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00:00वो जो आतंकवादी है वो भी एक गुलाम है अपनी सामाजी पिवस्था का अपनी धार्मिक माननेताओं का और जिन क्षित्रों में जिन समुदायों में माननेताओं को मानने पर जितना ज्यादा जोर होगा वहां से आतंकवादी उतने ज्यादा पैदा होगे
00:11एक आदमी दूसरे आदमी को क्यों मार देता है
00:13चोकि उसको लगता है कि दूसरे आदमी को मार के उसको संतुष्टी मिल जाएगी
00:16पर मूड हम इतने होते हैं कि खुद को भरोसा दिला लेते हैं
00:19कि कि किसी का खून बहा करके आनंद मिल सकता है
00:22यह अज्ञान है और अज्ञान माने माननेता
00:24माननेता माने हिंसा माननेता हो और हिंसा ना हो ऐसा हो नहीं सकता
00:28और वही माननेता फिर तुम्हें आतंकवादी भी बनाती है
00:30सो तरह के गुनाह तुमसे करवाती है
00:31वैसे तो बहुत मर्द बन के घूमते हो
00:33पर इतनी तुम में हिम्मत नहीं है कि पूछ लो कि मेरे दिमाग में जो माननेता हैं डाली गई है इनका कोई आधार भी है कि हम चेतना के जीव हैं और चेतना ग्यान मांगती है उसको ग्यान दोगे तभी उसे सुख होगा उसे ग्यान नहीं दोगे तो छट पटाएगी और मा