वीडियो जानकारी: 02.10.24, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने लड़कियों के लड़कों की ओर आकर्षण के विषय पर चर्चा की है। एक छात्र ने सवाल उठाया कि क्यों लड़कियाँ अक्सर बुरे और डोमिनेंट लड़कों की ओर आकर्षित होती हैं, जबकि अच्छे लड़कों की ओर नहीं। आचार्य जी ने इस पर विचार करते हुए कहा कि यह केवल लड़कियों की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक सामान्य मानव व्यवहार है। उन्होंने बताया कि लोग अक्सर अपने भीतर की कमी और इच्छाओं को समझे बिना ही किसी की ओर आकर्षित होते हैं।
आचार्य जी ने यह भी कहा कि हमें अपने दृष्टिकोण को साफ करना चाहिए और यह समझना चाहिए कि हम क्यों किसी चीज़ पर प्रतिक्रिया कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हमें दूसरों की पसंद और चुनाव पर टिप्पणी करने से पहले अपने आप को देखना चाहिए। अंत में, उन्होंने आत्म-निरीक्षण और आत्म-समझ की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि हम अपने जीवन में सही निर्णय ले सकें।
प्रसंग:
~ क्यों कोई किसी की ओर आकर्षित होता है? हम यह क्यों नहीं जान पाते?
~ क्या अच्छे और बुरे की हमारी पहचान ठोस है?
~ क्या हमें बुरे और गलत की परिभाषा स्पष्ट है?
~ ईमानदारी का प्रश्न बेटा यह होता एक लड़की एक लड़के के साथ चली जा रही है हाथ में हाथ डाल के मुझे क्यों बुरा लग रहा है?
~ कामना से भरी आंखों से दुनिया को देखने को ऑब्जर्वेशन नहीं बोलते।
~ ऑब्जर्वेशन क्या है?
~ Masculinity - मर्दानगी क्या है?
~ हमारे जंगल से बाहर आने की क्या वजह थी?
~ अल्फा, बीटा, सिग्मा मेल क्या हैं?
~ केंद्र पर क्या होना चाहिए?
माखी गुड़ में गड़ी रहे, पंख रहे लिपटाय।
हाथ मले और सिर धुने, लालच बुरी बलाय ॥
~संत कबीर
साँच कहूँ तो मारिहैं, झूठे जग पतियाय।
यह जग काली कूतरी, जे छेड़े ते ही खाय ॥
~संत कबीर
संगीत: मिलिंद दाते
~~~~~
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने लड़कियों के लड़कों की ओर आकर्षण के विषय पर चर्चा की है। एक छात्र ने सवाल उठाया कि क्यों लड़कियाँ अक्सर बुरे और डोमिनेंट लड़कों की ओर आकर्षित होती हैं, जबकि अच्छे लड़कों की ओर नहीं। आचार्य जी ने इस पर विचार करते हुए कहा कि यह केवल लड़कियों की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक सामान्य मानव व्यवहार है। उन्होंने बताया कि लोग अक्सर अपने भीतर की कमी और इच्छाओं को समझे बिना ही किसी की ओर आकर्षित होते हैं।
आचार्य जी ने यह भी कहा कि हमें अपने दृष्टिकोण को साफ करना चाहिए और यह समझना चाहिए कि हम क्यों किसी चीज़ पर प्रतिक्रिया कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हमें दूसरों की पसंद और चुनाव पर टिप्पणी करने से पहले अपने आप को देखना चाहिए। अंत में, उन्होंने आत्म-निरीक्षण और आत्म-समझ की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि हम अपने जीवन में सही निर्णय ले सकें।
प्रसंग:
~ क्यों कोई किसी की ओर आकर्षित होता है? हम यह क्यों नहीं जान पाते?
~ क्या अच्छे और बुरे की हमारी पहचान ठोस है?
~ क्या हमें बुरे और गलत की परिभाषा स्पष्ट है?
~ ईमानदारी का प्रश्न बेटा यह होता एक लड़की एक लड़के के साथ चली जा रही है हाथ में हाथ डाल के मुझे क्यों बुरा लग रहा है?
~ कामना से भरी आंखों से दुनिया को देखने को ऑब्जर्वेशन नहीं बोलते।
~ ऑब्जर्वेशन क्या है?
~ Masculinity - मर्दानगी क्या है?
~ हमारे जंगल से बाहर आने की क्या वजह थी?
~ अल्फा, बीटा, सिग्मा मेल क्या हैं?
~ केंद्र पर क्या होना चाहिए?
माखी गुड़ में गड़ी रहे, पंख रहे लिपटाय।
हाथ मले और सिर धुने, लालच बुरी बलाय ॥
~संत कबीर
साँच कहूँ तो मारिहैं, झूठे जग पतियाय।
यह जग काली कूतरी, जे छेड़े ते ही खाय ॥
~संत कबीर
संगीत: मिलिंद दाते
~~~~~
Category
📚
Learning