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  • 2 days ago

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00:00ཆརྱ ཆིིག ཆརྱེས ཆེར
00:30foreign
00:58और तब से ही भोलू की ये हालत थी
01:00वो सारा दिन गाउं के शिव मंदिर के बाहर ही बैठा रहता था
01:03मंदिर आने जाने वाले लोग कभी कभार उसे कुछ खाने पीने को भी दे दिया करते थे
01:07फिर एक दिन भोलू ने देखा कि मंदिर के अंदर सभी लोग शिवलिंग पर जल चड़ा रहे हैं
01:12और फिर अपनी मनत मांग रहे हैं
01:14ये देखकर भोलू ने सोचा
01:15खाना मैं खाना मांगूंगा पानी चाहिए
01:22भोलू ने सोच लिया था कि सबकी तरह वो भी शिवलिंग पर जल चढ़ा कर भगवान शिव से अपने लिए खाना मांगेगा
01:29उसके पास जल चढ़ाने के लिए कोई बरतर नहीं था
01:31तो उसने वही रास्ते पर पड़ी एक खाली बोतल में पानी भरा और मंदिर की तरफ चल दिया
01:36लेकिन तभी एक आदमी ने उसे रुका
01:38उस आदमी से डाट फट कार सुनकर भूलू वहां से चला गया
01:52वो रो रहा था और बस चलता ही जा रहा था
01:54फर कुछ तेर बाद वो एक नदी के किनारी पर रुका और कुछ सोच कर उसने वहां से एक बड़ा और गोल पत्थर उठाया
02:00उसे ले जाकर पहले नदी के पानी से अच्छे सिद होया
02:03और फिर उस पत्थर को एक पेड के नीचे किसी शिवलिंग की तरह स्थापित कर दिया
02:07भूलू ने उस पत्थर पर कुछ फूल पत्ते अर्पित किये
02:11और नदी से अपने हाथों में पानी लाकर जल चड़ाया
02:14कई घंटों तक भूलू नदी से अपने दोनों हाथों में जल लाता रहा
02:18और उस शिवलिंग रूपी पत्थर पर चड़ाता रहा
02:21फिर जब वो ठक गया तो वहीं उस पत्थर के पास ही लेट गया
02:24वो सच में बहुत भूखा था और बहुत ठक भी गया था
02:28भगवान आओ ना रोठी दो बहुत भूख लगी है
02:34तभी उस पत्थर से एक तेज रोश्नी मिखने और अगले ही पन साक्षाद भगवान शिव भूलू के सामने खड़े थे
02:40अब आगए भगवान
02:42हाँ भूलू मैं तुम्हारी भक्ती से बहुत प्रसन्न हूँ बताओ क्या वर्दान दूँ
02:49वर्दान क्या क्या होता है क्या खाने के चीज है
02:54भूलू की बात सुनकर शिव जी मुस्कुराने लगे और फिर उन्होंने भूलू के माथे पर कुछ प्रकाश डाला
03:00जिसके बाद भूलू एकदम से ठीक हो गया
03:03जै हो भूले शंकर की जै हो अब बताओ भूलू क्या इच्छा है तुम्हारी धन चाहिए शक्ति चाहिए या कुछ और
03:12प्रभू बहुत दिन भूखा रह लिया अब तो बस कुछ ऐसा कर दीजिये कि ना मैं खुद कभी भूखा रहूं ना किसी को भूखा रहने दू प्रभू तधास तो
03:22अगले ही पाल शिवजिवा नहीं थे पर भूलू ने देखा कि शिवलिंग के पास एक छोटी सी लोहे की कढ़ाई रख्य होई थे
03:29भगवान ने मुझे ये कढ़ाई दी पर इसमें खाना तो है ही नहीं और नहीं कुछ पकाने को है मेरे पास
03:34भूलू उस चोटी सी कढ़ाई को लेकर उसमें पकाने के लिए कोई सबजी या फल की तलाश में निकल पड़ा
03:45फिर काफी देर बाद उसे जंगल के पास से ही गुजरने वाली सडक पर एक आलू दिखाई दिया जो शायद किसी रहगीर के थैले से वहां गिरा होगा
03:54भूलू उस आलू को लेकर अपने बनाय शिवलिंग के पास चला गया फिर वही पर उसने तीन-चार पत्थर इकठा किये उसमें उपर कुछ लकणियां रखी और फिर आग चलाए उसी आग पर उसने कढ़ाई रखकर उसमें वही एक आलू डाल दिया जो उसे रास्ते पर �
04:24भूलू ने उसी जंगल में अपना घर बनाने का फैसला किया पहले वही से उसने कुछ लकणियां काटी और फिर वही एक उंचे टीले पर उन्ही लकणियों से अपने लिए एक जोपडी बनाई और उसी के अंदर अपने पत्थर उपी शिवलिंग को स्थापित कर खुशी
04:54काटता और फिर उन्हें गाउं में ले जाकर बेच आता लकणियों के बदले उसे जो भी पैसे मिलते अनाज का सिर्फ एक दाना उस जादूई कढ़ाई में डाल देता फिर अगले ही पल भूलू का पेट भढ़ने लायक खानी से भराती फिर एक दिन
05:09आज मौसम कुछ ठीक नहीं लग रहा है जाकर जल्दी से लकणियां काट कर ले आता हूँ कहीं बारिश शुरू हो गई तो दिक्कत हो जाएगी
05:17जैसे ही भूलू आगे बढ़ा तभी बहुत जोर की बारिश शुरू हो गई भूलू समझ गया कि अब वो लकणी नहीं काट पाएगा वो चुप चाप अपनी जोपड़ी में आकर बैठ गया तभी उसने देखा कि दो साधू बारिश में भीगते हुए उसी की तरफ आ रह
05:47बेटा अब क्या तुम्हारे पास खाने को कुछ है?
06:17लोगों के भर पेट खाने लाइक ये देख कर भोलू बहुत खुश हुआ भूखे साधू ने और खुद भोलू ने भी फिर पेट भर कर खाना खाया साधू ने भोलू को बहुत आशरवाद दिया लेकिन दूसरी तरफ बारिश रुखने का नाम है नहीं ले रही थी काफी
06:47भोलू के जोपडी तो उचे ठीले पर थी इसलियों से कोई खत्रा नहीं था लेकिन भोलू को अब गाउवालों की चिंता सता रहे थी और भोलू का ये डर सही साबित हुआ
06:57कई घंटों की बारिश से गाउं में बाढ़ा गे थी धूलू भाग कर अपनी जोपडी में गया और अपनी जादुरी कढ़ाई लेकर वापस गाउं में आया फिर उसने कढ़ाई के सामने हाथ जोड़ कर कहा
07:08भोलू ने जैसे ही अपनी बाद खत्म की वो कढ़ाई इस बार पहले से काफी बड़ी है इतनी बड़ी कि एक बार में चार से पांच लोग इसके अंदर बैट कर पानी को पार कर सकते थे
07:29भोलू ने फॉरन एक लपनी लेकर उसे चपू बनाया और फिर उस कढ़ाई की मदद से गाउं के सभी लोगों को सुरक्षित जगा पर पहुँचा दिया
07:37इस सब के बाद गाउं के सभी लोग शर्मिंदा थे अब तक जिसे पागल समझ कर वो सभी डाटते फटकारते आये थे आज उसी ने सब की जान बचाई थी
07:46इसके बाद भोलू ने एक बार फिर अपनी जादूई कड़ाई को चूले पर चड़ाया और गाउंवालों की गिंती के हिसाब से अनाज के दाने डाल दिये
08:03बस फिर क्या था उस दिन पूरे गाउं में कोई भी भूखा नहीं रहा और सभी भोलू की तारीफ करते नहीं ठक रहे थे
08:12कार्तिक नाम का एक गरीब लड़का था उसकी मा की इच्छा थी कि वो पढ़ी लिखे लेकिन वो लोग बहुत गरीब थे
08:22इसलिए कार्तिक रोज जंगल में लखड़ियां काटने के लिए जाय करता था
08:26एक दिन वो जंगल में लखड़ि काटने गया तो उसे जाडियों में किसी के रोने की आवाज आई
08:31वो वहाँ गया तो उसने देखा कि जाडियों में एक सुंदर लड़की फंस गई थी
08:36उसके कपड़े जाड़ियों में बुरी तरह से उलज गय थे और उसके पंक भी थे ये देख कर तो कारते काशरे चकित रह गया वो उस लड़की के पास गय और बोला तुम कौन हो और इस घने जंगल में क्या करने आई हो वो लड़की रोते हुए बोली मैं सोनम परी हूँ प
09:06अब मैं यहां से कैसे चापाऊंगी ऐसा कहकर वो रोने लगी कारतिक ने उसे बड़ी साफधानी से निकाला उसके पंकों से खोन रिसने लगा था कारतिक ने वहीं पास के सरोवर से पानी लेकर उन्हें धोया और कहा अभी तुम्हारे पंक खायल है तुम अपने लोग को �
09:36अपने घर ले आया उसने अपनी मा ममता को कहा मा ये बे सहरा लड़की है इसे घर में शरण दे दो ये चौका बरतन करती रहेगी खाना बना दिया करेगी और घर का सारा काम कर दिया करेगी उसके बदले में तुम इसे खाना दे दिया करना बस
09:50Alakhe Karthik ke ghar me eetna gari bhi thi ki kisiki ke lihe bhi gunjais nahi thi
09:54Lekin voh log bhoat daayalu thay
09:56Is liye unhounne sonam ko bhi apeni ghar me jagah dhe di
09:59Vohan unhounne sonam pari ki dawa shurru kari di
10:02Us da n Karthik ke maa mamta khana banane jari thi
10:06Lekin ghar me na mmak hi nahi tha
10:08Or unke haan na mmak lani ke lihe paisi bhi nahi thay
10:10Tabhie mamta Karthik se kehti hai
10:13Aaj to tu lakariyaan bечne ke lihe bhi bazar me nahi gaya
10:16Jis se paisi bhi nahi mil e
10:18अब बता, दाल में डालने के लिए नमक कहां से लाओं।
10:21मैं दुकान पर गई थी लेकिन लाला लाचपत ने नमक उधार में नहीं दिया।
10:25ये सुनकर सोनम चुपचाप कबरे में गई और वहां उसने मन ही मन में मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया।
10:31बड़े आश्यरे की बात है, उसके हाथ में एक नमक की थैली आ गई।
10:36सोनम नमक लेकर ममता के पास गई और बोली, माजी आपने देखा नहीं था ठीक से, अभी मैंने देखा तो नमक की थैली तो अंदर ही रखी हुई थी।
10:44ये देखकर ममता खुश हो गई। उसने सोचा हो सकता है, वो पहले ही ले आई हो और उसे याद न रहा हो। सोनम बोली, अब आप रहने दो, खाना मैं ही बनाया करूँगी।
10:54उस दिन वो दाल में नमक डाला गया और सोनम नहीं खाना बनाया। उस खाने में सबको ऐसा स्वाद आया कि दाल कम पड़ गई। ऐसा स्वाद तो पहले कभी नहीं आया था। ये तो नमक का स्वाद है। नमक का और सोनम के हाथ की करामाथ है।
11:09दोसरे दिन कार्तिक लखणियां काटने के लिए जाने लगा
11:12तो सोनम ने उसे कहा
11:14देखो अब जब मैं यहां रह रही हूँ
11:17तुमने मेरी मदद की थी न
11:18तो मेरा भी फर्स बनता है कि मैं तुम्हारी कुछ मदद करूँ
11:21जाओ, दुकान से कुछ आलु ले आओ
11:23और मैं समोसे बनाती हूँ
11:25तुम गाउं में सब को बता कर आना
11:27हमारे यहां समोसे की दुकान शुरू हो गई है
11:30ये बात सुनकर कार्तिक खुश हो गया
11:32वो तुरंथ ही दुकान से आलू ले आया
11:34सोनम ने आलू उबालने के लिए रख दिये
11:37और वो मैदा गुनने लगी
11:38उसने आलू में वही नमक डाला और मसाले डाले
11:41फिर उसने समोसे बनाए
11:43इस बीच कार्तिक ने पूरे गाउं में प्रचार कर दिया
11:46कि उसके यहां समोसे मिलते हैं
11:48कुछ लोग समोसे खरीदने आये
11:50और जब उन्होंने समोसे खाए
11:52तो उन्हें वो बहुत ही स्वादिष्ट लगे
11:54गाउं के लोग राजू, बंटी और टीका
11:57आपस में बाते करने लगे
11:59अरे भाईया सुना है कार्तिक के यहां समोसे के दुकान खुल गई है
12:03है? उसके यहां कोई बेसहारा लड़की है
12:06उसने बनाया है
12:07सुना है बहुत ही स्वादिष्ट समोसे बनाती है
12:10अरे सुना क्या? मैंने तो आज लेकर खाए है
12:12बहुत अच्छे बने हैं भाईया
12:14हाँ? मैंने तो इत्ते स्वादिष्ट समोसे
12:16आज तक अपनी जिंदगी में कभी नहीं खाए
12:18मैं तो और भी लेने जा रहा हूँ यहाँ
12:21दोपहर होते होते सारे समोसे बिग गए
12:23दूसरे दिन फिर वही हाल रहा
12:25उसने अपकी बार धेर सारे समोसे बनाए
12:28और वो समोसे भी बिग गए
12:30अब तो सोनम के बनाएवे समोसे
12:33आसपास के गाउ में तो क्या
12:34आसपास के इलाकों में भी मशूर हो गए
12:36कार्तिक बहुत खुश था
12:38वो अपनी मा ममता से बोला
12:40अब तो हमारे पास नोटों की बरसाथ होने लगी है
12:42यही हाल रहा तो थोड़े दिनों में
12:44हम बहुत अमीर हो जाएंगे
12:46अब हमारे समोसे खरीदने के लिए
12:47लाइन लगती है लाइन
12:49इतनी लंबी लाइन में लोग घंटों खड़े रहते हैं
12:52लेकिन समोसे लेकर ही जाते हैं
12:54और ताज़ुब वाली बात यह है
12:56कि नमक की थैली खतमें नहीं होती
12:58वो जोखितियों है
12:59ममता के पडोस में एक दुस्ट और इर्शालू आदमी
13:17और इतनी लंबी लाइन लगती है
13:19कि लोग घंटों खड़े रहते हैं
13:21लेकिन समोसे लेकर ही जाते हैं
13:23आखिर ऐसे कौन सी खास बात है
13:25कमबक्त स्वादिष्ट तो बहुत है
13:26मैंने भी खा कर देखे हैं
13:28वो कार्टिक के घर के पास गया
13:30और चुपके से जाकर देखने लगा
13:32उसने देखा कि सोनम ने ज़्यादा कुछ नहीं मिलाया था
13:35वो नमक आलू में डाला था
13:37नाथुराम ने सोचा
13:39ओ, इसका मतलब इस नमक की रहमत है
13:42मैं इस नमक को ही चुरा लेता हूँ
13:44इसको अगर चुरा करके ले जाऊं
13:46और इस नमक को डाल कर समोसे बनाने लगूं
13:49तो मेरे भी समोसे मशहूर हो जाएंगे
13:51तो मैं भी माला माल हो जाऊंगा
13:53हाँ, ये ठीक रहेगा
13:55ये सोच कर वो अपने घर चला गया
13:58आधी रात को वो उठा और कार्तिक के घर पहुचा
14:02वहाँ तो सब गहरी नीद में सो रहे थे
14:04वो नमक की ठैली को चुरा कर ले आया
14:07उसे पता भी नहीं चला कि सोनम खटर पटर से जग गई थी
14:10और उसने नमक चूरी करते हुए उसे देख लिया था
14:14वो मनी मन मुस्कुरा कर बोली
14:16बच्चे चुरा कर ले जाओ
14:18तुझे क्या पता ये जादूई नमक है
14:20दुष्ट लोगों के याँ काम नहीं करता
14:22ऐसा कहकर उसने आगे हाथ पहलाया
14:25तो उसके हाथ में दूसरे नमक की ठैली आगे
14:28दूसरे दिन सबेरे नाथुराम ने पूरे गाओं में कह डाला
14:31कार्तिक के समोसों की तरहा
14:34मेरे यहाँ पर भी स्वाधिष्ट समोसे मिला करेंगे
14:36आप लोग मेरे यहाँ खरीद कर खाना है
14:39सब लोग नाथुराम की यहाँ समोसे लेने के लिए गए
14:42नातुराम कड़ाई में तल तल कर गरम समोसे निकाल रहा था
14:46और बहुत खुश था
14:47उसके समोसे जैसे ही कुछ लोगों ने चखे
14:49उन्होंने थूखना शुरू कर दिया
14:51अरे थू थू थू थू
14:53इतने सड़े आलू इसमें पड़े हैं
14:56और इनका स्वाद इतना खराब है
14:58हमारे पैसे बरबाद हो गए भहिया
15:01अरे इसने हमें ठग लिया है
15:03भाई, भाई मिठ्थू
15:05भाई मिठ्थू जल्दी से पैसे वापस करो
15:07नहीं तो फिर तुम्हारी पिटाई होगी हाँ
15:10समझ में नहीं आ रहा
15:11ये, ये, ये क्या हो गया
15:14मैंने नमक तो वही चुराया था
15:16तो मेरे समझे कैसे खराब हो गए
15:19नाथू राम अपना सिर पीटने लगा
15:21लालच के मारे एक आलू की बोरी भी खरीद कर ले आया था
15:25सारे लोग भाग भाग कर कार्टि के हाँ पहुँच गए
15:28वहां लाइन लगा कर खड़े हो गए
15:30वहां गर्म गरम समोसे निकाले जा रहे थे
15:33और सब लोग खरीद कर खा रहे थे
15:35सोनम परी के घाव अब ठीक हो गए थे
15:38उसने घर में सब को समोसे बनाना सिखा दिया था
15:41अब सोनम परी को अपने परी लोग में जाना था
15:45He had his own people straight away, and he went up to his country.
15:51Kartik had his own eyes on his eyes.

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