गांधी जयंती

  • 2 weeks ago
गांधी jayanti
Transcript
00:00महालाल भादू साद्गी की दो महानिस्तम जिनोंने सिम्पिल लिविंग और हाई थिंकिंग को हमेसा अपनाया
00:09साथ ही एक ने नारा दिया जय जवान अत्पुरे देश की अन्य उत्पादन में आत्मनिर्भर्ता पर ने बल दिया था
00:17साथ ही रक्षा को मजबूत करने का तियान भी दिया था महात्मा गांडी जी की जो भी आदर से रहे उनसे तो हर कोई बिश्व परचित है
00:25तो इस परकार थटे के उपलक्षे में सहर भर में आयुजिन किये गए और चात्र चात्र ने भी इस बीच अपनी रैली निकाल कर उन्हें अपने अपने तरीके से याद किया और उन्होंने जो भी बात कही वो आज के परिपेक्ष सतव तक भी काफी महत्पोर हो जाती है हम
00:56आज परिपेक्ष सतव तक भी काफी महतपोर हो जाती है हम
01:05आज परिपेक्ष सतव तक भी काफी महतपोर हो जाती है हम
01:14आज परिपेक्ष सतव तक भी काफी महतपोर हो जाती है हम
01:20आज परिपेक्ष सतव तक भी काफी महतपोर हो जाती है हम
01:27आज परिपेक्ष सतव तक भी काफी महतपोर हो जाती है हम
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01:40आज परिपेक्ष सतव तक भी काफी महतपोर हो जाती है हम
01:44आज परिपेक्ष सतव तक भी काफी महतपार हो जाती है हम
02:06तो दोस्तों इस तरह से वापसी के तयारी घध के तरफ आने
02:10गवर्मेंट बस रोड बेज बस इजर बैस्ट और चिप पूए फार कम बैक
02:17सस्ता सुलप साधन होती है किसी भी एरिया पर आप चले जाओ
02:22बस के अंदर से बाहर का भीव इस तरसे दिखाई देता है
02:29शरोवर के तड़ से होते हुए यह बस लगबध चार किरो मेटर की दूरी अभी और ताय करेगी फिर वापस नैनी ताल की तरफ चले जाएगी
02:39इसकी सर्विस बहुती कभी कभी मिस हो जाती है दर्वाईज आती ही है जाधरतार छुट्टी के दिनाव मैं इसकी सर्विस मिस हो जाती है संडे के दिन मैंने देखी नहीं कभी आती है कभी नहीं आती है फिराल आज तो आही गई है और अब मैं वापस घर की तरफ आ गिया
03:09और भी यह पर एक टुवे टाइप का बना हुआ है एक तरफ का रास्ता आने के लिए और एक तरफ का रास्ता जाने के लिए जो बहां से अउट्साइडर आते हैं उन्हें भी ज्यादा पता नहीं होता हला कि एंडिकेशन लगा है जो एंडिकेशन भी कुछ लो
03:39यह एकड़म नीचे जाने के लिए रास्ता है
03:41और ये आने के रास्ता
03:43इन्कमिंग और आउड्गूइंग का एक अलग लग रास्ता है
03:47पहले एक ही रास्ता था जब हम स्कूल पढ़ते थे
03:49और नीचे एक बसडड़ा हुआ घटा था जिसमाँ सारी बसे
03:53यही पर आक देती उस समय में जगह भी काफी थे
03:55अब तो जगह इतनी कम हो गई है
03:57कि आप ढंग से चल फर भी नहीं सकते
03:59यहाँ पर टैक्सी स्टेंड भी हो गया
04:01उस समय में रोडवे बसड़ड़ा था
04:03और सब के पास अपने
04:05आवागमन के साधन नहीं थे
04:07तो इस तरह के से अभी
04:09बस रुकी हुई है
04:11जब थोड़ा सा रूट यहाँ से
04:13किलियर होता है तभी यह बस
04:15आगे बढ़ पाएगी पहाड के
04:17सढ़कों में यह डिस्टवांटेज् होता है
04:19चौड़ी सढ़गे यहाँ पर नहीं
04:21प्रहाल यहाँ पर हमेशा ही
04:23चौड़ी बस या टरक वगर आ जाता है
04:25तो इस नेरो पाथ में
04:27अक्षर जाम की
04:29हमेशा ही इस्तिति बने रहती है
04:31जब स्कूली छुट्टी के समय होता है
04:33अथवा रोडवेज अथवा बड़ी टरक वगर आते है
04:35तो दोस्तों
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05:05आप सबी को
05:07लाल बहादव सास्त्र और महत्मा गांधी जी की
05:09जियनती की हारदिक शुप कामना है
05:11एक बार मन से अगर हम
05:13उनके बताये वे आदर्श पर चल पाए
05:15तो यहीं उनके परती हमारी
05:17सची
05:19सर्धा भक्ती होती है
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