Swaraj Hindi web series Season-1 HD , Ep 4

  • 2 days ago
Bharat ke swatantrata sangram ki samagra gatha

S1.E4 ∙ Freedom Fighter Shivappa Nayaka

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Transcript
00:00स्वराज में आज देखिये शिवपपा नायक की महान गाथा
00:30पुरतुगालियों को पराजित कर
00:32मंगलूरू के किले पर विजय प्राप्त कर
00:35और नायक सामराज पर अपनी जीत का पर्चम लहराने वाले
00:40मेरे प्रीय भाई शिवपपा नायक
00:44और मेरे प्रीय पुत्र राजकुमार वीरभत्र का अविनंदन किया जाए
00:49मेरे प्रीय शिवपपा नायक
00:59मेरे प्रीय शिवपपा नायक
01:09मेरे प्रीय शिवपपा नायक
01:16मेरे प्रीय शिवपपा नायक
01:46मेरे प्रीय शिवपपा नायक
01:56मेरे प्रीय शिवपपा नायक
02:06मेरे प्रीय शिवपपा नायक
02:16मेरे प्रीय शिवपपा नायक
02:26मेरे प्रीय शिवपपा नायक
02:36मेरे प्रीय शिवपपा नायक
02:46मेरे प्रीय शिवपपा नायक
02:56मेरे प्रीय शिवपपा नायक
03:06मेरे प्रीय शिवपपा नायक
03:16मेरे प्रीय शिवपपा नायक
03:26मेरे प्रीय शिवपपा नायक
03:36मेरे प्रीय शिवपपा नायक
03:46वीर भदर ने हमारे लिए योद किया भी और जीते भी
03:52आप सही कहने हैं आतिके हमारे योवराज बहुत होनार है
03:57चिकप्पा कही मेरा उपास तो नहीं उडा रहे है
04:02हमें ग्यात है युद्धभूमी से लोटने के बाद आपको भोक लगी होगी
04:07युद्धभूमी से लोटने के बाद आपको भोक लगी होगी
04:11इसलिए अम्मा ने स्वयं भोजन बनाया है अपने वीर पुत्र के लिए
04:18चलिए
04:20जये राज कुमार वीर भदर नायक
04:27शिवपपा नायक एक महान योध्धा थे
04:31और उनकी प्रशासनिक शमता भी बहुत उत्तम थी
04:35परन्तु इन सब से बढ़कर वे एक बहुत ही कुशल प्रशिक्षक थे
04:42उनमें एक योग्य राजा के सारे गुण थे
04:46फिर भी
04:48वे ना तो कभी राज सीहासन पर पैठे
04:50और ना ही उन्हें राज सीहासन की कभी लालसा थे
05:20प्रशासनिक शमता भी बहुत उत्तम थे
05:24परन्तु इन सब से बढ़कर वे एक बहुत उत्तम थे
05:28परन्तु इन सब से बढ़कर वे एक बहुत उत्तम थे
05:32परन्तु इन सब से बढ़कर वे एक बहुत उत्तम थे
05:35ढेखसरया, इं देस खेसरया
05:49totalmente fulfilled
05:53हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हर जिनना से उत्तम शम्ब्स एक गोत थे
05:57मारता देALI समय तरह spoonful समय ई लगते है
06:00आए सुकंध कारण बचते है
06:02दोनों को ही चुपा पाणा आसान नहीं होता.
06:06आप किस असत्ति कि बाद कर रहें?
06:08उस्थzna ङा असत्ति कि
06:10जिसका भार हम दोनों से सहिन नहीं हो पारा।
06:14इससे पहले कि व्हार भोज बन जाए
06:16तुम हमें वो सत्य बता दो शिवा
06:20सत्य तो यह है
06:22कि वीर भधर यद्भूमी में
06:24आया ही नहीं
06:28ये तो हम उसे देखते ही समझ गय थे
06:32लिकिन एक पिता का हिरदय उस सत्य को
06:34सिकारना नहीं चाहता था
06:36अन्ना
06:38अभी अपना वीर छोटा है अन्ना
06:40छोटा नहीं आयोग्या है वो
06:42गुर्वान के गुन पालने में ही देख जाते है
06:46अगर आयो से योगिता पढ़ती तो
06:48पूत्रा का वध नहीं होता
06:50आप छिन्था मत कीजी अन्ना
06:52मैं हूँ ना
06:54छिन्थित नहीं भैवीत हैं
06:56हमें भैव है तममा
06:58क्या हमने आज तक जो भी संचित किया
07:00जो भी संचे किया
07:02कहीं हमारा पुत्र वो सब कमानत है
07:06हमारे बाद इस सिंघासन पर वैटने के अगर
07:08कोई योग्या है तो वो तुम होता मा
07:12नहीं अन्ना
07:14भावनात्मक निर्णे कभी-कभी बहुत पीडा देते है
07:16और आपको तो ग्याथ है
07:18राजा बनकर राज करना
07:20मेरा स्वापना नहीं
07:22मैं तो एक सेवक बनकर
07:24अपनी प्रजा की सेवा करना चाहता हूँ
07:26परंतु
07:28किन्तु परंतु कुछ भी नहीं अन्ना
07:30भविश्य की चिन्ता करके
07:32हम क्यूं इस स्वादिश्ट भोजन के उपेक्षा करें
07:34और वैसे भी आप तो
07:36एक सो बीस वर्षों से अधिक जी होगे अन्ना
07:38लेज़े भोजन भी जी आप
07:40एक सो बीस वर्षों
07:42अच्छा
07:44तो मेरे विशय में बात हो रही है चिकपपा
07:46मैं अन्ना को बता रहा था
07:48कैसे आपने सबकी आँखों में धूल जों की थी
07:52सबकी आँखों में?
07:54मेरा अर्थ है कि शत्रूं की आँखों में
07:58मैंना कहती थी
08:00महावीर है मेरा बिटा
08:02और बताओ न शिवा
08:04कैसे यूद किया मेरे मगाने?
08:06मायू के जमानते के तीवर और अध्रिश्च
08:08किसी को दिखाई नहीं दे रहा था यूद भूमे में
08:12बुर्तगालियों को भी नहीं
08:16सच में मगा?
08:20देखा? मैंना कहती थी
08:22लाखों में एक है मेरा बिटा
08:36अगर जब जब जब बंदिया
08:38जब जब जब जब जमान कर तो
08:40वे धारत पर भक से भक दाया
08:42यह स्पिर्ट अपनी ही है
08:44इसके खील के लिए
08:46भी जन की की
09:02जब जब जब जब जब
09:04वाषीयों के साथ अत्याचार किया जा रहा है महाराजु
09:08उन्हें लगता है कि हम भारती मूल के इसाई
09:10गुप्तरूप से हिंदू धर्मों का पालंग कर रहे हैं
09:14महाराजु
09:15इसलिए वह हमारा घर जला रहा है
09:17हम पर अत्याचार कर रहा है और
09:19हम बेगर हो गयें माराद
09:21हम बेगर हो गयें
09:23उस समय भारत के पश्चिमी तट पर व्यापार कर रहे पूर्तुगालियों का लक्ष केवल व्यापार करना नहीं था
09:31पलकि अपने इसाई धर्म को हर हिंदुस्तानी पर थौपना चाहते थे
09:37नहीं नायक सामराज्जे में कोई बेगर नहीं हो सकता
09:41यहाँ हिंदु, मुस्लिम, इसाई सब एक समान हैं
09:45किन्तु पूर्तुगालि
09:47पूर्तुगालियों को तो अभी अभी हमने मंगलोर युद्ध में नाकों चने चबवाए हैं
09:51आप सबी यहाँ निष्चिंद होकर रह सकते हैं
09:55निष्चिंद कैसे रहें चिकपपा?
09:57इस प्रकार इन्हें यहाँ शरण दी तो
09:59हो सकता है कि हमारे सामराज्जे पर कोई गंभीर समस्या जाए
10:02गंभीर समस्याओं को समझने के लिए आप अभी बहुत चोटे हैं राजकुमार वीरबद्र
10:08समय आने पर आपकी सोजावों को हम गंभीरता से लेंगे
10:13उस दिन की प्रतिक्षा आप से अथिक मुझे हैं महाराज
10:17स्मार्ण रहे
10:19जब प्रजा अपनी आखों में आशा लेकर अपने राजा को अपना दुखड़ा सुनाती है
10:24तो समझ रही जिये कि प्रजा को अपनी राजा पर ईश्वर से भी अधिक विश्वास है
10:31ये विश्वास तूटना नहीं चाहिए
10:35जी महाराज
10:36जब तक हमारा तम्मा, हमारा भाई, शिवपा नायक जीवित है
10:45तब तक आप लोगों को भैभीत होने की कोई आवश्यक्ता नहीं
10:50ये आप लोगों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेंगे
10:54कोवा तक संधेसा भिजवा दिया जाए
10:57कि नायक सामराज्य के द्वार उनके लिए हमेशा खोले
11:03महाराज की जय हो
11:24मगा
11:26वीरा
11:28मेरी बात तो सुनो मगा
11:30मगा
11:39अन्ना
11:41अन्ना आपको कुछ नहीं होगा
11:43अन्ना
11:48मेरे 120 वर्ष कितनी जल्दी पूरे होगा है तम्मा
11:52कही ईश्वर ने वरषों के तिन तो कम नहीं कर दी ऐ
11:57नहीं अन्ना
11:59अन्ना आप मुझे अकेला छोड़ कर नहीं जासकते
12:02अकेला कान छोड़ रहा हूँ शिवा
12:05अपना सहारा भार और नायक सामराज्य
12:09सब कुछ के तो सोम चाँवु
12:10सोपके जा रहा हूँ.
12:11अन्ना, मुझे आपकी आवश्यक्ता है.
12:14और वीर भद्र को तुम्हारी.
12:17भले ही वो अर्जुन नहों
12:20पर तुम्हें उसका कृष्ण बनना होगा.
12:23मेरे पुत्र का ध्यान..
12:27पुत्र!
12:29महराज..
12:30महराज, मारे पुत्र को अशिर्वात दिजिए.
12:33अस्षिर्वात दिजिये कि इकेरी सम्राज्ज के महाराज के रूप में अस्षिष्मी हूँ.
12:40अशिर्वात देजे, महाराज.
12:42आशिर्वात दीजे महराज
12:44इकेरी महराज वेंकटपनायक समझ चुके थे
12:47कि उनके पुत्र भीरभधर में
12:49इकेरी के सिहासन पर बैठने की
12:52ना तो कोई योग्यता है
12:55और ना ही पूर्टुगालियों का सामना करने की क्षमता
12:58इसलिए वे अपने पुत्र को नहीं बलकि अपने छोटे भाई को
13:02राज्य के भावी शासक के रूप में देखना चाहते थे
13:08शिवा
13:09दूसरी तरफ शिवपपा नायक को
13:11सिहासन पर बैठने की कोई आकांशा नहीं थे
13:16वे प्रजा पर राज नहीं
13:18बलकि प्रजा की सेवा करना चाहते थे
13:37राज धर्म का पालन
13:40पूरी लिष्ठा से करना मगा
13:42अपने चिकप्पा की कही हर बात को
13:46मेरा आदेश समझ के पड़
13:49अन्ना
13:50वराज
13:52वराज
13:54वराज
13:56अन्ना
13:58अन्ना
14:00अन्ना
14:02वराज
14:04वराज
14:06वराज
14:08वराज
14:10वराज
14:20वराज
14:40शिकप्पा
14:46शिकप्पा
14:52कहा जा रहो
14:54अपने अन्ना के अंतिम संसकार की तयारी के लिए
14:58कही भी जाने वो आने के पूर्व महराज
15:00यनि की मेरी अनुमती अनिवार है
15:02नहीं तो दंड
15:10कहा जा
15:12अवश्य महराज
15:28वीर भद्र बहोती असफ़ल राजा बना
15:31पोना तो समज्दार था ना ही लोकप्री
15:35राज और परजाके के लिए पर्सेदार आदेश था
15:40राज और परजा की चिन्ता छोड़कर वो केवल रत्यसंगीत, मदीरा और भोग भिलास में टूबा रायता था।
16:10शिकाप्पा, आप यहाँ क्यों आये हैं?
16:18तुम्हें राजधर्म का भोध कराने आया हूँ।
16:20मैं राजा हूँ और मुझे मेरा धर्म निभाना भली बाती आता है।
16:24धर्म निभाना आता तो इस प्रकार प्रजा को छोड़कर अंतहपुर में समय व्यतीत नहीं कर रहे होते।
16:30तुम्हें ग्यात है, पुर्टगालियों को मंगलों और दुर्ग बेज़कर तुम्हें कितनी बड़ी भूल की है।
16:36और तुम्हार इस प्रकार अचानक कर बढ़ाने से प्रजा कितनी व्याकल हो रही है। ये किस प्रकार का राजधर्म निभा रहे हो तुम।
16:44आप के कर संबोधित करो, फर्ना कहीं ऐसा ना हो कि मैं तुम्हें हमेशा के लिए मोन कर दू।
16:51भुजंगं अपिकोपितं शिर्षी पुष्प फ्रधारे नन्यतु प्रति निविष्ट मूर्ख जन चित्त मारा धयेत।
17:00विशेले सर्प को हार बना कर पहनना संभाव है, परन्तु किसी मूर्ख को संजाना संभाव नहीं।
17:09मुझे मूर्ख कहा?
17:10सिपाईयो, गरावास में डाल दो इसे।
17:26क्या हो रहा है यहां?
17:33अतिके, यह वीरा हमें युद्ध से पहले पराजे की रिशा में ले जा रहा है।
17:38शिवा, आपने सदेव मेरे पुत्र को कम आका है।
17:43यहां तक कि स्वर्गिय महाराज के कान भर के, आपने उने उनके पुत्र के विरुद कर दिया।
17:52यह आप क्या कह रहे हैं अतिके? मैंने अपने अन्ना के कान भरे, मैं तो वीरा को अपना...
17:59अपने तो वो होते हैं जो अपनों को सीघासन पर देखर इरिशा नहीं करते।
18:06सही कहा किसी ने, शत्रों पर कोई लाख विजए पा ले, परन्तु अपनों से तो हार ही जाते हैं।
18:16हार तो मैं जाते थी शिवा, जब मेरे पत्ती अपने पुत्र के वज़ाया अपने भाई को राजा बनाने की बात करते थे, और मैं अच्छी तरह जानती हूं कि उनके कान में ये बात किस ने डाली थी।
18:38किस ने अतिके?
18:40वे सिर्फ आप के सुनते थे शिवा.
18:48ये, ये राजनीती, जिसके कारण मेरी मां समान अतिके मुझ पर संदेह कर रही है.
19:00आज से मैं इसका त्याग करता हूं.
19:11मेरे पास भीश्म पितामा की तरह इच्छा मृत्यू का तो वरदान नहीं है.
19:18पर तब तक मुझे मृत्यू ना आये.
19:21जब तक मैं इस सामराज्य का भाग्यो देना देख लूँ.
19:34बस, यही आशिर्वाद दीजे मुझे अतिके.
19:38शिवा!
19:39मज़ा!
19:41वीर भदर के राजा बनने के बाद
19:45शिवपा नायक अगले कुछ वर्षों तक इतिहास के पन्नों से अधरिश रें.
20:01वीर भदर के राजा बनने के बाद
20:05इतिहास के पन्नों से अदरिश्य नहीं।
20:08वीरभदर का हर निरणे गलत सावित होता जा रहा था।
20:12जैसे कि पूर्तुगालियों पर भरोसा करते हुए
20:15वीरभदर ने विजापूर सुल्टान को चुनौती दी।
20:18लेकिन जब समय आया तो पूर्तुगाली साहिता के लिए नहीं आये।
20:24इकेरी की बुरी तरहार हुई।
20:28जिसके कारण सभी नाईकों को इकेरी छोड़कर
20:32उनकी नई राजधानी केलाडी जाना पड़ा।
20:36समपूर्ण अरब सागर पर पूर्तुगाली का राज चलने लगा।
20:40अब पूर्तुगाली कारटाज जारी कर रहे थे।
20:44कारटाज एक प्रकार का अनुमति पत्र था।
20:48जिसके अंतरगत व्यापार के लिए जा रहे सभी भारतिय जहाजों को
20:52समुद्र पर चलने के लिए पूर्तुगाली ओं को कर दे कर अनुमति पत्र लेना पड़ता था।
20:57आज क्या लेये है? ओन्ली टॉइन्टी कारटाज।
21:01समुद्र पर चलने के लिए पूर्तुगालीयों को कर दे कर अनूमती पत्र लेना पड़ता था।
21:11आज क्या लेये है ओन्ली 20 कार्टास।
21:26ये कौन होते हैं हमें अनूमती देने वाले?
21:28ये क्या, समंदर खरीद लिया है इन्होंने?
21:31हाँ, सभी कह रहे हैं, हाँ, सभी कह रहे हैं, हाँ
21:34चल यातर के लिए 300 पोते प्रतिक्षा कर रहे हैं
21:36और आपने सिर्फ 20 को यानूमती दियें
21:38ये कैसा नियाम है?
21:39ये कोई नियाम है?
21:40ज्यादा बोलने की जावरत नाई
21:42जो दे रहा हूँ, वो भी वापस लाई लूँगा
21:45तो बोलने शुरु की जाए
21:54देखा, कैसी मनमानी करते हैं इन दुष्ट पूर्टगाली
21:58मेरा तो मन कर रहा था, इनकी गर्दन समंदर में डूबो के मार थो
22:03हम जैसे लोग तो सिर्फ सोची सकते हैं जॉन, भूल गए
22:07महाराणी ऐबक्का और उनकी पुत्री ने भी इन पूर्टगाली के साथ युद्ध किया था
22:11बलकि मरक का परिवार की तीनों पीडियों ने इन पूर्टगाली के साथ युद्ध में अपने प्राण त्याग दी
22:17परन्तु अभी भी उन पूर्टगाली का काला साया हमारी देश पे मन रहा रहा है
22:23अब समझ भी नहीं आरा कि कौन हमारी मदद करेगा
22:26अपने विजेनगर का सामराज रहा नहीं गलारी के महराज़ बेहंग टपड़ा है
22:32हाँ एश्वने भी जैसे हम से मुक मुख लिया है
22:36नहीं नहीं गनेश ऐसा नहीं है वो तुम क्या कहते हो भगवान के घर देर है पर अंदेर नहीं
22:42महाराज अब एक टपपा नहीं रहे तो क्या हुआ?
22:44उनके पुत्र हैं, हम उनके पाड़ चलेंगे.
22:46हो सकता है, वो हमारी साहता करते हैं.
22:48साहता वो महाराज वीरभदर से.
22:51खुली आँखो से स्रपन देखना बंद करो जॉन.
22:55तुम याद नहीं?
22:56उन्होंने शिवपपा नायक महाराज का कैसे विरोध किया था?
22:59जब हम पहली बार उनसे साहता माँगने गए थे?
23:02और जो व्यक्ति एक केरी को बीजापुर सुल्टान से नहीं बचा सका,
23:05वो पुरतिकाली को क्या सामना करेगा?
23:09तो राजा वीरभदर के चिकपपा, शिवपपा नायक,
23:13हमारी मदद तो करी सकते ना, पहले भी की थी.
23:18बीजापुर सुल्टान से बूरी तरह पराजित होने के बाद भी,
23:22वीरभदर में कोई सुधार नहीं हुआ.
23:26वो परजा के सुख दुख की चिन्ता छोड़कर,
23:29भोग विलास में लिप्त था.
23:40ए, कहां जा रहे हो?
23:44हमें महराज से मिलना है, हम बहुत संकत में हैं,
23:47वो पुरतिकाली होने तो...
23:49तुम यह संगीत नहीं सुन रहे हो?
23:51महराज अभी अंतहपूर में है, किसी से नहीं मिल सकते.
23:57तो शिवपपा नायक जी से भेट करा दे?
23:59शिवपपा नायक अभी सन्यास ले चुके है, अब वो किसी से नहीं मिलते.
24:04तो हम अपना दुखड़ा कहां लेकर जाएंगे?
24:07हम ऐसे हाँ नहीं मान सकते.
24:10हम शिवपपा नायक जी से मिलने ही होगा.
24:14हे तिरुपति बाला जी, अब आप ही कोई रहा दिखा सकते हैं.
24:19है, तीरुपति बाला जी, इस गल्टी के लिए शमाँ करा न.
24:23वैसे भी किसी नी कहा है,
24:26इस गल्टी के लिए जिन्दृत मुझे लेकर,
24:29मुझे यहें आपको यहाँ बात ही करें,
24:32आप करते हैं जाएंगे, जाएंगे.
24:34ये तुरुपति बाल जी, इस गल्टी के लिए शमा करना.
24:38वैसे भी किसी ने कहा है
24:40कि अच्छे काम के लिए किये गए कोई भी बुरा काम अच्छा ही होता है.
24:46वैसे ये कहा कुछ ने?
24:49मैंने.
24:51चलूँ, चलूँ.
24:52चोर, पकड़ो!
25:22पगड़ा चार. वहीं रुप जाओ तुम दोनों.
25:33चलो, कल प्राता सर्वप्रतम तुम्हें महाराज से दन्ड दिलवाइँगे.
25:52हो गरमशिवाइ.
25:57शेवशंभु, शेवशंभु, शेवशेवाः, शेवशंभु.
26:05गद्बुरशायविद्मही, महादेवयधीमही, तन्नुरुप्रचोधया, हो !
26:14सुमेशः परा॥
26:18अरे, रुको, रुको ना.
26:20अगर आज जजा का जहान भंगवा ना, तो वो बहुत क्रोधित होगा।
26:23अरे क्रोधित तो तब होंगे ना, जब वो जागेंगे।
26:26अरे यहाँ तो तोप भी चल जेना, फिर भी उनकी अख नहीं खुलेगी।
26:30सम्झी मेरी भोली चिनम्मा।
26:33गंटी मुझाने से भी नहीं।
26:35नहीं।
26:52श्योपनायक।
26:54श्योपनायक।
26:55महाराज, महाराज, श्योपनायक जी,
26:57हमारी साहता कीजी।
26:59आपके अन्ना ने हमारी स्ट्रक्षा का भारा आपको दिया था।
27:02अपना कर्तव के लिए भाईये।
27:05ये अन्नाय देख तो भी आप आगे नहीं बूल सकते।
27:08देखिये क्या हो रहा है नायक सामराज जी में।
27:10श्योपनायक जी, आपकी प्रजा को आपकी बहुत जरुवात है।
27:14इस देश को आपकी बहुत जरुवात है।
27:16हमें आपकी बहुत जरुवात है।
27:18श्योपनायक, आग खोलिये।
27:20और यात कीजी अन्ना ने आपसे क्या कहा था वहाराज।
27:23समरन रहे, जब प्रजा अपनी आखों में आशा लेकर अपने राजा को अपना दुखड़ा सुनाती है,
27:29तो समझ रही जी, कि प्रजा को अपने राजा पर ईश्वर से भी अधिक विश्वास है।
27:35ये विश्वास तूटना नहीं चाहिए।
27:38हमारी मदद कीजिए, हमारी मदद कीजिए।
28:08हमारी मदद कीजिए, हमारी मदद कीजिए।
28:38शिकप्पा!
28:52कौन है ये लोग? और ऐसी कौन सी दहार सुनकर तुम यहाँ भागे चले आए?
29:00दहार तो मैं तब सुनता जब तुम शेर होते।
29:03मैंने अपनी प्रजा की चीख सुनी,
29:06अपने स्वर्गी अन्ना का अदेश सुना,
29:11अपनी मात्री भूमी की गराह सुनी।
29:14बस बस, जो सुना वो सुना, मुझे मत सुनाईए।
29:20जाये, और जाकर पुना सो जाये।
29:24और हाँ, इस बार जागने की आवश्यक्ता नहीं।
29:28जागना तो मुझे पड़ेगा क्योंकि यहां का राजा वर्षों से सो रहा है।
29:32क्योंकि प्रजा की पुकार घुंगरू की खनक में दब गई है।
29:37क्योंकि नायक सामराज्य के विजएद्धज ने पराजे के बूच से अपनी गर्दन चुका लिये।
29:43इस राज गधी पर बैठने वाला कोई साधारन व्यक्ति नहीं।
29:47नायक सामराज्य का महराज वीर भद्र है।
29:51आपको भी समरन रहे, आप अंतःपुर में रहने योग्य हैं।
29:55इस राज सिंघासन पर बैठने योग्य नहीं।
29:58कहिया ऐसा तो नहीं कि आप अभी भी सिंघासन पर बैठने का सवप्नां देख रहें
30:08देखा, जिसकी आजम मिरत्युशेय पर बिराजkar माँ हूने योगस्तोंगों गो, शेय ज demonic होने शानत चाहिएय हैu
30:18सिपाईयो,
30:21सिपाईयो!
30:25बन्दी बना लो इसे.
30:38शिवा, मुझे क्षमा कर देजी.
30:43सारे फूल मेरी है.
30:45मैंने मेरे बेटे पर अन्धविश्वास किया.
30:48मैंने मेरे बेटे पर अन्धविश्वास किया.
30:52लेकिन अब और नहीं.
30:59मैंने अपनी आँखों से बट्टे उतार दिया, शिवा.
31:18जनम्मा, इधर आओ.
31:27चाँ जनम्मा.
31:48जनम्मा.
31:49जनम्मा.
31:50जनम्मा.
31:51जनम्मा.
31:52जनम्मा.
31:53जनम्मा.
31:54जनम्मा.
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32:00जनम्मा.
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32:50जनम्मा.
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32:52जनम्मा.
32:53जनम्मा.
32:55हमने शिष्टु का कारे संपन कर लिया है.
32:57और जैसा आपने कहा था,
32:58मिट्टी की गुर्वत्ता,
32:59और सचाई को ध्यान में रखते ही,
33:01हमने भूमी को पाँच भागों में बाताया है.
33:03माराज,
33:04शिष्टु योजना की जितनी भी तारिव के जाया है,
33:07शिष्टु योजना की जितनी भी तारिव के जाया है,
33:09उतनी करना है.
33:10जी माराज,
33:11इससे मिट्टी गुर्वत्ता का भी पता लाईगा,
33:13और फसल को सही मिट्टी पर लगाने से,
33:16हमें अधिक लाब भी होगा.
33:17माराज,
33:18सबसे अच्छी बात ये है,
33:20खटका भुकतान फसल के एक तिया हिस्से पर करना होगा,
33:23ये सुनकर प्रजा बहुत प्रसंद है.
33:26शिष्टु,
33:27जिसे शिवप्पा नायक शिष्टु भी कहा गया था,
33:31ये शिवप्पा नायक शिष्टु की एक भुमी नियमन नीती थी,
33:36इस नियम के अनुसार भुमी की गुणवत्ता के आधार पर ही कर निर्धारिक किया गया.
33:45जॉन, तुम गोआ जाकर उन सभी इसाई भाईयों को बुला लो,
33:48जिन्हें धान की खेती का ग्यान हो.
33:50और गनेश, तुम...
33:51जी महाराज,
33:52कॉमती, शेटी, कॉंकनी, मारवाडी, जैन, मुपली, इन सभी व्यापारी को मैं आपका हामन्तरन दे कराऊंगा.
33:59और उन सब से कहना कि नायक जामराज्य में उनके साथ कोई भी भेदभाव नहीं किया जाएगा.
34:05जी महाराज.
34:06अलग अलग प्रदेशों से हस्तकला और व्यापार में माहिर लोगों को शिवपा नायक ने अपने राज्य में आशरे दे कर सुरक्षा प्रदान की.
34:19शिवपा नायक द्वारा उठाया गया ये कदम राज्य की सम्रधी के लिए एक महत्वपूर्ण कारण बना.
34:27क्योंकि अब उनके राज्य में फसल की अच्छी जानकारी रखने वाले किसान, कुशल व्यापारी और अच्छे शिल्पकार आदी की कोई कमी नहीं थी.
34:38कुछी वर्षों में शिवपा नायक ने अपने सामराज्य को फिर से सुध्रड बना लिया और इस कार्य में उनकी पौत्री किलाडी चेनम्मा ने उनका पूरा साथ दिया.
35:08अज्जा, विजापर सुल्टान आदिन शा मुझे देखकर बहुत प्रसनन हुए. और आपका भीजावा शांती प्रस्ता भी स्विकार कर लिया. वे तो पूर्त गाल्यों के विरुद हमारा साथ भी देना चाहते हैं.
35:30तो तुमने क्या कहा?
35:32मैंने तो उनसे कह दिया कि आवशक्ता पड़ने पर हम उनकी साइता अवश्य ले गया. परन्तु अभी हमसे संधी बनाए रखे वही प्रयाप्थ होगा. और सुल्टान ने मेरी बात का समर्धन भी किया.
35:44बहुत अच्छा. और मैसूर में क्या हुआ?
35:48मैसूर माहराज ने भी हमारा शान्ती प्रस्थाफ स्विकार कर लिया. वैसे तो सामुतरी होने के नाथे विगद 150 वर्षों से पूर्थ गालियों से उनकी शत्रुता है. परन्तु एक ही परिशानी है.
35:59उत्तर इमालावार कासकोर के निलेश्वरमाहराज.
36:05जी अच्छा. वो एक देश द्रोही के समान पूर्थ गालियों से गुप्त रूप से मिले हुए है. परन्तु मैंने उनसे कह दिया कि निलेश्वरम की चिंता हम पर छोड़ दे. हम सम्हाल लेंगे.
36:17तो उन्होंने क्या कहा?
36:19उन्होंने तो मेरे सर पे हाथ रथ कर मुझे आशिर्वाद दिया जा. ऐसा लगा जैसे अपपा से हुई भूल को सुधारने में हम सफल हो गयें.
36:28मुझे तुमपर गर्भ है चिरम्मा. अब समय आ गया है उन पुर्तगालियों को मालाबार और केनरा से खदेड भगाने का.
36:37परंतो कैसे? मंगलूरू, होनावर और कुन्दापुरा गर्धो अथिन शक्ति शाली और अभयद है. अच्छा क्या हमारे पास उनके तोपो का सामना करने योगी शास्त्र है?
36:50शास्त्र से बड़ा कोई शास्त्र नहीं. पर हमारे पास शास्त्र है.
36:56चाने क्या अर्थ शास्त्र?
36:59साम.
37:01दाम.
37:03दन.
37:05भेद.
37:07हर हर महादे! हर हर महादे!
37:16रुको!
37:26चले जाओ!
37:48हर हर महादे!
37:56हर हर महादे!
38:03शिवप्पा नायक और केलाडी चेंदम्मा ने अपने साथियों के साथ भुनावर दूर्क पर आक्रमन किया और जीत हासिल की.
38:14हर हर महादे!
38:17साथि शिवप्पा नायक ने ऐसी रणनीती बनाई कि उन पुरतुगालियों को उन्दापुरा से भी भागना पड़ा.
38:25रुको!
38:28सारी बोरिया अच्छे से खोल कर चेक करो. धूनावर में जो हमारे साथ हुआ वो सेम्मिस्टेक हम इस बार नहीं कर सकते.
38:35सर्थ.
38:47महाराज, काली मिर्च जैसी बनावट वाली बारूत की बुलिया तैयार है.
38:56जहां ऐसी काली मिर्च बनती हो, वहाँ तोप के गोलों की क्या आवश्यक्ता?
39:06सर्थ!
39:11जाओ!
39:13जाओ!
39:16चलो!
39:28रखो!
39:31हर हर महदेव!
39:40हर हर महदेव!
39:42हर हर महदेव!
40:13हर हर महदेव!
40:15हर हर महदेव!
40:18दो बार हमने उनकी आँखों में धूल जोक कर धूल चटाई थी.
40:21पर इस बार वो सतर्फ हो जाएंगे.
40:23जी महाराज, अब एक किसी भी व्यापारी को किले के अंदर नहीं आने दे रहे हैं.
40:26और व्यापार करने का सारा सावान रखने के लिए एक अलग स्थान पर भंडार घर बना लिया है.
40:31अच्छा, निलेश्वर में उनका शिवर है, जोकी यहां से एक रात की दूरी पर है.
40:36और उनके पास दो सहसर सैनिक और किले के भीतर 500 लोग है.
40:41कैसर गोर के पास राजा निलेश्वरम के शेत चिंद्रागरी में एक किला बना रहा है.
40:48हमारे पास प्रयाप सूचना तो है, परन्तु रणनीती नहीं.
40:52है, आयामी रणनीती, शत्रवेक और उस पर अलग-अलग रास्तों से धावा बोलने की तयारी.
41:02जी अज्ञा, अलग-अलग दिशाओं से बनावटी आक्रमों.
41:07ता कि शत्रु भ्यमित होगा और हमारा लक्षे आसान.
41:11शत्रु को भ्यमित करने के लिए मुझे अपने सैनिकों के साथ निलेश्वरम प्रस्थान करना पड़ेगा.
41:17और मुझे मंगलूरू.
41:18रास्ता तो मिल गया, परन्तु लक्ष तक कैसे पहुँचेंगे?
41:22सही रास्ता लक्ष तक अवश्य पहुँचाता है चेनम्मा.
41:28जो स्वय महाराज ये हमारे सार्थी हो, तो फिर भैक इस बात का?
41:31और जीसस ही इस सार्थी के लिए रास्ता निकालेंगे.
41:37इस किले के अंदर के लिए नहीं पहुँचेंगे.
41:40परन्तु लक्ष तक कैसे पहुँचाता है चेनम्मा.
41:44जो स्वय महाराज ये हमारे सार्थी हो, तो फिर भैक इस बात का?
41:49जौन है.
41:55और जीसस ही इस सार्थी के लिए रास्ता निकालेंगे.
42:00इस किले के अंदर का ये गिर्जागा तूप चुका है, और यहां के पुर्दगाल पादरी ने
42:05इसाई बढ़ई को इसकी मरम्मत का काम दिया है.
42:07तो मैं कुछ अपने इसाई भाईयों के साथ यहां जा रहा हूंगा.
42:12इसकी मरम्मत में एक मीने लगेगा पादर, लेकिन हो जाएगा, मरोजा रखे हैं.
42:17जौन आप के लिए जौन है.
42:38आप अगले हत्य सभी को प्रात्मा के लिए बुला सकते हैं.
42:44गुड़ जब.
42:50पुर्दगालियों ने शिवपपा नायक को मात देने का पूरा प्रयास किया, पर अंतु वे सफल नहीं हो पाए.
42:57अब शिवपपा नायक मैंगलोर किले को जीतना चाहते थे.
43:01पर पुर्दगालियों ने किले की सुरक्षा कई गुणा बड़ा दी थी.
43:06फिर भी शिवपपा नायक ने बड़ी कुशलता से पुर्दगालियों को पराजित कर मैंगलोर किले को जीत लिया.
43:15शिवपपा नायक के सामराज्य का इस प्रकार विस्तार हुआ हाँ कि कोच्ची से लेकर गोवा तक लगभग 1300 किलोमेटर के समुदरी तट पर उनका हिस्टार हुआ था.
43:39शिवपपा नायक ने पुर्दगालियों का साथ दे रहे निलेश्वरम राज्य को भी पराजित किया. जीत के बाद शिवपपा नायक ने निलेश्वरम में एक विजए स्तंभ का निर्मान भी कर बाया, जो उनकी विजए का प्रतीक था.
44:06ये विजए स्तंभ वीर शिवपपा नायक के विजए का प्रतीक है, जिनों ने निलेश्वरम और मंगलूरू में पुर्दगालियों पर विजए प्राप्त करके, केवल नायक सामराज्य ही नहीं, बलकि पूरे देश को गौर्वान वित किया है.
44:22इस विजए का श्रेह मेरी पुत्री को जाता है पंडिजी, किलाडी चिननम्मा और साथ ही मेरे ये दोनों मित्र गनेश और जौन, इनके बिना ये जीत संभव ही नहीं थी.
44:36महाराज, आपके जीत के अफसर पर हमें एक वाजपे यग्य कराना चाहिए, और यग्य के दोरान जब रत दोर होगी, तो कितना मजा आएगा.
44:45हाँ हाँ, क्यों नहीं, वाजपे यग्य के साथ साथ अश्वमेद यग्य भी करवा लेते हैं.
44:50हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव,
45:20हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महा�

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