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होलकाष्टक के साथ शुरू हुए फागोत्सव ने एकादशी पर जोर पकड़ लिया। पूरे शहर में होली के रंग घुलने लगे और फाग गीतों की गूंज माहौल को भक्तिमय बनाने लगी। सोमवार को एकादशी के दिन सोनार दुर्ग स्थित लक्ष्मीनाथ मंदिर में विशेष फागोत्सव का आयोजन हुआ, जहां श्रद्धालुओं और फाग रसिकों की टोलियां रंग-गुलाल उड़ाते हुए उत्सव में सराबोर नजर आईं। गली-मोहल्लों से लेकर मुख्य मार्गों तक होली की गेरें उमंग और उल्लास के साथ निकलीं। परंपरा के अनुसार पुष्करणा ब्राह्मणों की गेरें एकादशी से निकलनी शुरू हुईं। सोमवार शाम को बिस्सा, केवलिया, पुरोहित, चूरा, रंगा, व्यास और ओझा जाति के लोगों ने अपनी-अपनी गेरें निकालीं, जो मंदिर पैलेस तक पहुंचीं। गेरिए जब भाई-बंधुओं के मोहल्लों से बाहर निकले तो होली के रंग में पूरी तरह सराबोर दिखे। प्राचीन परंपरा के अनुसार, गैरों में शामिल लोगों ने गड़ीसर तालाब की बगेचियों में गोठ करने के लिए चंदा भी एकत्रित किया।

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