15 अप्रैल को पोलैंड ने ठोस ईंधन से संचालित तीन चरणों वाली 308 मिमी व्यास की रॉकेट का पहला परीक्षण किया। यह परीक्षण एक नए और हल्के सबऑर्बिटल लॉन्च सिस्टम को विकसित करने की परियोजना का हिस्सा था।
इस पहल का संचालन वारसॉ के मिलिट्री टेक्निकल इंस्टीट्यूट (WITU) द्वारा किया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर विशेषज्ञ स्रोतों द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, यह रॉकेट इस तरह से डिज़ाइन की गई है कि यह कार्गो को कर्मन रेखा — यानी पृथ्वी और अंतरिक्ष के बीच की प्रतीकात्मक सीमा, जो कि 100 किमी की ऊँचाई पर स्थित है — से आगे ले जा सके।
यदि यह परीक्षण सफल और पुष्टि किया गया है, तो यह पोलैंड की एयरोस्पेस तकनीकी क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत है।
सबऑर्बिटल मिशनों के अलावा, इस सिस्टम को संभावित रूप से एक वायु रक्षा हथियार के रूप में उपयोग करने की संभावना पर भी अध्ययन किया जा रहा है, जो इसे पोलिश सशस्त्र बलों के लिए रणनीतिक रूप से और भी अधिक मूल्यवान बना देता है।
स्रोत और चित्र: X @PawelSokala.
इस पहल का संचालन वारसॉ के मिलिट्री टेक्निकल इंस्टीट्यूट (WITU) द्वारा किया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर विशेषज्ञ स्रोतों द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, यह रॉकेट इस तरह से डिज़ाइन की गई है कि यह कार्गो को कर्मन रेखा — यानी पृथ्वी और अंतरिक्ष के बीच की प्रतीकात्मक सीमा, जो कि 100 किमी की ऊँचाई पर स्थित है — से आगे ले जा सके।
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