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  • 5 days ago
सास का डर

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00:00सास का डर
00:30हाथ में चाय लेकर खड़ी होती है
00:31माजी चाय
00:33हाँ सरा मूँ तो पोच लूँ
00:36माजी ये लेजे
00:38मैं पोच देती हूँ
00:40बहुत जल्दी से अपने पल्लू से
00:42सास का मूँ पोच देती है
00:44अरे बहु देख
00:47इतना करने की कोई
00:49जरूरत नहीं है
00:49मुझे आदत नहीं है इन सब चीजों की
00:52तब ही वहाँ बेटा आ जाता है
00:54अरे रागिनी
00:56क्या चल रहा है सास बूब के बीच
00:58मा डरा कर रखना अभी से
01:02नहीं तो हाथ से निकल जाएगी
01:04बेटा तो बेचरा मजा कर रहा था
01:09लेकिन रागिनी को बात दिल पर लग गए
01:11नहीं नहीं मैं कहीं निकलूंगी
01:15जाओंगी भी तो सासुमा से पूझ कर
01:17वैसे आज ना मा का जनम दिन है
01:20पर मैंने उन्हें विश तक नहीं किया
01:23मा जी आप बोलिये तो मैं विश कर दूँ
01:26नहीं तो कोई बात नहीं मैं नहीं कर दे विश भी मा को
01:29अरे नहीं नहीं रागिनी मा है तेरी कर दे विश
01:33ठीक है मैंना विश करके आती हो तब तक आप चाय पी लीजिए
01:38सास चाय पीते पीते बेटे से कहती है
01:41ये बहुया ऐसे तो नहीं होती है
01:44मैंने तो हमेशा सासों को बहुओं के नाम पर रोते ही देखा है
01:49लेकिन मेरी बहु यह तो बहुत ही अच्छी है भई
01:53मा ज्यादा खुश नहो
01:57हाथी के दाथ खाने के कुछ और और दिखाने के कुछ और होते हैं
02:02समझी हो सकता है आज चिपक चिपक कर तुझे खुश करें
02:05कल को मा का मिलते ही
02:08समझदार को इशारा ही काफी है
02:12आँ बिटा सही बोल रहा है तु
02:15मैं न इसको टाइटी रखूंगी
02:17कोई भरोसा नहीं होता यह बहु नाम के प्राणी का
02:21बहु, मा को विश करके खुशी-खुशी आती है
02:25सोचती है कि सास के पास बैठू
02:27वो जैसे ही पास रखी चैर पर बैठने जाती है
02:31कि सास जोर से चिलाती है
02:33नीचे, नीचे
02:35क्या मा जी
02:37जमीन में बैठो
02:39हमारे यहां सास की बराबरी में नहीं बैठा जाता
02:42जमेन पर बिछालो कुछ बे
02:45बहु क्या करती
02:47कभी सास को उस पर प्यार भी आता
02:50तो वो बेटी की बात को याद कर लेती
02:52और उदर बहु को थोड़ा भी कडने का मन करता
02:55तो पती की बात याद आती
02:56काश मेरी शादी ही ना हुई होती
03:00अरे कैसे बात कर रही हो
03:01शादी नहीं होती तो मैं कहां से मिलता और तुम कहां से मिलती मुझे
03:06वैसे ये खयाल आया क्यों?
03:09क्या जिंदगी है?
03:11ऐसे नागरो जैसे जी नहीं जा रही है मुझसे
03:14सूच रही हूँ कुछ दिनों के लिए माईकी ही चले जाती हूँ
03:18अहां जाओ लेकिन मा से पूछ कर जाना ठीक है?
03:24नाना मैं उनसे नहीं पूछूँगी मना कर दिया तो
03:27ऐसे भी मैं कुछ दिन आराम करना चाहती हूँ
03:31तबी सास मा से निकल रही थी जो अपने बेटी और बहु की बात सुन लेती है
03:37देख रागनी, मा को तो तु जानती है, कैसी जलाद सी है
03:42अरे नई नवेली बहु के साथ ऐसे करते हैं क्या, जो वो तेरे साथ करती है
03:46मैंने तो कितनी बार समझाने की कोशिश की की मेरी बीवी को बख्ष दो, लेकिन नहीं
03:52मा को हैरानी होती है कि आखिर ये उसी की आउलाद है, जो ऐसी राजनीती सास बहु के बीच खेल रहा है
04:01सास वहाँ से चली जाती है
04:03रागनी नहीं मानती, तो रागनी का पती सीधा मा के पास जाता है
04:07और उसे सारी बात बता देता है
04:09देख माँ ठीक है ना वो जाना चाती है तो जाने दे लेकिन बोल दे ना के दो दिन में वापस आ जाए
04:16आरे बेटा दो दिन क्यों जब से शादी हुई है घर में लगी रही है बच्ची ही तो है जाने दो जब तक मन है
04:24अरे कैसे बात कर रही है मा घर की बहु को ज्यादा छूट दोगी तो हाथ से निगल जाएगी हाँ
04:31सास मन में सोचती है वा बेटा मुझसे ही चला की तेरी मा हूँ मैं अब देख कैसे मज़ा चखाती हूँ
04:42नहीं नहीं बेटा इस बार मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी वैसे भी तेरे बोलने पर अब तक बहु के साथ बहुत कुछ गलत कर दिया है मैंने
04:51बहु भी सास और पति की बात सुन रही होती है
04:55मेरे कहने पर?
04:57वा मा वा मैंने तो तेरे भले के लिए कहा था
05:01और मा वो नहीं रहेगी तो घर का काम तुझे करना पड़ेगा
05:04सास है तू भूल गई क्या?
05:07मुझे ये नहीं पता कि मैं सास हूँ या नहीं
05:11पर तेरी मा ज़रूर हूँ
05:12याद है मुझे बहु मेरा कितना खयाल रखा करती थी
05:16लेकिन तेरे भड़काने पर मैंने मासूम बच्ची के साथ क्या क्या क्या क्या
05:20और रहा सवाल काम का
05:22तो कौन सा तेरे बच्पन से वो पाल रही है तुझे?
05:26मैं ही तो खाना बनाती थी न
05:28तू ना घर की ज्यादा चिंता मत कर बेटा
05:32बहु सास के पास आती है
05:34और माई के जाने के लिए पूछती है
05:36हाँ हाँ जा बहु
05:38और जितनी मर्जी उतना रह ले
05:40मन भर जाए तो अपने घर वापस आ जाना
05:43ठीक है
05:43पास खड़े पती को न जाने क्या सूचता है
05:47हाँ हाँ मा आ जाएगी
05:49तू तो ऐसे बोल रही है जैसे वो कभी आएगी नहीं
05:52वैसे तेरे तो अब मज़र है क्यों
05:54क्यों
05:55ऐसा क्या बहु मेरा चैन छीन रही थी
05:58वैसे तुझे हो क्या गया है बेटा
06:01तेरी बात तो मेरी समझ में ही नहीं आ रही
06:04अरे जाना है तो भी चला जा बहु के साथ
06:07नहीं नहीं मैं अकले ही जाऊंगी
06:09मुझे नहीं चाहिए ये बलकुल नहीं
06:12मैं जा रही हूँ
06:13दिखा मा कैसे बोल रही है ये
06:15अरे जाने दे बेटा कोई बात नहीं
06:19अकेले जाने का मन है, तो जाने दे, जा बीटी, वैसे भी इसके बोलने पर मैंने बड़े गलत व्यवार किये तेरे साथ, मैं ना ऐसी सास नहीं हूँ, तू जा, मैं तो सोच रही थी कि तुझे भी आराम की जरूरत है, और इस घर में तो तू कभी चैन से रही नहीं पाएग
06:49मैंने क्या कर दिया? क्या कर दिया? वो तो छोड़ी दे बेता, क्योंकि हम दोनों समझ गए हैं, लेकिन सवाल ये है कि क्यूं किया?
07:00हाँ, और क्या? हर कोई घर में शांती जाता है, मा और बीबी के बीच में ताल मिल जाता है, लेकिन आप?
07:07हाँ, बेटा, बहु तो बेटी की तरह रह रही थी, और मैं मा की तरह, फिर तूने क्यों आग लगा दी दोनों के बीच? वो तो अच्छा है कि मैंने तेरी और बहु की बात सुन ली, तो तेरा असली चेहरा सामने आ गया
07:20देखे, अब तुम लोगों के आगे मेरी हकिकत सामने आही गई है, तो मैं बता देता हूँ, वो क्या है न मुझे डल लगता था, कि ये राग ही नहीं, अपनी अच्छाई से तुझे मुझसे छीन ना ले, तुझे बेटी का शौक भी था, बहु में तुझे बेटी मिल जा
07:50दो टिकेट है, चले क्या?

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