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वीडियो जानकारी: 29.12.24, नई दिल्ली

कुंभ: झूठ के सागर में खो गया सच का अमृत || आचार्य प्रशांत (2024)

विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने कुंभ के वैदांतिक अर्थ को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि कुंभ का मंथन देवताओं और दानवों के बीच की संघर्ष की कहानी है, जिसमें दोनों की साझा कामना अमर होने की है। आचार्य जी ने बताया कि देवता और दानव दोनों अहंकार के रूप हैं, लेकिन देवता आत्ममुखी अहंकार रखते हैं, जबकि दानव मायामुखी अहंकार के प्रतीक हैं। कुंभ का मंथन वास्तव में आत्म-मंथन है, जिसमें व्यक्ति को अपने भीतर की गहराइयों में जाकर आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है।

आचार्य जी ने यह भी कहा कि अमृत केवल आत्मा के अनुसंधान से प्राप्त होता है, और यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति अपने झूठे अहंकार और कामनाओं को छोड़कर सत्य के प्रति निष्ठा रखे। अंत में, उन्होंने बताया कि कुंभ का असली मर्म आत्मा की खोज में है, न कि बाहरी भोगों में।

🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06

संगीत: मिलिंद दाते
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