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जाति जनगणना पर बहस तेज हो गई है. सवाल उठ रहा है कि जनता किसका एहसान मानेगी, क्योंकि लड़ाई विपक्ष लड़ रहा था लेकिन फैसला सरकार ने लिया. इसकी तुलना मंडल आयोग से की जा रही है, जब वीपी सिंह के फैसले ने राजनीति बदल दी थी, पर उनकी सत्ता चली गई. एक वक्ता ने कहा, "पहचान हिंदू की जाइए। समझे? अब इसमें पहचान आपकी लिखित रूप में जाति की हो जाएगी नहीं। और प्रगाढ़ हो जाएगी." यह फैसला हिंदुत्व की राजनीति के लिए भी चुनौती माना जा रहा है, जो जातियों को एक पहचान के नीचे लाने की कोशिश करती है. इसके लागू होने की राह में बजट, जनगणना और परिसीमन जैसी बाधाएं भी हैं, जिससे इसके ठंडे बस्ते में जाने की आशंका जताई जा रही है.

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