Nishikant Dubey on Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 5 मई को वक्फ कानून (Waqf Law) पर अगली सुनवाई होने वाली है. वक्फ कानून (Waqf Law) पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब क्या मांगा, बीजेपी नेता तो अपना आपा ही खो बैठे है. बीजेपी सांसद (BJP MP) निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने तो सुप्रीम कोर्ट को ही आड़े हाथों ले लिया है. सुप्रीम कोर्ट के बारे में उन्होंने कहा है कि धार्मिक उन्मांद फैलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ही जिम्मेदार है. लेकिन यहां सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट, सीजेआई या फिर जजों के खिलाफ टिप्पणी करना अपराध की श्रेणी में आता है या नहीं.
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#Judicialoverreachcharges #NishikantdubeyControversy #CJI
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~PR.87~HT.408~ED.108~GR.124~
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00:00क्या सुप्रीम कोट सीजी आई या जजों पर ऐसी वैसी बयान दे देना अपराद है
00:07जाने क्या कहता है देश का कानून
00:11निशिकांत दूबे के बिबादित बयान सुप्रीम कोट तक पहुँच चुका है
00:15इस बारे में सुप्रीम कोट में क्या हुआ इस पर किसी और वीडियो में चर्चा करेंगे
00:20यहां हम इस बुद्धे पर जानने की कोशिश करेंगे कि क्या सुप्रीम कोट हो
00:25CGI के पद पर बैठा कोई शक्स हो या फिर जज हो
00:28उन पर टिपनी करना कितना कानुन संगत है
00:32क्या निशकान दूबे नहीं जो किया वो अपराद की शुरेणी में आता है
00:36यहां ये भी चान लीजे कि ये पहला मौका नहीं है जब सुप्रीम कोट पर टिपनी की गई हो
00:42इसका एक अपना ही अलग इतिहास है
00:45लेकिन हम इस वीडियो में यही जानेंगे कि क्या इस तरह के बयान अपराद की शुरेणी में आते हैं
00:51अगर हां तो सजा का क्या पराबधान है
00:53और अगर नहीं तो आखिर इतना बवाल क्यों हुआ है
00:57चली इस बारे में कानुन के पन्नों को पलटते हैं
01:01क्या कहता है कानुन
01:03कानुन की जानकारों के मताबिक सुप्रीम कोर्ट, CGI या फिर जजों पर टिपनी करना अपने आप में क्राइम की शुरेणी में नहीं आता है
01:12लेकिन यहां भी एक ट्विस्ट है
01:14उसके बारे में इसी वीडियो में जानेंगे
01:16लेकिन सीध्य तोर पर बात करें तो यह अपराद नहीं है
01:19इसको भारत के समविधान का आर्टिकल 19-1-A ही उसे अभीव्यक्ति की स्वतंतरता के अधार पर बरी करता है
01:27हलांकि कोर्ट की अभमानना कानून Contempt of Courts Act 1971 के तहट कुछ सीमाएं भी तैकी गई है
01:35जुसके जरिये कोर्ट की गरिमा और न्याइक प्रक्रिया की अखंडता की रक्षा होती है
01:40वहीं समविधान का आर्टिकल 19-2 इस फ्रीडम पर अंकुष भी लगाता है
01:44ताकि कोर्ट की गरिमा, सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता बनी रहे
01:49कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट, CGI और जजों पर टिपनी तो की ज़ा सकती है
01:53लेकिन मर्यादा की हद नहीं तोटनी चाहिए
01:56यानि आप टिपनी कर सकते हैं
01:58लेकिन संतुलिक, तथिपरक और सम्मान जनक आलोचना कर सकते हैं
02:03कब मानज़ाता है अपराद?
02:06अब यहां सवाल ये है कि इन मामलों में आखिर अपराद का मामला किस हद पर बनता है
02:11दरसल सुप्रीम कोट के किसी फैंसले पर तैसीमा में रहते हुए सवाल उठाना
02:17अपराद की शुरिनी में तो नहीं आता है
02:19लेकिन अगर किसी टिपनी से कोट की गरीमा पर धक्का लगता है
02:23या फिर जजों की निश्वक्षता पर परसनली अटैक होता है
02:27या दी गई टिपनी न्याइक प्रक्रिया को कमजोर करती दिखे तब मामला विगड़ सकता है
02:33ऐसे हालात में कोट की अब मानना मानी जा सकती है
02:36हलांकि यहां भी बयान की डिटेली यानि व्याख्या उसका संदर्ब, उसकी तिवरता और मानसिक्ता को देखा जाता है
02:44ये अलग-अलग केसिस में अलग-अलग परिस्थितियों पर डिपैंड करता है
02:48जहां तक निशिकांत दूबे की टिपनी का मामला है इस पर भी सुपिम कोट की दौड लग चुकी है
02:54तमाम दलीलें बगेरा सुनकर और समविधान के पन्ने उलटकर अब सर्बोच न्यायले ही पताएगा कि आखित क्या हो सकता है
03:01हलांकि निशिकांत दूबे के बयान में परसनल अटेक तो दिखी रहा है
03:06सजा क्या हो सकती है
03:09जब कोट या फिर CGI या फिर जज़ों की अबमानना मान ली जाए तब उसके लिए सजा का प्राबधान भी है
03:15कोट के अबमानना
03:16कानून की 1971 की धारा 12 के तहट आप्राधिक अबमानना के लिए ज्यादा से ज्यादा छे महीने की साधारन जेल की सजा का प्राबधान है
03:26इसके साथ या अलग से ज्यादतर 2000 रुपे का जुर्माना लगा जा सकता है
03:31कई मामले में कोट की तरब से दोनों सजाएं एक साथ ही सुनाई जा सकती है
03:36यानि छे महीने की साधारन जेल और 2000 रुपे का जुर्माना
03:41अब सवाल ये है कि बीजेपी सांसर निशीकान दूबे का क्या होगा
03:45जहां तक कानून की बात है अगर उनको दोशी ठहरा भी दिया जाए
03:49तो उनको महीने की सजा या फिर 2000 रुपे जुर्माना या दौनों हो सकता है
03:54लेकिन अब ये सुप्रीम कोट ही तै करेगा या फिर जिस कोट में उनके खिलाफ केस को मनजूर कर लिया जाएगा
04:00अब यहां आपका रोल सामने आता है क्या सुप्रीम कोट जैसी संस्था, CGI जैसे उन्चे पद या फिर जज जैसे सम्मान जनक पदों पर बैठे लोगों की अबमाना कर देने की सजा इतनी कम होनी चाहिए
04:12कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें इस खबर में वस इतना ही बाकी अपडेट्स के लिए जुड़े रही वन इंडिया हिंदी के साथ धन्यवाद