जय मां अंगारमोती और युवा आदिवासी संगठन की मेहनत ला रही रंग.
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00:00आदिवासी समाज आज भी अपनी लोग कला और लोग संस्कृति की जडों से चुड़ा है
00:16जल जंगल और जमीन की रक्षा के साथ साथ ये अपने संस्कृतिक पहचान को भी बनाए रखे है
00:22आदिवासी परंपरा और संस्कृति को लोगों तक पहुचाने और बढ़ाने के लिए जै अंगार मोती और आदिवासी युवा संग्रठन के लोग लगातार प्रदेश भर में कारेक्रम आयोजित करते रहते हैं
00:52हम लोग यहाँ अदिवासी कल्चर बाहर बाहर जाते हैं हमारे भईये हैं हेड वो हम लोगों को बताते हैं कि यहाँ यहाँ जाना है करके हम लोग बड़े से बड़े आदमी लोगों को सामने में सम्मान करने के लिए जाते हैं उसका स्वागत करने के लिए जाते हैं
01:08उम्र में भले ही ये बच्चे आपको छोटे लगे, लेकिन जिस तरह से ढोलताशे पर ये अपनी बहतरी इंजुगलबद्धी पेश करते हैं, वो आपका दिल जीत लेगी.
01:16ये बच्चे ना सिर्फ अपनी कला और संस्कृती को बढ़ा रहे हैं, बल्कि उसमें रमकर अपनी पारंपरिक पहचान को भी मुकमल कर रही हैं.
01:46अब लेकिन बच्चे हमारे जो पूर्वज हैं, उनके परंपराओं को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
02:00हमारे जो संस्कृती हैं, बहुत विशिष्ट है, प्रकृती से जुड़ा हुआ हैं.
02:06हमारे खान पान में, रहन सहन में, रिती रिवाज में, परंपराओं में, सब में हमारा कल्चर दिखता है और वेज्ञानिक तरक से हम लोग उसको देखते हैं.
02:16इन परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए चोटे-चोटे बच्चे आज भूँ सुन्दर प्रस्ति दिये और इसकी ज़रूरत आज समाज में, आज समाज के बच्चे जो पाश्चात के संस्रिती को जा रहे हैं, ऐसे समय में इस तरह के कारिकरम बहुत महत्पून हैं.
02:33पढ़ाई के साथ साथ जिस तरह से ये बच्चे अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और बढ़ाने का काम कर रहे हैं, वो काबिले तारीफ है. आधुनिक्ता के इस दौर में ये बच्चे अपनी जडों से आज भी जुड़े हैं. ये आदिवासी समाज और 36 गड़ के �