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  • 2 days ago
Can you imagine a creature extinct for 13,000 years walking the Earth again? Meet Romulus, Remus, and Khaleesi — real-life dire wolves resurrected using CRISPR and cutting-edge genetic engineering by biotech company Colossal Biosciences. Once legends of pop culture and prehistoric history, these apex predators are now alive inside a high-security preserve. But the real question is: are we reviving nature or playing god? This video explores how ancient DNA, modern wolves, and billionaire ambition collided to create one of science’s boldest experiments. Are we restoring ecosystems or building a Jurassic Zoo for the rich?

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Transcript
00:00नमस्कार दोस्तों, एक ऐसा जानवर जो 13,000 साल पहले एक्स्टिंट हो चुका था, डायर वुल्फ
00:06वो आज धर्ती पर वापस आ गया है जेनेटिक इंजीनिरिंग की मदद से
00:15ये दावा किया जा रहा है कोलोजल बायो साइंसिस कमपनी के दुआरा
00:21एक ऐसी कमपनी जो कहती है कि आने वाले समय में ऐसी कई सारी पॉपिलर एक्स्टिंट एनिमल की स्पीशीज को डी एक्स्टिंट करेगी
00:29जैसे कि टाजमेन टाइगर जो एक समय पर उस्टेलिया में पाये जाता था
00:35डोडो बर्ड जो 1600 में मौरिशियस में एक्स्टिंट हो गई थी
00:39या वुली मैमथ बर्फ में एक समय पर पाये जाने वाले ये बड़े से हाथियों के रेलेटिप्स
00:43जो 4000 साल पहले एक्स्टिंट हो गए थे
00:46डाइर वुल्फ जो इस कम्पनी के नुसार इनका पहला सक्सेस्फुल एटेंप्ट था किसी एनिमल को डी एक्स्टिंट करने का
00:52ये एक ऐसी वुल्फ की स्पीशीज है जिसे गेम अफ थ्रोंस के टीवी शो ने काफी पॉपुलर बनाया
00:56इस शो के कई मेन कैरेक्टर्स के पास डाइर वुल्फ एक पैट की तरह थे
01:00इसी से ही इंस्पारड होकर जिन दो डाइर वुल्फ को इस कम्पनी ने जन्म दिया
01:04उनका नाम रखा गया रोमिलियूस और रेमुस
01:07यह पूरा प्रोजेक्ट अमेरिका की एक सीक्रिट लोकेशन में किया गया
01:11यहाँ आप इस वीडियो में देख सकते हो यह धूप में बैठे एक बाड़े में मजे कर रहे हैं
01:15यह पांच महीने के हो गए हैं
01:17इन बच्चों को कोई एहसास भी नहीं है कि यह कितने अनोखे हैं
01:20यह एक ऐसे युग में पैदा हुए हैं जहां इनकी प्रजाती का कोई भी और सदस्य मौजूद नहीं है
01:25और यही नहीं इनके साथ एक तीसरे डायर वुल्फ ने भी जनम लिया जो कि एक फीमेल थी और जिसका नाम कमपनी ने रखा खलीसी
01:32पहली नजर पर देखने में सब कुछ बहुत ही अदभुद लगता है लेकिन कई लोगों ने यहाँ पर सवाल उठाए है
01:44इस कमपनी के दावो को जूटा बताया है
01:47बहुत से एक्सपर्ट्स जिनका कहना है कि यहाँ पर डायर वुल्फ को वापस नहीं लाया गया है
01:51बलकि एक आम वुल्फ का जेनेटिकली इंजीनियर्ट वर्जिन बनाया गया है
01:55आखर ये सब किया कैसे गया आए समझते हैं इस पूरे मुद्दे को गहराई से आज के इस वीडियो में
02:11साल 1854 की बात है अमेरिका में ओहाईयो नदी के पास सबसे पहली बार इंसानों को डायर वुल्फ के फॉसल्स मिले थे
02:181858 में अमेरिकन साइंटेस जोजफ लेडी ने कहा कि इस जानवर को कैनिस वंश में डालना चाहिए
02:24और यहीं से ही इसे साइंटिफिक नाम दिया गया कैनिस डायरिस इसका मतलब होता है एक डरावना कुत्ता
02:30कैनिस जेनिस में वो सारे जीवाते हैं जो कुत्ते जैसे होते हैं जैसे की कुत्ते भेडिये या सियार
02:36फिर साल 1918 में एक साइंटेस जॉन मेरियम लॉस एंजिलिस के तार पिट्स में डायर वुल्फ के फॉसल्स को स्टडी कर रहे थे
02:43और उन्होंने कहा कि ये जानवर बहुत ही अलग है इसे कैनिस वंच में नहीं डालना चाहिए इसके लिए एक अलग वंच होना चाहिए
02:49लेकिन उस वक्त उनकी बात को गलत मानकर इग्नोर कर दिया गया
02:53इसके बाद अगले 100 सालों तक लोग यही मानते रहे कि डायर वुल्फ, ग्रे वुल्फ और मौडन भेडियों के क्लोज रेलेटिव थे
02:59लेकिन 2021 में नेचर जर्नल में एक स्टडी पबलिश होती है जो डायर वुल्फ को लेकर इंसानों की समझ पूरी तरीके से बदल देती है
03:06फॉसल्स को डीटेल में स्टडी करने से पता चला कि डायर वुल्फ मौडन भेडियों से बहुत अलग है
03:11लगभग 57 लाख साल पहले ही ये बाकी वुल्फ की स्पीशीस से अलग हो गए थे
03:16इसी स्टडी में ये भी पता चला कि डायर वुल्फ लंबे समय तक नौर्थ अमेरिका में ग्रे वुल्फ और कायोटीज के साथ रहते थे
03:23लेकिन इनके बीच में कोई इंटर ब्रीडिंग नहीं देखने को मिलती थी
03:26कोई जीन्स मिक्स नहीं हो इनके
03:28और फिर करीब 13,000 साल पहले सभी डायर वुल्फ धरती से एक्स्टिंट हो गए
03:32लेकिन ग्रे वुल्फ बचे रहे
03:34क्या कारण था इसके पीछे
03:35Exactly कोई नहीं जानता लेकिन ऐसा माना जाता है कि क्यूंकि डायर वुल्फ बड़े जानवरों का शिकार करते थे
03:41वो जानवर जिनका शिकार करते थे वो गए इस लिए ये भी गश्टिंट हो गए
03:46एक और थियोरी इनके extinction का कारण बताती है कि ये ग्रे वुल्स की तरह इंटर ब्रीडिंग नहीं कर पाए और इसलिए ये अपने आपको environment के साथ adapt नहीं कर सके।
03:54अगर modern भेडियों से compare करोगे तो डायर वुल्स का size करी 25% बड़ा होता है।
03:59Game of Thrones में डायर वुल्स को बहुत ही बड़ा दिखा रखा है।
04:02इनके शरीर पर हलके हलके लगबख सफेद बाल होते थे।
04:15और modern भेडियों की तरह ये भी जुण में रहते थे जिससे बाकी जानवरों का शिकार करना आसान होता था।
04:20अब सवाल आता है de-extinction का, आखिर इस कंपनी ने एक डायर वुल्स को de-extinct कैसे किया।
04:26De-extinction का मतलब होता है extinction का ओल्टा, extinction से किसी चीज़ को वापस लादा।
04:31मुखे रूप से देखा जाये तो ये तीन तरीकों से किया जा सकता है।
04:35पहला तरीका है back breeding, इसमें किसी extinct प्रजाती के जीवित रिष्ट सेदारों में से एक ऐसे जानवर को चुना जाता है जिसमें उन पुरानी प्रजाती के कुछ गुण अभी भी मौजूद हो।
04:45फिर उनकी आपस में breeding करा करा कर धीरे धीरे उन पुरानी characteristics को एक ही जानवर में लाने की कोशिश की जाती है।
05:15प्रजाती फोटो है जो आज तक हिस्टी में कुआगा की ली गई है। उसके extinct होने से पहले ली गई थी। लेकिन फिर 1987 में कुछ scientist ने मिलकर कुआगा प्रोजेक्ट शुरू किया। इसे de-extinct करने लिए। यहाँ इन्होंने ऐसे zebras को धुंडा जिनकी bodies पर कम stripes मौजूद �
05:45बाद ऐसे zebras पैदा होने लगे जो बिलकुल कुआगा जैसे दिखते थे। आज के दिन कुआगा प्रोजेक्ट का क्या status है आप इनकी website पर देख सकते हैं। 1987 में ली गई यह पहली PD की फोटो है जिस जीबरा पर बस थोड़े से कम stripes से और 2022 में यह वाली फोटो जिसमें यह
06:15जिनके बारे में हम नहीं जानते हैं। और यही एक disadvantage है backbreeding का। दिखने में यह जानवर शायद पुराना जैसा हो जाए। लेकिन यह जरूरी नहीं कि उसकी jeans बिलकुल वैसे ही हों जैसे उस extinct प्रजाती की थी। दूसरी D extinction की technique आती है यहाँ पर cloning।
06:30क्लोनिंग के जरीए किसी जानवर की बिलकुल सटीक genetic copy बनाई जा सकती है। लेकिन ऐसा करने के लिए एक extinct प्रजाती का एक सुरक्षित रखा गया cell होना जरूरी होता है। क्योंकि यहाँ किया किया जाता है इस cell के nucleus को निकाल कर किसी करीबी जीवित प्रजाती के eggs में डाल
07:00क्लोनिंग का इस्तिमाल पहली बार किया गया साल 2000 में बोकार्डो नाम की एक स्पैनिश बकरी की प्रजाती थी जो बहुत ही endangered थी। 6th January साल 2000 इस पीशीज की आखरी बकरी की मौत हो जाती है और यह जानवर extinct हो जाता है। लेकिन इसके मरने से करीब एक साल पहले ही साइंट
07:30इन सेल के सैंपल्स को जाकर cold storage में safe तरीके से रख रखा था। इसलिए यह यहाँ पर cloning attempt कर पाए। इन्होंने इन सेल्स के nuclei को निकाल कर 57 अलग-अलग बकरियों के eggs में डाल दिया। इसका success rate ज्यादा नहीं है क्योंकि इन में से सिर्फ 7 बकरियां ही pregnant हो पाई और 6 के तो mis
08:00यहाँ से ही आप अंदाजा लगा सकते हो यह cloning करना कितना मुश्किल है। अब आते हैं हम तीसरे process पर de-extinction के जो की है genetic engineering इसे सबसे नया और सबसे promising तरीका माना जा रहा है। इसमें scientists इस्तिमाल करते हैं एक fossil का, fossils हजारों सालों तक मरे हुए जानवरों का DNA preserve करके रख सकते
08:30आज के दिन browsing करते वक्त धेर सारी virus से भरी websites मिलती हैं जिनमें trackers होते हैं, intrusive ads होती हैं। अकसर ऐसी भी websites हैं जो किसी social media website या आपकी bank की website होने का नाटक करती हैं। ऐसे में NordVPN का threat protection एक बड़ा ही useful tool है। यह ना सिर्फ ads और trackers को block कर सकता है वलकि आप अगर किसी scammy website पर जा
09:00VPN की app से separate हैं। आप VPN को off रखके इस threat protection को हमेशा on भी रहने दे सकते हो। यहां क्योंकि इन्होंने इस वीडियो को sponsor किया है तो आप लोगों के लिए एक बड़ा discount है अगर आप इसमें interested हो। नौडvpn.com slash Dhruv इस URL पे जाए आपको इनके 2 साल के plan पे एक बहुत बड़ा discount मि
09:30इसको secure रख सकते हो। उपर से इनकी strict no-logs policy भी है तो यह आपके data का कोई track record नहीं रखते हो। तो जरूर जाकर check out करना अब हम अपने topic पर वापस आते हैं और de-extinction का यह जो तीसरा process है इसे समझते हैं। इसमें scientists एक extinct प्रजाती के DNA को मरे होई जानवरों के fossil से निकालते है
10:00इसके बाद यह DNA editing का इस्तिमाल करके उस जीवित रिश्तिदार के cells में उन genes को बदलते हैं और वैसा बना देते हैं जैसा उस extinct प्रजाती में genes थी। यह जो बदले हुए cells हैं आगे का process वही किया जाता है जो cloning में किया जाता है। इन्हें एक जिन्दा जानवर में डाला ज
10:30पुराने fossils जब मिट्टी में मिलते हैं तो बहुत ही तूटे फूटे होकर मिलते हैं। उनमें जो DNA मौझूद होता है वो भी बहुत ही तूटा फूटा मौझूद होता है। और दूसरा challenge यहाँ पर यह है कि जब DNA editing करी जाती है लाखों की संख्या में DNA को बदलना ये भी को
11:00और इनका flagship project है वुली मैमत को वापस लाना जो 4000 सालों से extinct है। इसकी बात मैंने वीडियो के शुरू में की थी इसके इलावा ये टाजमेनियन टाइगर और डोडो बर्ड को भी वापस लाना चाहते हैं लेकिन इन तीनों जानवरों में बड़े challenges है। वुली मैमत का सबसे क
11:30सबसे ज्यादा है। ताजमेन टाइगर की एक खास बात ये थी कि वो एक marsupial था, kangaroos की तरह उनमें pouches होते थे। तो उनका बच्चा पैदा करने के लिए एक artificial womb बनाने की जरूत पड़ेगी जो बहुत मुश्किल हो सकता है। और डोडो बर्ड में मुश्किल बात ये आती
12:00पर डायर वुल्फ का नाम सामने आया। किसी और भेड बकरी चूहे जैसे जानवर के comparison में डायर वुल्फ एक ऐसी species है जो पॉप कल्चर में काफी famous है। गेम ऑफ थ्रोंस के इलावा वर्ल्ड ओफ वाड्क्राफ्ट के वीडियो गेम्स में, डंजन्स और ड्रैगंस के वी
12:30पर काम करना शुरू किया। पहली समस्या थी high quality DNA मिलना डायर वुल्फ का। इसके लिए दो सबसे promising samples धूंडे गए। एक fossil जो Ohio की Sheridan Cave में मिला डायर वुल्फ का एक दात का तुकडा जो 13,000 साल पुराना था। और दूसरा fossil एडाहो में, American Falls Reservoir में मिला एक खोपड़ी, 70,000
13:00ऐसा नहीं है कि इन्हें पूरी जिनोम मिल गई हो डायर वुल्फ की, इन्हें कुछ हिस्से मिले हैं उसके DNA के। exactly कितना percent DNA ये एक खटा कर पाए उन fossil से ये इन्होंने publicly reveal नहीं किया है। अगली step थी डायर वुल्फ का जो DNA इन्हें मिला उसे ग्रे वुल्फ के DNA से compare करना। �
13:30तो वही जीन expected है कि डायर वुल्फ के DNA में भी वैसा ही काम करेगी। तीसरी step आती है exactly ये decide करना कि ग्रे वुल्फ के DNA में exactly कौन सी जीन्स बदली जाएंगी जिससे कि वो डायर वुल्फ जैसा बन जाएं। इन्होंने 14 जीन्स चुनी बदलने के लिए और ये जीन्स वो थी
14:00करने के लिए और यहां पर जो exact technology इस्तिमाल की गई उसे कहा जाता है CRISPR-Cas9 technology. ये CRISPR gene editing exactly काम कैसे करती है ये अपने आप में एक बड़ा complex topic है इस पर एक अलग से वीडियो बनाया जा सकता है. इस process को genetic scissors भी कहा जाता है क्योंकि एक तरीके से ये केंची का काम कर रही है और य
14:30gene editing के जरिए gray wolf के cells के 14 genes में 20 बदलाव किये और 1000 modified cells को lab में grow किया. फिर mid 2024 में अगली step करी गई ये जो edited genome वाले cells थे इनसे cell के nuclei को निकाला गया और दूसरी तरफ इन्होंने कुत्ते के egg cells लिये और उन egg cells से भी nuclei को हटा दिया गया ये वाला nuclei उनके egg cell में डाला और 45 embryos को दो क�
15:00पर c-section किया जाता है जिससे छोटे छोटे पपीज का जन्म होता है. पहले ये natural birth करना चाहते थे लेकिन चिंता ये थी कि डायर वूल्फ का size बहुत बड़ा होता है. बच्चे बहुत बड़े पैदा हो सकते हैं और ये pregnant कुत्ते के लिए ठीक नहीं होगा. तो इसी दिन दो
15:30जन्म दिया था. लेकिन इनकी metabolic needs को पूरा करने के लिए ये दूद काफी नहीं था. बाद में इनहें जल्द ही bottle से भी दूद पिलाया गया. अब technically देखा जाये तो ये दो डायर वूल्फ के बच्चे जो पैदा हुए ये दोनों क्लोन से एक दूसरे के. क्योंकि exactly same DNA इनके
16:00हैं कि exactly दो इनसान होंगे जो बिलकुल ही एक जैसे दिखते होंगे, एक जैसा behave करते होंगे लेकिन असलियत में ऐसा होता नहीं है. Even अगर आपका पूरा DNA सेम है, आपका behavior अलग-अलग हो सकता है, आपकी personality अलग-अलग हो सकती है, क्योंकि बहुत कुछ environment पर निर्भर करता ह
16:30यही चीज़ extinct जानवरों के लिए भी कही जाती है, कोई जानवर कैसा बनकर निकलता है, यह सिर्फ उसके DNA पर depend नहीं करता, बलकि उसके पालने वाली मापर भी depend करता है, आसपास के वाता वरन पर भी depend करता है, उसका खाना पानी कैसा है, उसके शरीव में रहने वाले microbes किस �
17:00को ही breed करने की अनुमती नहीं दी जाएगी, इनकी company genetic engineering से केवल तीन से पाँच और ऐसे जानवर बनाएगी, उन्हें उनके preserve में रखा जाएगा, जिसकी सुरक्षा 10 फूट उन्ची security fence और drone surveillance से की जाएगी, और इनसे मिलनेगा सिर्फ कभी कबार आने वाले billionaires को ही मौका मिल
17:30लेकिन जाहिर सी बात है, इनके माता-पिता है ही नहीं और इन्होंने कभी दूसरे भेडिये देखे भी नहीं है, इनकी पूरी जिंदकी अब एक highly controlled environment में बीतेगी, जो बहुत ही अलग होगी अगर आप उस extinct जानवर से compare करो जो dire wolf थी, 10-20 साल बात जाकर जब इन भेडियों
18:00क्योंकि de-extinction का असली मतलब किसी जानवर को सिर्फ दुबारा से जिन्दा करना नहीं होता शोपीस के तौर पर उसके साथ photo खिचवाने के लिए entertainment के लिए, इसका मतलब होता है उसे दुबारा से हमारी धर्ती पर ecology में जगहें देना, उसे वही ecological role दुबारा देना जो वो ए
18:30सवाल ये है कि अगर dire wolf जैसे जानवर को वापस जिन्दा किया गया, क्या हमारे ecological balance में इसके लिए कोई जगह है, जो लोग इसके support में हो कहते हैं कि एक बड़ा शिकारी जानवर था और आज के दिन शिकारी जानवरों की काफी कमी है, तो dire wolf को वापस लाकर हमारे जंगलों म
19:00बस लाने के लिए लाई है, या फिर अपने फाइदे के लिए लाई है, जियादा possibility ये लगती है कि इसे एक zoo में शोपीस की तरह रखा जाएगा, जहाँ पर लोगों के लिए ये entertainment का जरिया बनेगी, सवाल यहाँ पर ये भी है कि dire wolf एक ऐसा जानवर है जो naturally extinct हुआ है, जिस
19:30जिन जानवरों का शिकार dire wolf किया करते थे, वो जानवर खुद extinct हो चुके हैं, अगर आज इने वापस जंगलों में छोड़ा गया, तो ये उन जानवरों का शिकार करेंगे, जिनका शिकार grey wolf और बाकी भेडिये करते हैं, food source के लिए इन दोनों भेडियों के बीच में competition दे�
20:00genetically engineered version है grey wolf का, एक ऐसा grey wolf जिसमें कुछ 14 genes को बदला गया है, लेकिन genes कितनी सारी होती हैं एक genome में, ये number millions में होता है, यहाँ पर 0.0001% genes भी change नहीं करी गई हैं, अगर एक grey wolf और dire wolf के DNA में 99.5% का match होता है, तो ये जो नया dire wolf बनाया गया है, इसका match भी 99.5% का ही रहेगा, इस �
20:30extinct हुआ है, तो हमें पूरा उसका genome पता होना चाहिए, और हमें वही हजारों changes करने पड़ेंगे genes में, exactly वही बनाने के लिए, अगर हम वही बनाने की बात करते हैं, तो, क्योंकि सोच कर देखो, चिंपांजी और इंसानों में भी 98.8% DNA मैच करता है, अब यहाँ पर कल को कु
21:00करने की, जो आज के दिन भी जिन्दा हैं, लेकिन extinction की कगार पर हैं, हमें उन species को बचाने पर focus करना चाहिए, जिने आज के ecosystem में, आज की धर्ती पर already जिगें मिली हुई हैं, जैसे कि Northern White Rhinos, सर 1970 में 500 से भी ज्यादा Northern White Rhinos एफरिका में मिला करते थे, लेकिन आज के दिन सिर
21:30Evolution को जिसे बनाने में millions of years का समय लगा, इंसानों की greed की वज़े से उनका अंत हो रहा है, scientist के बीच में discussion जारी है कि इन rhino की species को कैसे बचाया जा सकता है, इन modern technologies का इस्तिमाल करके, लेकिन problem ये है कि हम सिर्फ तभी अफसोस मनाते हैं, जब कोई चीज बिलकुल खतम हो जाती है
22:00और इनकी law enforcement agencies, scientists तो अपना काम इमानदारी से कर रहे हैं, लेकिन बाकी सब का क्या जो अपना काम ठीक से नहीं करते हैं, मई 2019 में United Nations की एक report ने कहा, 10 लाख से ज़धा plants और animals की species हैं, जो आज के दिन mass extinction की कगार पर हैं, अगर आज हम इन species को बचा लेते हैं, तो future में इन्हें
22:30आपको काफी interesting लगेगा, क्योंकि इस vlog में मैं Los Angeles की उन्हीं तार पिट्स में जाता हूँ, जहाँ पर इस dire wolf का DNA मिला है, तब मुझे नहीं पता था कि यह वही जगे होगी जहाँ पर dire wolf के fossils पाए जाएंगे, लेकिन इस vlog में मैंने आपको दिखाया है, उस जगें का museum बड़
23:00झाल

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