Watch Utha Patak Season 4 Episodes 1–2 (2024) – A bold Hindi web series streaming on ALTBalaji.
Utha Patak is a fantasy drama that explores the boundaries between imagination and reality. The story revolves around a mysterious book that brings readers' fantasies to life, leading to unexpected and thrilling experiences. Season 4 continues to delve into the lives of characters entangled in this enigmatic narrative.
The Movie Database
Series Details:
Title: Utha Patak
Season: 4
Episodes: 1–2
Language: Hindi
Genre: Fantasy, Drama, Adult
Release Year: 2024
Platform: ALTBalaji
Resolution: 720p WEB-DL
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📌 Experience a unique blend of fantasy and drama that challenges the boundaries of reality.
Utha Patak is a fantasy drama that explores the boundaries between imagination and reality. The story revolves around a mysterious book that brings readers' fantasies to life, leading to unexpected and thrilling experiences. Season 4 continues to delve into the lives of characters entangled in this enigmatic narrative.
The Movie Database
Series Details:
Title: Utha Patak
Season: 4
Episodes: 1–2
Language: Hindi
Genre: Fantasy, Drama, Adult
Release Year: 2024
Platform: ALTBalaji
Resolution: 720p WEB-DL
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TVTranscript
00:00झाल झाल
00:30झाल झाल
01:00नमस्कार जमीदार साहब
01:04कौन हो तुम?
01:11मैं आपके मुन्शी जी का बेटा हूँ सोनू
01:13उन्होंने मुझे आपके पास भेजा है
01:14कारोबार का लेखा जोगा देखने के लिए
01:17हिसाब किताब सब ठीक से कर लेते हो ना?
01:20हाँ, पिताजी से सब कुछ सीख रखा है
01:22अरे वाह, फिर आओ मेरे साथ
01:25जी
01:26ये रहा तुम्हारा कमरा
01:33पहले यहाँ तुम्हारे बाबो जी बैठ कर काम करते थे
01:37अब तुम बैठ कर काम करना ठीक है?
01:39ठीक है जमीदार साहब
01:40अच्छा देखो, मन्डी का रसीर या बिल नहीं मिले
01:43तो मालकिन से पूछ लेना
01:44ठीक है ठीक है ठीक है ठीक है
01:46बैठ काम करो
01:47ठीक है ठीक है जमीदार साहब
01:49अब बैठ काम कर अव्या Squad
01:59अव्या है जम्हार करक्त BO
02:06कि येक है जम्हार कर र이션
02:13येजा है ठीक है भ्याओ्ड वी बैठ की है
02:17ये तो सब दो महिने पहले पुराने वाले वही खाते हैं
02:35इस महिने के कहां पर हैं
02:47ये बही खातों के बीच में कौनसी किताब है
03:11उठा पटक
03:17जमीदार के घर पे आया नया लेख पाल
03:25सुन वो इस बात से बिलकुल अंजान था कि जिस जमीदार के घर पे
03:29वो उसकी कमाई का लेखा जोका संभालने आया है
03:32वहां उसका सामना जमीदार की एक ऐसी नायाब कमाई से होने वाला था
03:36जो किसी वैपार में लेन लेन से नहीं बलकि किसमत से हासिल होती
03:40और जमीदार की उस नायाब कमाई का नाम था मोहिन
03:43जिसकी उम्र सिर्फ 24 वर्ष की थी
03:47लेकिन उसके स्टुडोल और काम रस्से बरे
03:51खुस्न के दिवाने हर उमर के देखती थे
03:53जमीदार के घर में मुहिनी
04:00तुम मुहिन से जी के बेटे हो ना
04:25जी
04:26ये मैं तुम्हारे लिए चाहिल आई थे
04:35और आप कौन?
04:42अब मैं
04:43अरे मोहिनी?
04:45जी आई
04:46मेरा भै कहा है लाके दो
04:50ये मुझे क्या होने लगा है
05:02सोनू काम पर ध्यान दे
05:05आज तेरा पहला दिन है
05:07और सुनू
05:15जी सब
05:17सब समझ में आ रहा है ना?
05:19यह एक बिल है
05:21इसको भी दर्ज कर लेना रेजिस्टर में
05:23ठीक है?
05:25और सुनू
05:25मैं शाहर जा रहा हूँ
05:27किसी भी चीज की जूरत हो
05:28तो मालकिन से पूछिए है
05:30जी
05:30ठीक है?
05:31ठीक से काम कर रहा हूँ
05:34जी
05:34जमीदार की अनुपस्थिती में
05:43सोनू के पास
05:44अब मुहिनी के योवन से भरे
05:46उसन का दिदार करने का
05:47फिर से एक शनरा मुमा था
05:49अब वो किसी ना किसी भाने से
05:51मुहिनी के साथ
05:53अपनी वारतलाप को बढ़ाना चाता है
06:19मुहिनी के वक्षो का आकार
06:30शायद इतना बढ़ चुका था
06:32कि उनके लिए अब पुराना ब्लाउस भी छोटा पढ़ने लगाता
06:36और वहीं दूसरी तरफ
06:39मुहिनी की संगी मरमर की तरह
06:41मुलायम और चिकनी पीठ को देख कर
06:43अब सोनू की काम उर्जा का स्तर
06:45और भी उपर बढ़ता ही जाना
07:15तुम यहां?
07:33मुहिनी के करीब जाते ही
07:39सोनू का अंतरमन ब्लाउस का फुक लगाने की जगा
07:42मुहिनी की संगी मरमर जैसी मुलायम पीठ को चूमने के लिए कहने लगा
07:47अगर आपको बुराना लगे तो
07:52आपका ब्लाउस मैं पहना दूँ
07:55तुम कैसे?
07:58ठीक है फिना दो
08:03यह क्या कर रहे हो दूँ
08:10बस ब्लाउस पैनाने की जगा उतार रहा हूँ
08:16नहीं नहीं
08:28सोनु के हाथ अब मोहिनी के सुडोल और मुलायम बदन को हर जगा से चूने को तयार थी
08:37और अब मोहिनी भी उसे ऐसा करने से पिल्की भी रोकना नहीं चाहती
08:41मोहिनी का काम वास्पना से भरा जिस्म पाकर अब सोनु उसे पूरी तरह से भोगना चाहता है
08:50मोहिनी का वास्पना चाहता है
09:20मोहिनी का वास्पना चाहता है
09:50मोहिनी का वास्पना चाहता है
10:20झाल झाल
10:50प्रुक रुक रुक
11:20बैठे रहो
11:21ये पूरे एक हप्ते के कागजाद
11:25अंदर काफी टैम से पड़े हुए थे
11:30सोचे ले आओ
11:31आप यहाँ
11:34हाँ वो जमीदार साहब बोल कर गये थे
11:41ये सब तुम्हें दे दूँ
11:42वैसे तुम्हारी पढ़ाई कहा तक है
11:48जी मैं बी ए से स्तना तक हूँ
11:52शादी शुदा हो
11:55नहीं नहीं
11:56सादी कहाँ
11:59सोच रहा हूँ कि
12:00नोकरी में पहले सेटलमेंट हो जाए
12:02उसके बाद शादी का सोचूँगा
12:04हम्ह
12:06अच्छी बात है
12:09काफी समझदार लगते हो तुम
12:12वैसे
12:13एक बात पूछूँ
12:14अगर आप बुरा ना माने तो
12:16हाँ बिलकुल
12:25वो तो किसी को नहीं लगता है
12:27अब कहाँ वो
12:29पचास के और मैं चोविस की
12:32लेकिन अब मेरे घरवालों को
12:37जहां अच्छा लगा
12:39वहीं शादी करवा दिये
12:41तो आप इस
12:43शादी से खुश हैं?
12:45हाँ बिलकुल
12:46घरवालों की खुशी में
12:49मेरी खुशी है
12:51बाकी मैं दुनिया तारी के बारे में
12:53ज़्यादा नहीं सोचती
12:54ये तो बहुत बढ़िया बात है
12:57अच्छा सुनो
12:58मैं जाकर अंदर अपना काम निप्टाती हूँ
13:01तो मैं कुछ चाहिए तो
13:03विजी टक मांग लेना ठीक है?
13:04हाँ
13:05मोहीनी की बात तो से ऐसा
13:13मैसूस हो रहा था
13:14जैसे वो बहुत ही खुले विचारो वाली लड़की हूँ
13:17और अब तो उसमें सोनू को बेजिजक
13:22कुछ भी मांगने का खुला निमंतरन भी दे डाला था
13:26जिसको लेकर सोनू को अब
13:28अपनी जिन्दगी के बही खाते में भी
13:31बहतरीन लाब मिलने का पूरा अवसर दिखाई दे रहा था
13:34मुहिनी जी
13:46हाँ
13:48कुछ चाहिए था तुमें
13:54हाँ
13:55मुझे एक गलास पानी चाहिए था
13:58रुको मैं लेके आती हूँ
14:00असल में प्यास तो सोनू को पानी की नहीं
14:10बलकि मुहिनी के रसीले होटो की थी
14:12मुहिनी जी आपकी ये
14:24आप ये
14:26ए भगवान इसको भी अभी गिरना था
14:30क्या कर रहे हो तुम छोड़ो इसे
14:32तुम तुम क्या चाते हो
14:38तुम्हारे इन होटो का रसीला रस पीना चाहता हूं मैं
14:46तुम्हारे इन हो तुमाँ मैं प्रणाब झापके रसे प्रणाब दो मुहारे रसे रसे नहीं
15:00झाल झाल
15:30झाल झाल
16:00झाल झाल
16:30झाल
17:00झाल
17:30झाल
18:00मोहिनी सोनू के सामने दिन भर तो ऐसे पेश आ रही थी, जैसे उसकी जिन्दगी में किसी भी चीज की कमी न हो, लेकिन जैसे ही रात होती, तब वो जमीदार सहाब के सामने अपनी उस इच्छा को प्रकट रही जो वो किसी और के सामने बिल्कुल भी नहीं कर सकती थी.
18:23सुनिये न, कभी सोने से पहले, मेरे इस बदन को भी देख लिया कीजी, इसे भी जरुत होती है किसी सुक्की.
18:48मतलब अपना काम धंदा छोड़के तुम्हारे बदन के जरूरत पे धंदे हैं, कल सुबर नए सौड़े के लिए जाना है, तुब चब सो जाओ, और हमें भी सोने दो मेंदारे.
19:02जिस मोहिनी के बदन का रस चकने को, हर गाओं का मर्द सपना देखा करता था, वो अब खुद अधूरी प्यास के साथ बिस्तर पे लेटी रहती है.
19:32हिसाब सब ठीक है न, सुनू? जी. देखो, जितने भी लिंदार और दिंदार है न, सब का हिसाब लिग कर शाम तक रखो तुम. ठीक है, तब तक मैं बैंक से हो के आता हूँ. चलो.
20:02मालिक तो चले गए, यार. पहले किताब पढ़ लेता हूँ, एक बार.
20:25मुहिनी घर के आइने के सामने बैट कर, खुद के बदन को निहार रही थी.
20:30ऐसा लग रहा था, जैसे वो किसी ऐसे युवक की तलाश में हो, जो उसके इस काम सुख से वंचित, खुबसूरत बदन को वो चरम सुख दिला पाए, जो उसका जमीदार पती बिल्कुल भी नहीं दे पाता था.
20:43लेकिन अब शायद मुहिनी के सब्र का बांध तूट चुका था, वो सीधा उटकर अब बही खाते वाले के कमरे की तरफ चल देगी.
20:59मुझे तुम से मदद चाहिए, क्या तो मेरी इच्छा पूरी कर सकते हो?
21:17मैं तो आपकी हर इच्छा पूरी करने के लिए तयार हूँ, एक बार कहके तो देखिए.
21:25मुझे सालरिक सुक चाहिए.
21:29क्या तुम मुझे सारे रिक्सोक दे सकते हो?
21:35मोहिनी के मुझे ऐसे अलफास सुनते ही, सोनू की नस नस में काम क्रियाए के संखेत दोनने लगते हैं.
21:42अब सोनू की काम वासना का स्तर इस कदर बढ़ जाता है,
21:46कि वो अपने सामने रखे बहीक हातों के कागजात को हवा में उच्छाल कर फेक देता हैं.
21:52जैसे आज उसके सामने किसी कारोबार की जगा को सिर्फ काम वासना का ही हिसाब पताब करने को.
22:14सोनू और मोहिनी एक दूसरे में इस ख़दर समाए रखे हैं.
22:18जैसे उनका मिलन सिर्फ एक दूसरे को चरम सुख देने के लिए जी हुआ हो.
22:23जैसे उनका मिलन सिर्फ से जी हम जी हुआ हैं.
22:53झाल झाल
23:23झाल झाल
23:53झाल
24:23सोनू
24:27सोनू
24:31सोनू
24:34यह क्या हाल बना रखा है?
24:38वो कुछ नहीं मैं कुछ सोच रहा था बस
24:41पंके के हवा के वज़े से सारे कागच इदर उदर बिखर गये हैं ध्यान का है तुम्हारा?
24:49बस ऐसे ही हो गया यह अभी अभी तुमने क्या चुपआया पीछे?
24:53कुछ नहीं कुछ नहीं चुलो दिखाओ
24:55लग दिखाओ मुझे
25:01उठाब पटक छी तुम ये सब पढ़ते हो?
25:06जमीदार सहब का लेखा जोखा छोड़कर ये सब पढ़के टाइम पास कर रहे हो?
25:10नहीं नहीं ये मेरी नहीं है
25:12अच्छा तुमारे नहीं ये तो मेरी है?
25:14है यह सब जमीदार साहब को और तुम्हारे पिता जी को पता चलेगा तो क्या सोचेंगे तुम्हारे
25:19नहीं नहीं उन्हें बताने की शरुत नहीं है मैं कसम खाता हूं आज के बाद इस किताब को नहीं पड़ूँगा अगर दुबारा तुम्हें यह सब करते हुए देख लिया ना तो समझ लेना तुम फिर यह जितने भी बिल पड़े हैं ना सब कोई कठा करो एक भी पेपर ग�
25:49मैंना पूरा करियर खराब कर लिया चलो अभी समेटता हूं
26:19झाल करे लिया थार तुम्हें यह साथ करे अभी बिल पहली हैं जितने राफ बिल अधर चलो अड़ूँगा फिर दूसरा हूं
26:49झाल झाल
27:19झाल झाल
27:49कमाल है
28:15लोगों को बुक शेल्फ पे बुक रखते देखा है
28:17पहली बार देख रहा हूँ
28:19स्टोर रूम में किताब
28:21उठा पटक
28:26लगता है बहुत कुछ खास होगा इस किताब में
28:32तब ही इसे यहां स्टोरों में रखा गया है
28:34देखे तो जरा
28:36इसमें है क्या
28:40नेहा भावी
28:43जिसकी आँखों में देखते ही किसी भी मर्ज की रगों में
28:50काम वासना का खरंट अपने आप दोड़ने लगता है
28:54लेकिन वो है कि खुद को ज्यादा तर किसी ना किसी काम में व्यस्त रखना ही पसंद करती है
29:01आज नेहा को हर हाल में एक प्रोजेक्ट खतम करके वापिस से क्लम को मेल करना से है
29:08प्रोजेक्ट जमा करने की तारीक भी आज अंतिम ही जी और इसी चक्र में नेहा कंप्यूटर के सामने काम में इतनी व्यस्त है कि
29:18उसे अपनी साड़ी का पलू तक कंधे पर वापिस लेने का द्यान नहीं रहता है
29:24लेकिन अचानक से कमरे में अंधेरा हो जाने की वज़ा से नेहा की सांसे बीज में ही अटक सी जाती है
29:33अरे यार अब इस लाइट को भी अभी जाना था क्या अब मैं अपना प्राजेक्ट कैसे पुरा करूंगी
29:38मुझे तो यह प्राजेक्ट आज ही सब्मिट करना है
29:43नेहा भावी घर की खिड़की से बाहर जांक कर देखती है
29:55तो उसे पडोसियों के घर की लाइट जलती हुई दिखाई देती है
29:58वो समझ जाती है कि उसके घर में अंधेरा बिजली विवाग बालों के तर्व से नहीं
30:03ये लाइट को भी अभी जाना था क्या?
30:05बलकि उसके घर में ही किसी इलेक्ट्रिक फॉल्ट की वजह से हुआ है
30:11जिसे अब सिर्फ और सिर्फ एक इलेक्ट्रीशन ही ठीक कर सकता था
30:15तभी नेहा भावी इलेक्ट्रीशन राजू का नमबर टाइट अरे?
30:20इस मोहले में तो सारे घरों में लाइट है
30:22सिर्फ मेरे घर की लाइट गई है
30:25इसका मतलब जरूर कुछ फॉल्ट हुआ हो गई यही पे
30:28मैं राजू को फोन करती हूँ
30:31ये तो किसी मेरे जैसे लेक्ट्रीशन की कहानी लगती है
30:35हलो?
30:41हलो राजू?
30:42घर की लाइट चली गई है तुम जल्दी आओ
30:44जी भवी मैं अभी आता हूँ
30:45हाँ हाँ ठीक है जल्दी आना
30:47जी
30:47ये किताब को साथ ही ले चलता हूँ
30:52काफी मेर्दी जुल्दी सी कहानी है यार
30:54अब मुझे मुम्बंती धूर्णने पड़ीगी
30:59देखू कहा रखी
31:14भवी मैडम जी एक काम करता हूँ
31:34जब तट मैडम दर्वाजा खोलेंगी मैं अपनी बुक पड़ लेता हूँ
31:37हाल में खड़ी निहां बादी घर के काले अंधेरे में थोड़ी सी रौष्णी पैदा करने के लिए
31:54अब मुम्बंती का सहारा लेती है
31:57अभिता की एलेक्रिशन नहीं आया
32:01राजू पूरी उत्चुकता के साथ
32:03कंदे पर अपना बैग लिये हुए नेहा के घर के बार खड़ उसकी प्रतिक्षा कर रहा होता है
32:10तभी नेहा हाथ में मुम्बंती लिये हुए अपने घर का दरवाजा खोल दी
32:15और फिर जैसे ही मुम्बंती की रोशनी नेहा भावी के खूबसूरक चहरे पर बनती है
32:20अरे राजू तुम आ गए
32:21जी भावी जी
32:32तो राजू चाहते हुए भी उसके चहरे से नजर हटा नहीं पाता
32:41अब तुम आ गए होना राजू तो जल्दी से मेरे घर की लाइट ठीक कर दो
32:46मुझे बहुत जरूरी काम है जी मैडम जी आए
32:49आजो
32:49यहां
32:54यह में तार में करंट क्यों नहीं आ रहे है
33:08कहीं कोई शौर्ड सरक्ट तो नहीं हो गया
33:10अकेले में क्या बड़बड़ा आ रहे हो राजू मुझे बताओ
33:13भावी जी जब चेक करने के बाद मुझे तो प्राबलम को ज्यादे बड़ी दिखाई दे रही है
33:19अब यह तो कल सुबही ठीक होगी
33:21क्या?
33:23अरे नहीं नहीं राजू
33:24प्लीज तुम अभी कुछ करो
33:25अभी कैसे भी थोड़ी सी लाइट चालू कर दो
33:28मुझे बहुत ज़रूरी काम पूरा करना है
33:30मेरा बहुत बड़ा प्राजेक्ट है
33:31मुझे कल सब्मिट करना है
33:32वरना बहुत प्राबलम हो जाएगा राजू
33:34प्लीज तुम कुछ करो
33:35अच्छ ठीक है मैं काम करता हूँ
33:38अब आप इतना रिक्वेस्ट करी रही है
33:40तो मैं ना घर के एक साइड की लैट का
33:43बंदो बस कर देता हूँ
33:44ताकि आपका काम भी हो जाएगा
33:45अरे थैंक यू सो मच राजू
33:47तुम कितने अच्छ हूँ
33:49थैंक यू सो मच
33:50इलेक्ट्रीशन राजू के अलफाज
33:54नेहा भावी को इतनी साकार्त
33:56मक और्जा से भर देते हैं
33:59कि वो राजू जैसे साधारन से दिखने वाले
34:02इलेक्ट्रीशन को भी
34:03गले लगाने से परहिज नहीं करती
34:06और वहीं दूसरी तरफ
34:09नेहा भावी के मकमली बदन का स्पर्श
34:13राजू इलेक्ट्रीशन के
34:15शरीर में चार सो चालिस वोल्ट का करन
34:18पैदा कर देता है
34:19जिसकी वज़ा से
34:21राजू के हाथ अपने आप
34:24अब नेहा भावी के मुलाएं बदन को
34:27ओपर से लेकर नीचे तक छूने लगते हैं
34:32और एक एलेक्ट्रीशन के
34:34काम वासना से भरे हाथों का स्पर्श
34:37अब नेहा भावी को उड़ी
34:39मदहोश करके उत्तेजिक करने लगता है
34:51अब नेहा भावी को उड़ी
35:21अब नेहा भावी को उड़ी
35:51अब नेहा भावी को उड़ी
35:55टो उड़ी
36:01अब नेहा भावी को उड़ी
36:05झाल झाल
36:35अरे राजू क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे छोड़ो राजू छोड़ो क्या कर रहे हो
36:52अरे सॉरी बबी जी वो क्या है ना बेजली का काम करते करते पूर दिन हाथ ऐसे रहते हैं तो अकड़ जाते हैं
36:58अच्छ, ठीक, ठीक, कोई बात नहीं, तुम्हा भी लाइट चालू करूँ
37:01ठीक, मैं कुछ करता हूँ
37:03अरे राजू, लाइट करूँ न, क्या देख रहे हो मेरी तरफ बार-बार, लाइट लगाओ
37:19अरे राजू, तुमने तो अपनी जुगार से मेरी अटकी हुई सासे बापस ले आई
37:29भावी जी, आपके लिए तो मैं अपना हर टेलन्ट दिखाने को तैयार हूँ
37:33अच्छ, सुनू, अभी तुम यहीं इंतिजार करना, मैं अपना काम पुरा करके आती हूँ
37:37जाना मत ठीक है, ठीक है, कहीं फिर से लाइट चली गई तो मुझे तुम्हारी जरूरत पड़ेगी
37:41बिलकुल, ठीक है, तुम रेठो
37:43जी
37:44जब तक ही अपना काम करेंगी, मैं अपनी बुक पढ़ लेता हूँ
38:07घर में बिजली वापस आने के बाद, नेहा भावी अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने में व्यस्त हो जाती है
38:21लेकिन वहीं दूसरी तरफ, नेहा भावी के आलिंगन से राजू के तन बदन में इतनी बिजली पैदा हो चुकी थी
38:30जो सिर्फ और सिर्फ अब, नेहा भावी के साथ काम वासना में लिप्ठ होकर ही खर्च की जा सकती थी
38:39राजू, अगर तुम्हें कुछ खाना भी न होना, तो फ्रेज से ले लेना
38:45जी भावी
38:46पराजू के शरीर के अंदर अब जो भूख और प्यास थी, वो अब किसी भी परकार के अन और जल से नहीं मिटने वाली थी
38:57उसकी भूख और प्यास का इलाज सिर्फ एक ही चीज थी, नेहा भावी
39:15जी भावी
39:45बावी जी लीजिए बावी जी आपके लिए खोल रिंग
40:11अरे राजू ये तुम मेरे लिए क्यों ले क्या है मैंने तो तुम से कहा था कुछ ले लेना और वैसे भी मैं रात को कोल रिंग्स नहीं पीती अब मैं आपके लिए तने प्यार से लाया हूँ पी लीजिए राजू सच में मैं कोल रिंग्स नहीं पीती रात में और मुझे य
40:41मैं कॉफी बना दू अरे नहीं राजू तुम बैठो बस मैं ये काम ख़त्म करूं ठीक है ठीक है नेहा अपने काम में फिर से व्यस्त हो जाती है लेकिन इलेक्ट्रीशन राजू के अंदर नेहा भावी के दवारा जगाया गया काम बासन का जवाला मुठी अभी भी शान्त ह
41:11अभी के हर एक अंग को तराशने में लगी पड़ी थी और उसके हाथ टेस्ट पैन की तरह नेहा भावी के बदन के करंट को चेक करने के लिए तडब रहे थे लेकिन अब राजू के सबर का बान तूट चुका था
41:29राजू प्लीज मुझे काम करने दो ना आप अपना काम करते रहें मैं अपना काम करूंगा
41:46नेहा भावी अपने प्रोजेक्ट की काम को भूल कर अब इलेक्ट्रीशन राजू के साथ संभोग में लिप्त होने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी
41:57बिना साड़ी के नेहा भावी को देखने के बाद इलेक्ट्रीशन राजू की नसों में काम और जा का प्रोभा और तेजी से बहने लगा था
42:27झाल झाल
42:57झाल झाल
43:27झाल झाल
43:57झाल
44:27राजू
44:41राजू
44:42जी
44:48अरे क्या हुआ तुम्हारे चेहरे का फ्यूज क्यों उड़ा हुआ है
44:53नहीं भापजी मैं तो ठीक हूँ
44:55एनिवे थैंक्यू सो मच राजू
44:58तुम्हारी वज़े से न मेरा अपना प्राजेक्ट कुरा हो गया
45:01अरवा ये तो बहुत खोशी की बात है
45:03अच्छा तुम बैठो यहां पर मैं तुम्हारे लिए कॉफी बना कर ला दी
45:06तुमने सच में बहुत बड़ा काम किया है राजू
45:09भावी जी मैं आपके लिए हर बड़ा काम करने को तयार हूँ
45:13आप सिर्फ आजमा कर देखीगे
45:15अच्छा हुआ आप आ गये
45:21क्यों भई ऐसा क्या हो गया
45:23अरे यहां तो बत्ती गूल हो गई थी
45:25वो तो भला हो इस राजू इलेक्टीशन का
45:28जिसने तुरंत आके टेंपुररी लाइट चालू कर दी
45:30और मेरा प्रोजेक्ट भी पुरा हो गया
45:32लेकिन टेंपुररी क्यों
45:34वो सर क्या है ना तारे धर की पुरानी हो चुकी है
45:36तो अंदर कहीं पे शौर्ट सरक्ट हुआ होगा
45:38अब उन्हें कल दिन में मैं नई तारो सच चेक करूँगा फिर रिपेर करूँगा
45:42ठीक है
45:43अच्छा भाबी जी मैं भी चलता हूँ
45:45अरे ऐसे कैसे राजू तुम बैठो कॉफी पी कर जाना
45:48अरे नहीं नहीं आज अब मेरे हिस्से की कॉफी सर को पला दीजिए
45:52मैं मेरे हिस्से की कॉफी कल पी लूँ
45:54अच्छा ठीक है
45:55जी
45:56अब चले अंदर
46:07जी चले
46:07चलो
46:08अरे मोहित
46:19तुम आज डॉक्टर के पास गये थे क्या
46:21हाँ डॉक्टर के पास तो गया था
46:24लेकिन उन्हें कहा है कि
46:26जब तक मेरे ओर्गन की नवस्थीक नहीं हो जाती
46:28तब तक मैं तुमारे साथ शारीरिक संबद नहीं बना सकता
46:32पती के अंदर अचानक से आई नामर्दानगी के कारण
46:36नेहा काफी समय से उसके साथ संभोग भी नहीं कर पा रही थी
46:41बावी जी
46:56बावी जी
47:01क्या बात अबावी जी
47:22आप इस साड़ी में ना लाजबाब लग रही हूँ
47:25अरे राजो उसमें क्या बड़ी बात है
47:28मैं तो किसी भी ड्रेस में खुबसुरत लगती हूँ
47:30अच्छे जाके तुम अपना काम शुरू करो चलो
47:32जी चलो आज़ा
47:33अच्छे ये में लैन बंद करनी पड़ेगी
47:49ठीक है
47:50ठीक से देख लो राजो चेक कर लो
47:55कहीं कोई प्राब्लम ना रह जाए बात में
47:56अरे भावी जी अब चिंता मत करो
47:58लो भावी जी आपकी लगते सिटी केस सारे फॉल्ट मेने ठीक कर दियें
48:16थैंक यू राजू तुम चलके हॉल में बैठो
48:19मैं तुम्हारे लिए कॉफी बना कर लाती हूँ
48:20ठीक है
48:21प्रावी जी तुम्हारे बना कर दो रह जाए बना कर दो जाए तुम्हारे लुपी तुम्हारे लिए जीए
48:30कि नेहा भावी की इलेक्ट्रिसिटी का काम तो पूरा हो चुका था
48:54मगर राजु का एक काम अब भी अधूरा था राजु नेहा भावी के पास जाकर कह देना चाहता था
49:03कि वो उनकी जिन्दिगी के उस हिस्से के अंधेरे को भी दूर कर सकता है जिस अंधेरे में वो अपने पती के साथ राते गुजार रही थी
49:14अब अपना दूसरा अधूरा काम पूरा करने के लिए राजु चुप चाप किचन के दरवाजे पर तस्तक देता है और पीछे खड़ा होकर नेहा भावी के पतन को फिर से निहादने लगता है
49:34और फिर अपने धीमे कदमों से फास चाकर पीछे से नेहा भावी के बदन को अपने हाथों से सहलाने लगता है
49:45और वही राजु के हाथ अपने बदन पर महसूस करते ही नेहा भावी भी मदहोशी से आहें भरने लगती है
50:04झाल झाल
50:34झाल
51:04इलक्ट्रिशन राजू और नेहा भावी
51:07दोनों काम वास्तना में इतने लीन हो जाते हैं
51:11जैसे वो दोनों दो जिस्क और एक जान हो चुके हैं
51:16झाल
51:46झाल
52:16झाल
52:46झाल
53:15या पढ़ रहे थे तुम?
53:24उठापटक
53:25छी राजू
53:27बाबी वजबब
53:28तुम अगर ऐसे किताबे पढ़ोगे न तो तुम्हारा अच्छा खासा चलता हुआ दिमाग घास चरने जाएगा
53:34अभी तुम जाओ यहां से और जो तुम्हारे पैसे बनते हैं मैं उनसे भिजवा दूगी
53:38निकलो यहां से
53:40इस किताब के चकर में न आज भाबी जी के सामने अच्छी खासे जिद का फालूदा हो जाता
54:08करते चलता
54:38झाल झाल