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00:00एक चोटी सी अवधिका रिष्ता, कितने दिन चला, देड़ महीना से, तो टोटे कितने दिन हो गई, ठाई से पीम भीना से, तो अब यह दिख रहा है न, तुम्हें एक तरह से अपमान की बात, एक इतनी चोटी सी चीज, इतनी कम अवधिका रिष्ता और वो भी मेरे लिए �
00:30मुसंबान कुछ होता है कि नहीं होता है जितनी बार चोट लगे फिर ते पूछो फिर आ गया कोई मुझे मेरी कीनता अक्षुद्रता अपमान की याद दिलाने बदलाओ गयार मत लेने लग जाना उसके लिए नहीं बोल रहा हूं
00:39यह तुभारे अपने विकास अपनी बहतरी के लिए बोल रहा हूं यह नहीं कि वहां जा करके कुछ और कराए

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