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भेड़िया HORROR STORY | BHEDIYA PART 4 | HINDI KAHANIYA | HINDI STORIES
भेड़िया Part 4 | BHEDIYA IN UP | UP REAL STORY | HINDI BEDTIME STORY
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FunTranscript
00:00अब तक आपने भाग तीन में देखा आधंकोर बेडिया शामू पर नोकिले नखुनों से वार करके उसको मार देता है।
00:18गाउं वालों को उसकी लाश चंगल में पड़ी हुई मिलती है।
00:23बेडिये का खौफ पूरे गाउं में और भी ज़्यादा बढ़ जाता है।
00:28सेट जी का भाई नमन और गाउं के कुछ लोग मिलकर सर्पन जी के पास जाति हैं।
00:35सर्पन जी आधंकोर बेडिया की बात का जिकर और समाधान प्राचीन पुछ्तक में लिखा हुआ लोगों को बताती हैं।
00:43बेड़िया रात में काउं में गुशकर गाउं के लोगों को मा भी लगता है।
00:49अब दूच्ये आगे।
00:51आरे आरे भाई भाई भाई हर्या तुम ठीक तो होना।
00:55हाँ भाई हाँ भाई कल राध जो कुछ भी हुआ वै मैं कभी नहीं बुला सकता।
01:05हाँ भाई वै बात तो हम सब कोई नहीं बुला सकते।
01:09उस उस उस उस उस उस बेड़िये का ध्यांकर रूम अब अबी मैं आख बंद करता हूँ तो मेरी आखों के सामने आ जाता है।
01:22हाँ भाई ठीक क्या रहे हो तुम।
01:24तबी वहाँ सेड़ जी का भाई नमन आ जाता है।
01:27भाई नमन क्या करें यार कल रात जो कुछ भी हुआ अच्छा नहीं हुआ।
01:35ऐसे तो हर रात पूरे गाउंवालो को डर ही लगता रहेगा।
01:40वह बेडिया हर रात हम सब में से ऐसे ही एकेक करके सब को मार देगा।
01:47हाँ भाई हमें कुछ करना ही होगा। और इन सब बातों में एक बात तो बहुत अच्छी हो गई।
01:55वो क्या?
01:57हमें यह पता चल गया कि ये आधमखोर बेडिया आख से डरता है।
02:03आख से?
02:05भाई कल जब भोलू ने हरिया को बचाने के लिए जलती लकडी उस भेडिये पर फैकी तब कैसे वह जंगल में भाग कर छिप गया।
02:14इससे पता चलता है कि वह बहुत ज़्यादा आख से डरता है।
02:18हाँ भाई नमन कहे तो तुम ठीक रहे हो।
02:23तबी वहाँ सर्पन जी आ जाते हैं।
02:26राम राम सर्पन जी आ हा राम राम राम राम आयो।
02:30सर्पन जी हम हम क्या करे हमें कुछ समझ नहीं आ रहा। इस भेडिये से बचने का कोई तो उपाय होगा।
02:39हाँ नमन बेटा मैं समझ सकता हूँ।
02:42कल जो घटना हम सब गाउं वालों के साथ हुई है उससे मैं बहुत चिंतित हूँ।
02:48इसलिए इस पुस्तक का कल जो मैं जिकर कर रहा था मैं इस पुस्तक को कल राख से ही पढ़ रहा था।
02:54और भगवान की किरपा देखो कि उस पुस्तक में ऐसे ही मानव भेडिये के बारे में लिखा था।
03:01तो सर्पन जी अब आप ही हमें समाधान बताईए।
03:05बेटा इस पुस्तक में लिखा है कि काचीन समय में भी ऐसा ही कुछ इस गाउं में पहले हुआ था।
03:13इस भेडिये की आत्मा का किसी गाउंवाले के अंदर आना और फिर एक एक करके पूरे गाउंवालों को खतम करना ऐसा पहले भी हुआ था।
03:22इसका उपाए है कि हमें एक बहुत बड़ा लोहे का पिंजरा बनाना पड़ेगा और उस भेडिये को उस पिंजरे में फसाना पड़ेगा।
03:30क्या क्या हां बेड़ा और इस पुस्तक में कुछ ऐसे मंतर लिखे हैं जिसे पढ़कर भेडिये की जादूई ताकत को खतम किया जा सकता है।
03:42भाईयो इस काम को करने के लिए हम सब को एक दूसरे की मदद करनी होगी नहीं तो इस आदमखोर भेडिये से पूरे गाउं को मरने से कोई नहीं बचा सकता।
03:55पर सेड़ जी हम इतना बड़ा पिंजरा कहां से लाएंगे।
04:01एसा पिंजरा हमें यही गाउं में तैयार करना पड़ेगा जिससे की वे भेडिया इसमें फ़स सके।
04:09पर सेड़ जी अब तो शाम हो गई है आज आज में कैसे हो पाएगा सब।
04:17हम सब ऐसा करते हैं यह सब काम हम दो दिन बात करते हैं।
04:23आज रात को शाम होते ही कोई भी गाउंवाला घर से बाहर नहीं निकलेगा और हम सब को अपने अपने घर में चोकरना रहना पड़ेगा।
04:38सबी गाउंवाले अपने अपने घर के बाहर आग जला कर रखेंगे।
04:42उस प्राचिन बुस्तक में यह भी लिखा था कि भेडिया आग से बहुत जाला डरता है। इसलिए हम लोग अपनी रक्षा के लिए घर के बाहर आग जला के रखनी होगी।
04:52हाँ हाँ सेड़ जी कल हर्या ने जैसे ही भेडिया पर जलती हुई लकडी फैकी वै भेडिया बाग कर फटाफट जाडियों में जाके छुप पड़ा। इसका मतलब वै आग से बहुत जाला डरता है।
05:04हाँ हाँ हाँ तो ठीक है भाईयों सब लोग आज रात चोकर न रहना। ऐसा कहतर सरपंजी वहां से चले जाते हैं। फिर थोड़ी देर बाद ही शाम हो जाती है।
05:16अरे अरे अरे अरे जल्दी से सब सब काम ख़तब करके धर्म के अंदर दर्बाजा बंद करके छुप जाता हूँ। अरे अरे अरे अरे अरे सरपंजी सरपंजी ने कहा था आग करके बहर आग जला कर रखना और मैं आग जलाना तो भूल ही गया। जल्दी कर जल्दी कर ला
05:46जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्�
06:16जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्दी कर ला जल्�
06:46वो यह तो मुझे जिन्बाखी चमा जाओगा
06:53फिर थोड़ी तेर बाद ही भेडिया भूंता गुफता पूरे गाओं से बाहर चला जाता है
07:00अगली सुबा
07:02गाओं के सभी लोग जल्दी से उठ कर भेडिये को पकडने के लिए बड़ा पिंजरा बनाने की तयारी करने लगते हैं
07:10जिसके लिए वे गाओं से बाहर जाकर पहुँच सा लोहा खाईत कर लाते हैं
07:15और उसी लोहे से वे विशाल पिंजरा बना लेते हैं
07:19शाम तक सब गाओं वाले मिलकर बड़ा पिंजरा तयार कर लेते हैं
07:32एक समय की बात है धोलपूर गाओं में रमेश और सुरेश दो भाई रहा करते थे
07:39रमेश और सुरेश के पिताजी धोलपूर गाओं के मशूर रावन का पुतला बनाने में माहिर थे
07:46उनके पिताजी का देहान धो जाने के बाद रमेश और सुरेश ने अपने पिताजी का कारोबार संभाला
07:53दोनों भाईयों के आपस में ना बनने के कारण दोनों अपने पिताजी का कारोबार बात लेते हैं और अलग-अलग रहने लगते हैं
08:02कुछ दिनों बाद ही दशेरे का त्युहार आने वाला होता है पूरे गाउ में रावन देहन की ही बाते हो रही होती हैं
08:11अरे भाई रमेश इस बार रावन देहन पर तुमारी क्या तयारी हैं? हर साल तो तुमारे पिताजी ही धोलपूर के लिए रावन बनाते थे इस बार तुमारी क्या तयारी हैं?
08:27हाँ भाई तयारी तो पूरी है जब सरपंजी बोलेंगे तब काम शुरू हो जाएगा
08:34हाँ हाँ हाँ ये तो है भाई पर रावन बनाने का ओडर किसे मिलेगा? तुमें या तुमारे भाई को?
08:43भाई ओडर किसी को भी मिले मुझे मिले या मेरे छोटे भाई को क्या फरक पड़ता है?
08:51रमेश बहुत ही सीदा और महनती इंसान था वहें अमेशा अपने छोटे भाई की भलाई ही चाता था
08:59वहीं दूसी तरफ सुरेश हाँ भाई सुरेश कैसा चल रहा है काम?
09:05हा हा हा यार काम तो बढ़िया ही चल रहा है जब से अपना काम शुरू किया है अब कोई जंजट नहीं
09:13और अब दशेरा आ रहा है देखना सरपन जी मुझे ही रावन बनाने का ओडर देंगे
09:19हा हा हा भाई और ध्यान रखना तुम्हारा भाई रमेश भी ये ओडर ले सकता है
09:37ये सब बाते सरपन जी के कानों में पढ़ती हैं
09:41सरपन जी बहुत ही समझदार और सब की भलाई करने वाले इंसान थे
09:46ये सब सुनकर वे सोच में पढ़ते हैं कि किसे रावन बनाने का ओडर दिया जाए
09:52फिर सरपन जी के दिमाग में एक ख्याल आता है कि क्यों ना मैं रावन बनाने की एक परत्योगिदा रख दू
10:00जिसमें रमेश और सुरेश जिसका भी रावन सबसे बढ़िया और अलग होगा उसे ही इनाम दिया जाएगा
10:07फिर अगले दिन सुनो सुनो सुनो सरपन जी का कहना है कि इस बार दशेरे के लिए रावन बनाने का ओडर रमेश या सुरेश में से किसी एक को दिया जाएगा
10:23अब देखना यह है कि कौन कितना बढ़िया और सबसे अलग रावन बना सकता है इसके लिए सरपन जी ने एक रावन बनाव प्रतियोगिता रखी है इन दोनों में से जो भी इस प्रतियोगिता को जीतेगा उसे गाउं की तरह से इनाम दिया जाएगा यह सुनकर सब लोग �
10:53इससे के मेरा रावन सबसे अलग हो मुझे कुछ ऐसा रावन बनाना चाहिए जिससे की लोगों का भलाख हो सके
11:01ऐसा क्या होगा तबी रमेश के दिमाग में एक ख्याल आता है अरे हाँ यह तो बढ़िया रहेगा
11:11इस रावन के पुतले से तो सरपन जी बहुत खुश हो जाएगे और साथ ही साथ गाओं के लोगों का भी बहुत भला हो जाएगा
11:19अरे वाह यह कहकर रमेश रावन को बनाने में लग जाता है वहीं दूसी तरफ सुरेष
11:27हाँ मैंने कहाना हमारा रावन ऐसा होना चाहिए कि धोलपूर तो क्या पाकि के सभी गाउं में ऐसा रावन कभी न जला हो
11:37रावन ऐसा हो जो बहुत ही बड़ा और आतिष बाजियों वाला हो पर मालिक ऐसा रावन बनाने में तो बहुत ही लकडियां और पटाके लग जाएंगे उसमें तो बहुत ही जादा खर्चा आ जाएगा
11:53मुझे ये सब कुछ नहीं सुनना ये मेरी इजट का सवाल है मैं अपने उस भाई से कभी हारना नहीं चाहता और साथ ही उस घमंडी सरपंच को भी तो सबक सिखाना है तुम तयारी शुरू कर दो
12:08जि जि जी मालिक
12:10फिर दोनों भाई रमेश और सुरेश अपने अपने रावन को बनाने में लग जाते हैं और एक हफते तक खूब महनत करते हैं
12:18आखिरकार दशेरे कावय पावन दिन भी आ जाता है जब रावन देहन किया जाना होता है
12:25डोलपुर गाउं में रमेश और सुरेश दोनों के रावन गाउं के चोक में लगे होई होते हैं और दोनों पुतलों पर जब तक प्रतियोगिता का परिणाम नहीं आ जाता काले कपड़े से दोनों ही रावनों के पुतलों को ढख दिया जाता है
12:44देखा ना मैंने कहा था ना रमेश मेरे बनाएफे पुतल की क्या बराबरी करेगा देखो इसका पुतला हमारे पुतले से कितना चोटा है
12:56फे सरपन जी कहते है भाईयो और बहनों धोरपुल के सभी वासियों आज हम दशेरे के पावन अफसर पर यहां रावन दहन करने के लिए इकठटा हुए हैं
13:09रमेश और सुरेश दोनों ने ही बहुत महनत के साथ यह रावन के पुतले बनाए हैं
13:16और भाईयो आप लोगों को ही यह सब तै करना है कि कुण सा रावन सबसे जादा अच्छा और सबसे अलग है
13:25फिर दोनों रावनों के पुतलों से कपड़ा हटाया जाता है जैसे ही काला कपड़ा हटता है गाउं के लोग चोक जाते हैं
13:35अच्छे पहले सुरेश के रावन को देखकर लोग हैरान हो जाते हैं कि इतने बड़े रावन का पुतला धोलपूर क्या धोलपूर के आसपास के किसी भी गाउं में इतना बड़ा रावन का पुतला रहले कभी जलाय ही नहीं गया था
13:48फिर साथ ही रमेश के रावन पर लोग की नज़र जाती हैं तो रमेश के रावन को देखकर सभी लोग कुछी के मारे हस पड़ते हैं
13:57रमेश का रावन पूरा ही समोर्सो और जलेवी से बना हुआ होता है यह देखकर गाउं के बच्चे बहुत खुश होते हैं
14:06मेरे सभी ढोलपूर के वासियों मेरे रावन के पुतले को देखकर बले ही आप सब को हजी आ रही होदी पर मैंने ऐसा रावन इसलिए बनाया है कि हम लोग हर साल रावन को जलागर राक कर देते हैं जिससे की हमारे पैसे की बरभादी होती है
14:22मैं यह नहीं कहता कि रावन चलाना कोई बुरी बात है बलकि रावन चलाना तो बहुत ही अच्छी बात है पर मेरे प्यारे दोस्तों इस रावन को बनाने का उदेश है बस इतना ही था कि इस रावन में लगे समोसे और जलेबी हमारे सारे गाउं में बाटे जाएं जिससे क
14:52पूरे गाउं मिलकर रावन देहन करता है और साथ ही रमेश के बने हुए रावन की मिठाई और समोसे पूरे गाउं में बाटे जाते हैं
15:22तो आपको इस वीडियो कैसी लगी आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं और साथ ही साथ ये जरूर बताएं कि इस वीडियो का आपको सबसे अच्छा पार्ट कौन सा लगा और आपको इस वीडियो से क्या सीखने को मिला और अगर वीडियो भाई यहां तक देखी होगी त
15:52इसने भी वीडियो से भाई वो सब मैंने ही लिखी है वो सब scripting और animation वगर सब मैं फुदी कर रहा हूँ
15:57तो भाई महरत फुज चल रही है अगर आप सबका support रहा है तो ऐसे ही हम आगे बढ़ते चले जाएंगे
16:02तो मैं मिलता हूँ आपको next ऐसे ही मज़ेदार stories के लिए तब तक के लिए टेक किया