#AcharyaPrashant #आचार्यप्रशांत #Philosophy #BhagavadGita
वीडियो जानकारी: 28.03.24, अनौपचारिक सत्र
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने "मोरालिटी", "एथिक्स" और "स्पिरिचुअलिटी" के बीच के अंतर को स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया कि मोरालिटी का संबंध मुख्यतः धर्म से होता है, जो समाज में प्रचलित मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित होती है। जबकि एथिक्स एक प्रक्रिया है, जो सही और गलत का निर्धारण करने के लिए एक फ्रेमवर्क प्रदान करती है।
आचार्य जी ने यह भी बताया कि स्पिरिचुअलिटी में सही और गलत का निर्धारण नहीं किया जाता, बल्कि यह एक प्रेम की अवस्था है, जहां सब कुछ सही होता है। उन्होंने चेतावनी दी कि जो लोग केवल मोरालिटी पर निर्भर रहते हैं, वे अक्सर बाहरी मानदंडों के अनुसार जीते हैं और अपने भीतर के खालीपन को नहीं समझ पाते।
वह यह भी बताते हैं कि समाज में जब कोई व्यक्ति ऊँचा काम करता है, तो लोग उसकी आलोचना करते हैं और पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो जाते हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब लोग यह मानने को तैयार नहीं होते कि सही जीवन जीकर भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
आचार्य जी ने अंत में कहा कि सही जीवन जीने के लिए हमें अपने भीतर की गंदगी को स्वीकार करना होगा और यह समझना होगा कि बिना बेईमानी के भी एक अच्छा जीवन जिया जा सकता है।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06
संगीत: मिलिंद दाते
~~~~~
वीडियो जानकारी: 28.03.24, अनौपचारिक सत्र
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने "मोरालिटी", "एथिक्स" और "स्पिरिचुअलिटी" के बीच के अंतर को स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया कि मोरालिटी का संबंध मुख्यतः धर्म से होता है, जो समाज में प्रचलित मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित होती है। जबकि एथिक्स एक प्रक्रिया है, जो सही और गलत का निर्धारण करने के लिए एक फ्रेमवर्क प्रदान करती है।
आचार्य जी ने यह भी बताया कि स्पिरिचुअलिटी में सही और गलत का निर्धारण नहीं किया जाता, बल्कि यह एक प्रेम की अवस्था है, जहां सब कुछ सही होता है। उन्होंने चेतावनी दी कि जो लोग केवल मोरालिटी पर निर्भर रहते हैं, वे अक्सर बाहरी मानदंडों के अनुसार जीते हैं और अपने भीतर के खालीपन को नहीं समझ पाते।
वह यह भी बताते हैं कि समाज में जब कोई व्यक्ति ऊँचा काम करता है, तो लोग उसकी आलोचना करते हैं और पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो जाते हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब लोग यह मानने को तैयार नहीं होते कि सही जीवन जीकर भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
आचार्य जी ने अंत में कहा कि सही जीवन जीने के लिए हमें अपने भीतर की गंदगी को स्वीकार करना होगा और यह समझना होगा कि बिना बेईमानी के भी एक अच्छा जीवन जिया जा सकता है।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06
संगीत: मिलिंद दाते
~~~~~
Category
📚
Learning