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भारत-पाक तनाव में फंसा परिवार, पाकिस्तान में पति; पत्नी-बच्चे जयपुर में कर रहे इंतजार

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00:00एक पत्नी अपने पती की वापसी का इंतजार कर रही है
00:04बच्चे अपने पिता की एक जलक पानी के लिए तरस रहे हैं
00:11जैपुर में छोटे से किराई के मकान में बैठा एक परिवार अपनी मरजी से नहीं
00:17बलकी एक ऐसी सरहद से जुड़ा हुआ है जो अब बंद हो चुकी है
00:2123 साल की शम्मो एक साल पहले अपने परिवार के साथ पाकिस्तान से भारत आई थी
00:27लेकिन पहलगाम आतंकी हमले भारत पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और वीजा सेवाओं के निलम्मन के बाद उसकी दुनिया बिखर गई है
00:36उनके पती सामल राम अपने बीमार मातपिता की देखभाल के लिए पाकिस्तान लोट गई थे
00:43और अब वहीं फाज गए हैं उनका बीजा निलम्मित कर दिया गया है
00:48उनके भाई क्रशन राम के मताविक सामल राम नूरी वीजा पर पाकिस्तान गई थे
01:17नूरी वीजा ऐसा पर्मिट है जो भारत में लम्मे वीजा धारकों को तदकाल जरूरतों के लिए अपने वतन जाने की इजाज़त देता है
01:25उनको एक महीन आ हो गया है एक महीने का वीजा था 28 तरीक को वापस था पापा का इलाज करवाने गयते ठीक है
01:34तो वो 28 तरीक को वापस आने लगे थे वो जैसे भी हालात बदले इंडिया पाकिस्तान के
01:39तो जैसे उन लोगों ने सुना भी तालिस गंडे का टैम दिया गया है वो वैसे बार्डर पे पहुंचे हैं
01:45तो अब वो पाकिस्तान वाले कह रहे हैं कि आपका वीजा रद कर दिया गया है तो इसलिए नहीं आने दे रहे हैं
01:49कोई तै आईना होने के करण क्रश्न राम लिक्षा चलाते हैं और अपने भाई के बच्चों की देखबाल करने में मसरूफ रहते हैं
02:10वहीं सामल राम पाकिस्तान में फसे हुए हैं
02:13हम हिंदू हैं हम एक साल से रह रहे हैं यहां पर वीजे पर रह रहे हैं हमारा सब वीजा है
02:19वो नूरी वीजे पर कह वे हैं तीन लोग तो वह वहां पर हम यहां पर रह गए हैं
02:24उनके मेरे भीया के चोटे चोटे चोटे बच्चे हैं, वो यहां पे रहते हैं, वो वहां पे परेशान हैं, हम यहां पर परेशान हैं, चोटे चोटे चोटे बच्चे हैं इसके, यह यहां पर परेशान है
02:33ये परिवार धर्मिक उत्पिरन से बचने के लिए पाकिस्तान से आया था
02:55और भारत में बतौर हिंदू शरणार थे सम्मान की तलाश कर रहा है
03:00चुकि सीमाएं उनके परिवार को बांट रही है
03:03इसलिए सरकार से उनकी दिली अपील है कि उन्हें वापस लाने और प्रिये जनों को फिर से मिलाने में मदद करें
03:10कैसे कोई मैं सो रहा हूं तो पिता जी को जगाना है मुझे
03:17तो वो डिरेक्ट उठाने के बजाए और हिंसा की परंपरा मेरे यहां नहीं थी सो भागे से
03:23तो वो क्या करते थे कि उस कंबरे में आ जाएंगे या बाहर से गुजरेंगे और चौपाई बोलेंगे
03:27प्रात काल उठीके रगुनाथा मात पिता गुरु नावई माता कभी कभी मैं गुस्से में उठकर के रहे पापाई
03:38तरहन इस प्रश्किया और सो गया वने काम मोट इठाना

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