कार्टून चिड़िया | Episode New | Chidiya Wala Cartoon | Tuni Achi Cartoon | Hindi Kahani |
कार्टून Chidiya Wala Cartoon|Tuni Chidiya Cartoon | Hindi Cartoon Kahani|
We create unique contents. Interesting and new moral stories/Kahaniya.
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FunTranscript
00:00राद का समय था. गुर्या अपनी ममा के साथ अपने घर में लेड़ी हुई थी
00:06बम्मा, क्या परियों का देश सच में होता है?
00:10हाँ गुर्या देटी, जैसे हम पकषी अपनी दुनिया में रहते हैं
00:14ऐसे ही परियां भी अपने देस में रहती हैं
00:17कुछ परिया फूलों में रहतीं हैं, कुछ भाडलों में और तुम्हराने में।
00:21मंमा मेरा परियों से मिलने को बहत दिल करता है।
00:25क next मैं भी एक छोटी सी परि दी।
00:27मेरे भी पंख परियों की तरहां होते, सहफयद
00:31मेरे पास उनकी ठरहा एक जादूई छड़ी होती
00:35अपनी मममा से बातें करते करते गुढिया सो जाता है
00:39दूसरे दिन गुढिया को अपनी मममा के साथ उणण arrival
00:42सीखने जाना था
00:44गुढ़िया की मममा घुड़िया को बडे पेड के पास ले जाती है
00:48जगू बेटा, वो देखो, गुर्या भी उन्ना सीखने आई है।
00:52तुमने गुर्या से पहले उन्ना सीखना है और मेरा नाम रॉशन करना है।
00:57मम्मा, देखना मैं गुर्या से ज़्यादा तेज़ उडूंगा और अच्छे से उन्ना सीखूंगा।
01:03गुर्या भी अपनी पहली उडान लेती है और जगू भी
01:07गुर्या और जगू दोनों एक दूसरे से आगे भरना चाहते थे
01:12गुर्या गुर्या पेटी ज्यादा दूर मत जाओ वापिस आजाओ
01:17मगर गुर्या आके जाने के बजाएं उपर से उपर होती जाती है
01:22और वो उडती हुई बादलों तक पहँचाती है
01:26मम्मा! मम्मा! गुर्या तो बादलों में चली गई है
01:31वो कभी वापिस नहीं आयेगी
01:33जगु बेटा मेरी गुर्या कहा है वो लोट कर नहीं आई
01:37जगू कहता है कि तुम्हारी कुड़िया कुछ ज्यादा ही उंचाई में चली गई है और वो बातलों से भी उपर चली गई है
01:44ये सुनकर ममा चुड़िया रोने लग जा दी है
01:48गुड़िया मेरी बेटी ये क्या हुआ पहले ही दिन आम उस से भिचढड गई
01:53मेरी बेटी वापिस आ जाओ मैं मर जाओंगी तुम्हारे बिना
01:58चुड़िया अब तो तेरी बेटी कभी भी जिन्दा नहीं बचेगी वो मर जाएगी
02:03क्यूंकि आज तक बातलों में जाने वाला पक्षी लोट कर जिन्दा वापिस नहीं आया
02:08गोरी अपने बेटे जग्गु को लेकर घर चली जाती है और मा जड़िया वहां बैठ कर रोती रहती है
02:16ये मैं कहां आगे हूँ ये थूआ ही थूआ शायद ये तो बादल है
02:23गुढ्या खुद से ऐसे बातें करती है फिर उसे अपनी ममा की यादा आती है
02:28और वो एक बादल पर बैठे बैठे रोने लगती है
02:32मम्मा मम्मा मेरे पास आजाओ मुझे तैं लग रहा है
02:40चोटी जुढ्या तुम इतनी उंचाई पर क्यूं आई अब यहां से लोट कर जाना बहुत मुश्किल है
02:47हाँ मगर मुझे एक ऐसी दुन्या का बद़ा है जहां परिया रहती है
02:52मैं तुम्हे परियों के देश में पहचा देता हूँ
02:55शायद वो परिया तुम्हारी मदद कर दे
02:58बादल अंकल आप मुझे परियों के देश में ही ले जाए
03:02वहाँ जरूर कोई मेरी मदद करेगा
03:05फिर वो बादल हवाओ में उड़ता हुआ गुर्या को परियों के देश में ले जाता है
03:11अब मुझे वापिस जाना होगा क्योंके मैं यहां ज्यादा देर तक नहीं रह सकता
03:16फिर वो बादल वहां से वापिस चला जाता है
03:20यहां तो कोई परि नहीं है यहां तो मैं अकेली हूँ
03:25हर तरफ फल ही फल और फूल ही फूल थे
03:29गुर्या को भूक लकी हुई थी
03:31गुर्या सामने वाले पेड़ से एक मीठा फल तोड़ कर खाने लग दी है
03:36थोड़ी देड बाद वहाँ एक चॉपी परि आ जायति है
03:40चिरिया तुम चिरिया हो
03:43हां मैं किसी को देख रही थी
03:46माँफ करना मैंने पूछे बिना यहां से फल खा लीया
03:51मैंने पहली पार किसी को यहां देखा है
03:53चुड़िया आप यहाँ कैसे आई हो।
03:56गुढ्या चौटे परी को सारी बात बता दी है।
03:59और वो बादल मुझे यहाँ चोड़ कर चला गया।
04:02लेच मेरी मदद करें, मुझे किसी तरह मेरे घर पहुंचा दे।
04:07मेरी मम्मा मेरा इंदिजार करे ही होंगी।
04:11मैं तो बहुत चोटी हूँ, मैंने भी आज पहली बार ही उड़ना सीखा है।
04:16आप मेरे साथ मेरे घर आये।
04:18मम्मा बताएंगी कि अब हमें क्या करना होगा।
04:22फिर गुढ्या चोटी परी के साथ उसके घर चली जाती है।
04:27आप बहुत सुन्दर हो चोटी चुडिया।
04:30आंटी परी, मुझे मेरे घर वापिस जाना है।
04:33मुझे मम्मा की चिंदा हो रही है।
04:35मम्मा बरेशान होगी।
04:37बेटी चुडिया, हम अपने देश से दूसरे देश में नहीं जाती।
04:42मगर मैं किसी तरहां आपको आपके घर तक जरूर पहुंचाऊंगी।
04:47सारे रात घुडिया चोटी परी से बैठी बातें करती रहती है।
04:52क्या आपको कभी आपकी मम्मा से मार पड़ी है।
04:56हाँ, एक बार, एक बार मुझे मार पड़ी थी,
05:00जब मैंने घॉंसले में सूसू कर दिया था।
05:03ये सुनते चोटी परी हंसने लग जाती है।
05:07मुझे भी, मुझे भी इसे बात पर एक बार मार पड़ी थी।
05:12दूसरे दिन गोरी कवी सुभाँ सवेरे ही चुडिया के पास जाती है।
05:17चुडिया चुडिया, अपना दिल संभाल लो, मैं तुम्हें एक बहुत बुरी खबर सुनाने वाली हूँ।
05:23गोरी, क्या हुआ? सब ठीक तो है?
05:26मैं पहाडों पढ़ गई थी, वहाँ तुम्हारी बेटी के तूटे हुए पांक पढ़े हुए थे।
05:31शायद तुम्हारी बेटी वहाँ गिर गई होगी और मर गई होगी।
05:35नहीं, मेरी बेटी के साथ ऐसा नहीं हो सकता।
05:39चुडिया, अगर मेरा विश्वास नहीं तो जा कर देख लो।
05:43रोती हुई चुडिया पहाडों की तरफ चली जाती है।
05:47और गोरी गवी चुडिया के घर में पढ़ा हुआ सारा दाना चुरा कर वहां से भाग जाती है।
05:55कालू, कालू जी, मैंने चुडिया को छोट बोल कर पहाडों पर भेश दिया और उसका सारा दाना चुरा लाई हूँ।
06:03गोरी, वो चुडिया पहले ही बहुत दुखी है।
06:07मा चुडिया पहाडों पर जाकर रोती रहती है।
06:12छोटी परी बेटी, आप गुढिया के साथ जाओ और ये फूल अपने साथ लेती जाओ, ये फूल आपको दिशा बताता जाएगा।
06:20गुढिया खुश हो जाती है और अपनी दोस्त छोटी परी के साथ वहां से निकलती है।
06:27थोड़ी दूर जाकर छोटी परी और गुढिया एक जगा बैठ जाती है।
06:33मेरे प्यारे फूल हमें रास्ता बता दो, हमें किस दिशा में जाना है।
06:39यहां से सीधा जाओ Aur जिस चगा ये बड़ा नारियल का पेड़ हो वहां से सागर के तरफ भड़ जाना।
06:48दोनों से हेलिया फिरसे उडती हैं।
06:51उड़ते-ुडते वो दोनों नारियल के बड़े पेड़ के पास पहँँ जाती हैं।
06:57''छॉटी परी, मेरा नार्यल खाोने को दिल लगा है''
07:00''क्या मैं नार्यल खा सकती जा था?''
07:02''हाँ। मैं भी नार्यल खाओंगी''
07:05دोनों कुडीया और छोटी परी
07:07नार्यल के पेट से नार्यल तोड़कर खा रही थी
07:10कि गुढ्या को किसी की आवास शुनाए दे दी है
07:14बजाओ, बजाओ, मेरी मदद करो
07:17छौटी परी कोई हमें बुला रहा है, हमें जाना होगा
07:22जब छौटी परी और गुढ्या नदी पर जाती हैं
07:25तो छौटी सी तितली नदी में घिरी हुई थी
07:28गुर्या मैं नदी में नहीं जा सकती अगर मेरे पंख भ्येके तो मैं मर जाओंगी
07:35ठीक है दोस्ट ये काम मैं करती हूँ
07:38फिर गुर्या चोटी दिदली के पास जा दी है और उसे अपनी चौन से उठा कर नदी से बाहिर ला कर छोड़ दे दी है
07:46आप बहुत सुन्दर हो और बहुत अच्छी
07:50आपके पंख तो मेरी दोस्ट चोटी परी जैसे हैं
07:54हाँ क्योंके इन तितलियों के पंख मेरी मम्मा ही रंगती है
07:59फिर तितली को सुरक्षन जगा पहुंचाने के बाद गुरिया और चौटी तितली भुलाब के फूल से दिशा का पूछती है
08:07साकर के सामने जो जंगल आएगा वो गुरिया का जंगल ही है
08:13शाम से पहले ही चोटी परी गुरिया को लेकर उसके घर तक पहुंचाती है
08:19ममा चुडिया अपने घर के बाहर बैठी हुई थी
08:23गुरिया पीछे से जाकर अपनी ममा को आवाज देती है
08:27ममा मैं आगई
08:29ममा चुडिया की तो खुशी से चींख ही निकल जाती है
08:33गुरिया मेरी बेटी मुझे विश्वास था कि मेरी बेटी जरूर लोट कर आएगी
08:39फिर चोटी परी गुरिया का घर देखती है
08:43और गुरिया की ममा उन दोनों को मेथा लाल शर्पत बना कर बिलाती है
08:49ऐसे गुरिया सुरक्षत घर पहुंचाती है