Happy Akshaya Tritiya
इस अक्षय तृतीया, कमाइए ऐसा धन जिसका कभी क्षय न हो — श्री राधा रानी के चरणों में प्रेम का धन! 🌸
चलिए आज भगवान से यही वरदान माँगें — “हे प्रभु! मैं आपके चरण कमलों का मधुप बन जाऊँ, सदैव आपके चरणों के दिव्य रस को पीता रहूँ।”
प्रेम रस मदिरा — जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित वह अमूल्य काव्य, जो हृदय में हरि-गुरु के प्रति अखंड प्रेम और अनुराग जगाता है।
Prem Ras Madira - Arth (Vol. 1-2) - Hindi: https://www.jkpliterature.org.in/products/prem-ras-madira-arth-vol-1-2
Prema Rasa Madira - English: https://www.jkpliterature.org.in/products/prem-ras-madira-1
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चलिए आज भगवान से यही वरदान माँगें — “हे प्रभु! मैं आपके चरण कमलों का मधुप बन जाऊँ, सदैव आपके चरणों के दिव्य रस को पीता रहूँ।”
प्रेम रस मदिरा — जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित वह अमूल्य काव्य, जो हृदय में हरि-गुरु के प्रति अखंड प्रेम और अनुराग जगाता है।
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00:00खाली भगवान और गुरु के सामने निश्कपट हो कर जाओ, भोले बालक बन कर जाओ, और संसार में चालाक बन करके रहो, ये दो बिरोधी काम करना है एक साथ,
00:13संसार के अभाव में हर्दे कठोर रहे, धन लुट गया, हमारा नहीं रहा होगा, लुट गया, बेटा मर गया, एके दिन को आया था, अब चला गया हो, हमारा फुड़ा ही हमेशा का हो, कितने बाप बना चुके हम, कितने बेटे बना चुके हर जन्म में,
00:38यानि उसको अपना न मानना, कठोर हर दे रहे, पिखले ना खबरदार, लड़की बिदा हुई, वहाँ भी आशु बह रहे, बुरू जी बिदा हुए, वहाँ भी आशु बह रहे, ये क्या आशु है, ये अनन्न ब्रत नहीं रहा, जैसे मक्षिया उरती है, पाखाने पर भ
01:08केवल फुलों का रस्चूस चूस करके सहच बनाती है, ऐसा प्रेम होता है, दोनों तरफ रहेगा, तो अनन्य नहीं बनोगे, भगवान की सर्थ है, अनन्यास चिंते अंतो माम, अनन्य चेता सकतम, सर्भभावे न भारतो, वहाँ तो पूर्ण भाव, यानि जितनी भी भा�
01:38सार में है, साब उसी जगे हो