शुरू के दो साल में बैठकों पर ही लाखाें रुपए उड़ाए
-ग्रीनरी का शुरू से ही नहीं रखा ध्यान
दिलीप शर्मा
अजमेर. अजमेर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की अवधि 18 दिन बाद 31 मार्च को खत्म हो रही है। शहर में प्रोजेक्ट की शुरुआत जिस उत्साह और जिन उम्मीदों के साथ हुई थी उसका समापन उससे कई गुना ज्यादा निराशा और नाउम्मीदी के साये में हो रहा है। प्रोजेक्ट की शुरुआत में यहां की जनता को शहर की शक्ल बदलने, निखारने और संवारने के जो सब्जबाग दिखाए गए वे धूल में लिपटे और स्याही से पुते नजर आ रहे हैं। शहर से रुखसत हो रहे स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट की क्रियान्विति पर जाते-जाते ऐसा बदनुमा दाग लगा कि सरकारी स्तर पर करोड़ों की लागत के निर्माण अफसरों को खुद ही ध्वस्त करने पर विवश होना पड़ा। उच्च प्रशासनिक अधिकारी व सीनियर इंजीनियर्स ने शुरू से नियमों की अनदेखी किए रखी। अधिकारियों की स्मार्ट सिटी के बजट पर तो निगाहें रही लेकिन जिम्मेदारी पर आंखें मुंदी रहीं।
-ग्रीनरी का शुरू से ही नहीं रखा ध्यान
दिलीप शर्मा
अजमेर. अजमेर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की अवधि 18 दिन बाद 31 मार्च को खत्म हो रही है। शहर में प्रोजेक्ट की शुरुआत जिस उत्साह और जिन उम्मीदों के साथ हुई थी उसका समापन उससे कई गुना ज्यादा निराशा और नाउम्मीदी के साये में हो रहा है। प्रोजेक्ट की शुरुआत में यहां की जनता को शहर की शक्ल बदलने, निखारने और संवारने के जो सब्जबाग दिखाए गए वे धूल में लिपटे और स्याही से पुते नजर आ रहे हैं। शहर से रुखसत हो रहे स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट की क्रियान्विति पर जाते-जाते ऐसा बदनुमा दाग लगा कि सरकारी स्तर पर करोड़ों की लागत के निर्माण अफसरों को खुद ही ध्वस्त करने पर विवश होना पड़ा। उच्च प्रशासनिक अधिकारी व सीनियर इंजीनियर्स ने शुरू से नियमों की अनदेखी किए रखी। अधिकारियों की स्मार्ट सिटी के बजट पर तो निगाहें रही लेकिन जिम्मेदारी पर आंखें मुंदी रहीं।
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