Pahalgam Terror Attack: पहलगाम के आतंकी हमले (Pahalgam Attack) ने 28 पर्यटकों की जिंदगियां छीन लीं। इस हमले में एक हिंदू शख्स की सूझबूझ ने न केवल उनकी बल्कि उनके पूरे परिवार की जान बचा दी. आखिर ऐसा क्या हुआ वीडियो में जानें विस्तार से.
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00:00मैं ने कल्मा पढ़ा और बच गया
00:18पहल गाम हमले से दहशत में असम के प्रोफेसर
00:23कहा सामने दिख रही थी मौत लेकिन
00:27कभी कभी जिन्दकी अचानक थम जाती है
00:32और कुछ लम्हें ऐसे होते हैं जो हमेशा के लिए
00:35जहन में उतर जाते हैं
00:38ऐसा ही एक खौफनाक अनुभव था
00:40आसम यूनिवर्सिटी के एसोसियेट प्रोफेसर
00:43देवाशीश भट्टा चार्यका
00:45जो अपनी पत्न और बच्चों के साथ
00:48कश्मीर की खूबसूरत वादियों में चुट्टियां मनाने कए
00:51लेकिन जो सफर सुकून के लिए शुरू हुआ
00:54वो अब एक भयावा मनजर बन गया
00:57पहाडों की गोद में बसी बैसरन घाटी
01:00जहां चारो और हरियाली और शान्ती थी
01:04वहाँ अचानक गोलियों की तड़ तड़ाहट गूंजने लगी
01:07आतंक्यों ने घाटी पर धावा बोल दिया
01:10और लोगों का धर्म पूछ कर उन्हें गोली मारनी शुरू की
01:14उस समय प्रोफेसर अपने परिवार संग एक पेड़ के नीचे लेटे हुए थे
01:19इस उम्मीद में कि कुदरत की खूपसूर्ती का आनंद ले
01:23लेकिन अगले ही पल वे मौत के बेहद करीब थे
01:27चारो और अफरा तफरी मच गई
01:29उन्होंने देखा कि आसपस मौजूद लोग बचे रहने की आस में कलमा पढ़ रही है
01:35महौल ऐसा था इंसान को अपने पहचान चुपानी पड़ी
01:39देवशीज भटाचारिय जो की एक हिंदू बंगाली है
01:42उन्होंने भी देखा देखी कलमा पढ़ना शुरू कर दिया
01:46तबी एक आतंकी उनके पास आया और पूछा क्या कर रही हो
01:51सवाल सुनते ही उन्होंने जवाब देने की बजाए और तीजी से कलमा पढ़ना शुरू किया
01:57शायद ये वही पल था जिससे उनकी जान बच गई आदम की थोड़ी देर तक उन्हें घूरता रहा फिर बगल में लेटे एक अन्य व्यक्ति के सिर में गूली मार कर आगे बढ़ गया ये मंजर देख प्रोफेसर और उनका परिवार सन रह गया जैसे दैसे मौकी का फायदा �
02:27कि वे मंजर अब तक आँखों के सामने तैर रहा है उन्हें विश्वास नहीं हो रहा कि वे वाकई जिन्दा हैं ये सिर्फ एक किस्सा नहीं बलकि उस नफरत और हिंसा का आईना भी है जिसमें इंसानियत पोचाती है और पहचान के नाम पर जिन्दगिया चीनी गई इस न
02:57पाया उसके पिता और चाचा को सर्फ इसलिए गूली मार दी कई क्योंकि वे कुरान की आयत नहीं सुना पाए कश्मीर के जन्नत में उस दिन जो कुछ हुआ उस जाहिर तोर पर इंसानियत के नाम पर एक कलंग है जो लंबे समय तर याद रखा जाएगा