाने वाले
19:22नहीं खो गये थे
19:24नहीं खो गये थे
19:26नहीं खो गये थे
19:28नहीं खो गये थे
19:30नहीं खो गये थे
19:32नहीं खो गये थे
19:34नहीं खो गये थे
19:36मास्टर जी सेहर जा रहे थे
19:38मास्टर जी सेहर जा रहे थे
19:40इलाज के लिए बाबु जी
19:42वो लोग वोर के ट्रेन से जाने वाले थे
19:44वो लोग वोर के ट्रेन से जाने वाले थे
19:46रात को ही बैल गारी से
19:48बाप और बेटी
19:50स्टेशन पहुंच गय थे
19:52गारी ना देख कर
19:54गल्टी से ट्रेन में चड़ गय
19:56उसके बाद से
19:58उनका कोई आता पता नहीं
20:00कोई कोई कहता है
20:02कि ठीक उस समय
20:04तारकनाथ
20:06स्टेशन पे दिखाई देता है
20:10लेकिन अकेले नहीं
20:12अपंग लड़की
20:14उसके पीट पे बैठी रहती है
20:16दूर से देखके
20:18कूबर जैसे लगता है
20:20असल में
20:22वो अपनी बेटी को
20:24अपने पीट पे बिठाके गुमाते थे
20:28रात के तीन बजे
20:30वो सहतानी ट्रेन
20:32अगर कोई गाउवाले को
20:34उठाके ले जाए
20:36तारकनाथ अपनी बेटी के साथ
20:38वहाँ आ जाते हैं
20:40यह खबर
20:42गाउ में फैलते ही
20:44सभी धीरे धीरे
20:46गाउ से चले जा रहे हैं
20:48हम लोग कुछी परिवार हैं यहाँ
20:50हम कहीं और भी
20:52नहीं जा सकते
20:54इसलिए बोल रहा हूँ
20:56रात को स्टेशन में मज जायेगा
20:58बाबु जी
21:00पराशर चले जाने के बाद
21:02मुझे पत्थर के जैसे
21:04बैठे देखे धिमान ने पूचा
21:06क्या हुआ तुम्हे
21:08इतने पसीन है क्यों आ रहा है
21:10मेरे मुझ से एक भी शब नहीं
21:12निकल रहा था
21:14ये देख धिमान ने एक गिलास पानी
21:16देते हुए कहा
21:18अरे भाई ये सब कही सुनी बातियों
21:20पर विश्वास मत करो
21:22जैसे जैसे पानी
21:24पी कर उसे बोला
21:26कल राज जब तुम बेखबर सोई हुए थे
21:28तब मैंने भी देखा कि
21:30तारकनाच जी को
21:32मैंने अपनी आँकों से उस ट्रेन को देखा
21:34मैं ट्रेन पर चड़ाने ही वाला था
21:36लेकिन आखरी वक्त उस आदमी ने आकर
21:38मुझे बचा लिया
21:40उस रात और कोई बाचित नहीं हुई
21:42रात तीन बजे तक दोनों जाकर
21:44इंतजार कर रहे थी
21:46ठीक उसी समय पर ट्रेन की आवास सुनाई थी
21:48इन कुछ दिनों में हम दोनों ने बहुत प्रयास किया
21:50पर कुली मज़दूर ज्यादा मिले नहीं
21:52पाथोर चमपा गाउ नाम सुनके कोई नहीं आता था
21:54इसलिए सरकारी आफिस में चिठ्ठी बचा था
21:56इसलिए सरकारी आफिस में चिठ्ठी बचा था
21:58इसलिए सरकारी आफिस में चिठ्ठी बचा था
22:00इसलिए सरकारी आफिस में चिठ्ठी बचा था
22:02इसलिए सरकारी आफिस में चिठ्ठी बचा था
22:04इसलिए सरकारी आफिस में चिठ्ठी बचा था
22:06इसलिए सरकारी आफिस में चिठ्ठी बचा था
22:08इन कुछ दिनों में हम दोनों ने बहुत प्रयास किया
22:10पर कुली मस्दूर ज्यादा मिले नहीं
22:12पाथोर चंपा गाउ नाम सुनके कोई नहीं आता था
22:14इसलिए सरकारी आफिस में चिठ्ठी बचा था
22:16इसलिए सरकारी आफिस में चिठ्ठी बचा था
22:18कुछ महिने तक कामकास ठीक से हुआ
22:20हम सब इसकूल में घर में ही रहते थे
22:22हम सब इसकूल में घर में ही रहते थे
22:24हम सब इसकूल में घर में ही रहते थे
22:26हम सब इसकूल में घर में ही रहते थे
22:28हम सब इसकूल में घर में ही रहते थे
22:30हम सब इसकूल में घर में ही रहते थे
22:32हम सब इसकूल में घर में ही रहते थे
22:34हम सब इसकूल में घर में ही रहते थे
22:36हम सब इसकूल में घर में ही रहते थे
22:38हम सब इसकूल में घर में ही रहते थे
22:40हम सब इसकूल में घर में ही रहते थे
22:42हम सब इसकूल में ही रहते थे
22:44हम सब इसकूल में ही रहते थे
22:46हम सब इसकूल में ही रहते थे
22:48हम सब इसकूल में ही रहते थे
22:50हम सब इसकूल में ही रहते थे
22:52हम सब इसकूल में ही रहते थे
22:54हम सब इसकूल में ही रहते थे
22:56हम सब इसकूल में ही रहते थे
22:59उसकी ये बास सुनकर मेरा सारा सरीर डर से काप उठा
23:02लेकिन मुझे देखकर वो समझ गया
23:04मैं जाने से गदरा रहा हूँ
23:06उसने मुझे और कुछ नहीं कहके
23:08लाल्टेन लेके सीधा इस्टेशन की ओर चला दिया
23:12दोस्त सुचकर मैं उसके पीछे चल दिया
23:14तब रात के बज रहे थे 2.45
23:16इस्टेशन के पास वले गहने पेड़ के नीचे गहना गौरा था
23:21एक एक पल लग रहा था कि जैसे सालों के बराबर
23:25लग रहा था दोनों ही एक दूसरे के दिल की आहट सुन पा रहे थे
23:29ऐसा अचानक कोई फैसला लेना गलत तो नहीं था
23:36तबी एक तेज रोश्णी को देख दूगे मैंने धिमान से का
23:41देखो वो आ रहा है
23:46फिर से देखा तो ना जाने कहां से इस्टेशन की जमीन को चीर कर
23:49बहुत सारा शरीर हाजीर हो गया था
23:51लग रहा था जैसे ट्रेन का इंतिजार कर था
23:55सोडो की आवाज के साथ ट्रेन आ पहुंची
23:59पाथोर चंपा गाउं स्टेशन के प्लैटफॉर्म से अभी तर सभी आत्री ट्रेन पर चड़ने लगे
24:05धिमान मेरे कान के पास आकर धीरे से बोल उठा
24:07टारक मास्टर कहाँ है
24:11हाथ से सारा करते हुए दिखाया
24:14जमीन के साथ इकदम जुप कर चल रहा था
24:16एक इंसान
24:18स्टेशन के इस पार से उस पार
24:21उसके पीट पर उसकी आसहाय और अपंग लड़की
24:25उसे ही देख कर लग रहा था ये कुबड जैसा
24:27त्रेन के अंदर से सब यादरी अब हमे बलाने लगे
24:31आू, आू, इधर आओ
24:39आशर हो कर देखा द्यमान उनकि तरप्खीचा चला रहा था
24:43समझ गया कि वो मेरे जैसा
24:45सामोहित हो ज़ुका था
24:47मैने उसका हाथ पग़ड कर कहीचा
24:48दिमान उनकी तरफ खीचा चला रहा था।
24:50समझ गया कि वो मेरे जैसा
24:52सामोहित हो चुका था।
24:54मैंने उसका हाथ पगड़ कर खीचा।
24:56परन्तु वो हाथ छुड़ा कर फिर से
24:58ट्रेन के पास आकर धीरे धीरे जाने लगा।
25:00मैं चीख कर उसे बुलाया।
25:02दिमान उधर जाओ।
25:04तब ही मेरा ध्यान तारखनाथ के उपर गया।
25:08उन्होंने एक कठोर द्रिश्टी से हमें देखते हुए कहा।
25:12सब जानकर भी भिरीया बनने आ गये।
25:16उसके बीट के तरफ से
25:18दो ग्रोध से बहरी हुई आँखें नजर आई।
25:20मुझे पुरंट वो सपना यादा गया।
25:26मैंने मेरे अंदर की पूरी शक्ती को एकजुट करके दिमान को खीचा।
25:30और दोनों ही गिर गए पेड़ के नीचे।
25:34ट्रेन भी तीजी से आवाज करते हुए अंधेरे में ओजल हो गई।
25:36दिमान के हाथ पर गहरी चोट लग गई।
25:40चेतना आया तो उसने कहा, ये सब क्या था।
25:46मैंने उसे उत्तर नहीं दिया।
25:50हम दोनों को छोड़कर इस्टेशन पर और कोई नहीं था।
25:54तारकनार जी को भी कुछ अतापता नहीं था।
25:56सब समान लेकर इस्टेशन के बेंच के ऊपर बैठ गया।
25:58सुभा के ट्रेन बस कुछ ही देर में आने वाली थी।
26:02पाथोर चंपा गाउ छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चले जा रहे थे।
26:04लेकिन रह गया था तारकनार जैसे कुछ लोग जो साधारन वेक्ति के हमेशा रच्चा करेंगे।
26:34सुभा के ट्रेन बस कुछ ही देर मेशा हमेशा हमेशा करेंगे।