• 2 days ago
वीडियो जानकारी: 10.02.25, वेदांत संहिता, ग्रेटर नोएडा
07.12.24, बोध प्रत्युषा, गोवा

Title: कामवासना, रोमांस और गुलाबी अरमान || आचार्य प्रशांत (2025)

विवरण:
आचार्य जी इस बातचीत में कामवासना, रोमांस और समय की बर्बादी पर गहराई से प्रकाश डालते हैं। वे बताते हैं कि असली समस्या वासना नहीं, बल्कि भावनाओं और कल्पनाओं में उलझकर जीवन का मूल्यवान समय गँवाना है। सार्थक कार्यों में व्यस्त रहने से यह समस्या स्वतः कम हो जाती है। भारत में रोमांस और असफल प्रेम कथाएँ अधिक हैं क्योंकि सामाजिक वर्जनाएँ लोगों को वास्तविकता से दूर रखती हैं। लोग कल्पनाओं में जीते हैं, बजाय इसके कि वे सीधे संवाद कर वास्तविकता को समझें।

इसी मानसिकता का प्रभाव भोजपुरी सिनेमा में भी देखा जा सकता है, जहाँ शिक्षा और आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण सतही मनोरंजन, अंधविश्वास और हिंसा हावी हैं। उत्तर भारत विशेष रूप से बिहार में लोग इच्छाओं की पूर्ति के लिए शरीर और कल्पना का सहारा लेते हैं, जिससे फूहड़ कंटेंट को बढ़ावा मिलता है। पश्चिम और दक्षिण भारत में शिक्षा और तर्कशीलता के कारण बेहतर सिनेमा विकसित होता है। आचार्य जी समाधान के रूप में आंतरिक जागरूकता, तर्क आधारित शिक्षा और सांस्कृतिक पुनर्जागरण को आवश्यक बताते हैं।

🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06

प्रसंग:


संगीत: मिलिंद दाते
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