विश्व पुस्तक दिवस पर मिलिए भरतपुर के केसरियाराम धाकड़ से, जिन्हें एमएसजे कॉलेज की लाइब्रेरी का ह्यूमन कैटलॉग कहा जाता है....
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00:00बहरतपुर के MSJ कॉलेज की लाइब्रेरी में एक ऐसी जीवित विरासत मौजूद है जिसने आधुनिक तकनीक को भी पीछे छोड़ दिया है
00:2582 वर्षिय के सरिया राम धाकर पिछले 45 वर्षियों से न केवल इस लाइब्रेरी का हिस्सा है
00:32बलकि इसके हर रैक, हर किताब और हर विशय के जीते जागते कैटलॉग बन चुके है
00:39कम्प्यूटर जहां रुक जाए, वहाँ से के सरिया राम की स्मृति काम करने लगती है
00:55साल 1980 से लेकर आज की तारिक तक मैं वही काम कर रहा हूँ, पुष्टकार बहाद बुग्लिप्टर पुष्ट पर ही
01:04मैं आज की तारिक में भी क्लासिफिकेशन से अगर लाइब्रेरी जमी हुई है
01:09साल 1980 से लेकर अब तक यानि पूरे 45 साल से किसरिया राम MSJ कॉलेज की लाइब्रेरी से जुड़े हुए है
01:28शुरू में बतार एक बुक लिफ्टर न्यूक्त हुए थे और फिर कॉलेज लाइब्रेरी की आत्मा बन गए
01:34साल 2000 में आपचारिक रूप से सेवा निव्रत हो गए लेकिन लाइब्रेरी ने उन्हें जाने नहीं दिया
01:40कॉलेज प्रबंधन आज भी उनकी सेवाएं उसी स्रद्धा से ले रहा है जैसे पहले दिन ली थी
01:46तो हम करीब एक लाक्षे ऊपर हैं कितावें उपनब नहीं हैं कितावें लेनी में साब रुची दिखाएं दिखाते हैं इच्छा भी होती है बच्चों की लेकिन आजकल मतलब बच्चे जहन
02:03केसरिया राम इस बात से चिंतित हैं कि अब छात्र किताबों से दूर होते जा रहे हैं
02:31गहराई से अध्यान करने की प्रविर्ती उनमें कम हो गई है उनका कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई की तुलना में किताबों से पढ़ना ज्यादा उपयोगी और ध्यान के इंडित करने वाला होता है
02:42भरतपुर से एटीवी भारत के लिए शामवेर सिंग की रिपोर्ट