एक बार महाराजजी मसूरी में थे तो वहाँ एक पुराना सत्संगी आया।जब वो महाराजजी के पास गया तो महाराजजी ने उससे पूछा,"तू आ गया?"
सत्संगी ने कहा"हाँ महाराजजी, आपकी कृपा से आ गया"। फिर महाराजजी किसी अन्य सत्संगी से वार्ता करने लगे और पुराने सत्संगी की ओर ध्यान नहीं दिया।
फ़िर थोड़ी देर बाद उसी पुराने सत्संगी से महाराजजी ने पूछा, "तू आ गया? " और उसने भी वही उत्तर दिया कि "हाँ महाराजजी, आपकी कृपा से आ गया"।
फिर महाराजजी किसी और सत्संगी के साथ व्यस्त हो गए। थोड़ी देर बाद महाराजजी ने उसी सत्संगी से कहा"तुम जानते हो कृपा क्या होती है ?"
सत्संगी ने कहा"नहीं महाराजजी,आप ही बताइये।".
तब महाराजजी ने कहा "एक बार श्री कृष्ण कहीं जा रहे थे और उन्हे राधारानी से विरह महसूस हो रहा था।उन्हें बहुत ज्यादा विरह सता रहा था, फिर वे किसी वृक्ष के सहारे गिरे, और उनका हाथ किसी गंदे तालाब मे जा गिरा। जब उन्होने अपना हाथ बाहर निकाला तो उन्होने देखा कि उनके हाथ मे बहुत सारे कीड़े हैं। ठाकुरजी ने सोचा, "अब ये कीड़े मेरे हाथ मे आएँ हैं तो मै इनको फिर उस गंदे तालाब मे नही डालूंगा,मैं इन्हें मनुष्य शरीर दूंगा । पर फिर उन्होंने सोचा कि सिर्फ मनुष्य देह से काम नही बनेगा । मै स्वयं गुरु रूप में अवतरित होकर इनका कल्याण भी करूँगा ओर श्री महाराज जी ने उच्च स्वर में कहा *तुम सब वही कीड़े हो* ।
ऐसे कृपावतार भला हमारे सद्गुरु के अलावा ओर कौन महापुरुष हो सकता है ।
श्रीमद सद्गुरु सरकार की जय♂️♂️♂️
सत्संगी ने कहा"हाँ महाराजजी, आपकी कृपा से आ गया"। फिर महाराजजी किसी अन्य सत्संगी से वार्ता करने लगे और पुराने सत्संगी की ओर ध्यान नहीं दिया।
फ़िर थोड़ी देर बाद उसी पुराने सत्संगी से महाराजजी ने पूछा, "तू आ गया? " और उसने भी वही उत्तर दिया कि "हाँ महाराजजी, आपकी कृपा से आ गया"।
फिर महाराजजी किसी और सत्संगी के साथ व्यस्त हो गए। थोड़ी देर बाद महाराजजी ने उसी सत्संगी से कहा"तुम जानते हो कृपा क्या होती है ?"
सत्संगी ने कहा"नहीं महाराजजी,आप ही बताइये।".
तब महाराजजी ने कहा "एक बार श्री कृष्ण कहीं जा रहे थे और उन्हे राधारानी से विरह महसूस हो रहा था।उन्हें बहुत ज्यादा विरह सता रहा था, फिर वे किसी वृक्ष के सहारे गिरे, और उनका हाथ किसी गंदे तालाब मे जा गिरा। जब उन्होने अपना हाथ बाहर निकाला तो उन्होने देखा कि उनके हाथ मे बहुत सारे कीड़े हैं। ठाकुरजी ने सोचा, "अब ये कीड़े मेरे हाथ मे आएँ हैं तो मै इनको फिर उस गंदे तालाब मे नही डालूंगा,मैं इन्हें मनुष्य शरीर दूंगा । पर फिर उन्होंने सोचा कि सिर्फ मनुष्य देह से काम नही बनेगा । मै स्वयं गुरु रूप में अवतरित होकर इनका कल्याण भी करूँगा ओर श्री महाराज जी ने उच्च स्वर में कहा *तुम सब वही कीड़े हो* ।
ऐसे कृपावतार भला हमारे सद्गुरु के अलावा ओर कौन महापुरुष हो सकता है ।
श्रीमद सद्गुरु सरकार की जय♂️♂️♂️
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00:00The one who thinks all day and all night about what is right and what is wrong,
00:05he is like this, he is like that, his nose is like this, his face is like this, he is like that.
00:11The one who thinks about the enemy like this,
00:15that scoundrel, yes, I met him, he is like this,
00:19that scoundrel said this to me, he insulted me so much, I...
00:24The one who thinks about the enemy like this,
00:27that scoundrel, yes, I met him, he is like this,
00:31he is like that, his nose is like this, his face is like this,
00:35he is like that, his nose is like this, his face is like this.
00:39The one who thinks about the enemy like this,
00:43that scoundrel, yes, I met him, he is like this,
00:47that scoundrel said this to me, he insulted me so much,
00:51that even the big demons got a taste of it,
00:55because their mind had gone to sleep.