“ ये सारे कर्म,धर्म का पालन हम नहीं करेंगे।हम तो बस श्रीकृष्ण का निरन्तर स्मरण करेंगे।क्योंकि वहाँ कुछ नियम नहीं है-
न देशनियमस्तस्मिन् न कालनियमस्तथा।
और कर्म,धर्म में ? अरे इतने नियम हैं कि आजकल तो इम्पॉसीबिल।”
*- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज*