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Caste Census 2025 : लंबे समय से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और विपक्ष जातिगत जनगणना (Caste Census) की मांग को लेकर बीजेपी (BJP on Caste Census) पर हमलावर थे, लेकिन अब एनडीए सरकार (NDA Government) के इस कदम से सियासी समीकरण तेजी से बदल सकते हैं. खासकर बिहार चुनाव (bihar Election) में हालात बदल सकते हैं. लेकिन एक सवाल जो यहां पर उठता है की आखिर भारत इस जातिगत जनगणना के लिए कितना तैयार है...और इसका असर कैसे होगा

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00:00भारती समाज सर अभी कितना तयार है इस तरह कि जनगर्ना से जुड़ेवे आंकडों को रिसीव करने के लिए उस पर रिस्पॉंड करने के लिए जो उस समय आंदोरोनों का दौर देखा गया क्योंकि अभी भी हम देख रहे हैं कि कहने वाली बात है कि अब समाज बदल गया ह
00:30यहां पर अपनी जाती को ओन अप करने से लेकर उस पर खुलकर लोग जिस तरह से रियक्ट कर रहे हैं सोशल मीडिया के लिए अमोमन लोग यह मानते हैं कि उसे एक स्पेसिफिक वर्ग प्रयोग करता है या उसकी रीच बहुत दूर तक नहीं है लेकिन इंपैक्ट सर वहा
01:00हमेशा से होता रहा है जब शुरुवात जब हुई थी इस सेंसस की ब्रिटिश टाइम्स पर तो तभी उसका विरोध हुआ था तो वह चोटा मेंटा विरोध आज भी होता रहेगा कई लोग कहेंगे कि सिर्फ जाती हमारी एक इंपोर्टन आइडेंटिटी नहीं है लेकिन
01:30दूसरी बात की हमारे समाज में आज भी शादी की बात हो घर की बात हो और जो बड़े-बड़े शहरों में जिसको समाज बोलते हैं आज कि हर एक ब्राह्मन समाज हो या शत्रिय समाज हो हर एक समाज के कोई नों कोई असोसीशन है बड़े-बड़े हॉल है उनके जहां प्
02:00दो चीज़ है reservation की यह है शिक्ता में reservation और दूसरी नौकरियों में आज की data अगर आगर देखेंगे तो नौकरिया जो है सकारी वो hardly आपकी एक या देड़ परसेंट बची है
02:10तोटल सव नौकरियों में से तो उसमें आपका reservation का बहुत ही negligible कुछ पाइदा होगा अगर यह पूरी जनगना हो भी जाती है
02:20दूसरी तरह अगर हम higher education की बात करें तो privatization की तरफ हमारा रुजाओ अलरड़ी हो चुका है 10 साल में पिछले
02:27तो इस वजह से जो tensions हमको 1980s या 1990s में भी दिखाई दिये वो शायद उस तरीके से टेंशन नहीं दिखाई देंगे हाँ यह बात जरूर है कि बीजेपी इसका पूरा फाइदा उठा सकता है उनके पास एक बहुत अच्छी machinery है अपनी बात लोगों तक पहुचाने के लिए �
02:57कार्टिया मिलकर भी नहीं इस पर कंसेस्स बना पाई थी कि कांसेस्स होना चाहिए तो इसको लेकर अब जो श्रेय लेना की बात है वो थोड़ा बहुत मुश्किल होगा कॉंग्रेस के लिए भी और बीजेपी के लिए लेकिन ओर और इसका इंपैक्ट जो है जो उसका इं�
03:27अभी हम देखते हैं आरक्षन को लेकर जबरदस्त बहस अलग-अलग मौकों पर देश में चलती ही रहती है यह तो एक ऐसा विश्य है जो कभी किसी थंडे वस्ते में गया ही नहीं आज के दोर में फिरक से क्या देश का युवा या मैं कहूं साल दोजार पचीस में साल दो
03:57कि एक समाज है हमारा समाज एक नहीं है कई वर्ग हैं आप जानते हैं बहुस तरिये है और उसलिए ये बात हो रही है तो एक वर्ग ऐसा एक तपका ऐसा है जो इस जिन्दिगी को जीता है मजबूरी की जिन्दिगी को जीता है तो उसको अच्छे से मालूम है वस्तुस्ति
04:27सरकारी नौक्रिया हैं ही नहीं प्राइवेट सेक्टर में रिजर्वेशन की बात को जरूर और गती मिलेगी पर गती दो दिशाओं में मिलेगी पहली दिशा कि पूझी में मजदूर का हिस्सा कौन से मजदूर का हिस्सा कितना है जादा करके आप देखेंगे तो पिछड़ा
04:57मिलने वाली है मैं जमीन में काम करता हूँ और जमीन की ही बात यहां रखना चाहूँगा एक theoretical framework में दूसरी जो गती मिलेगी वो गती मिलेगी आपके
05:05जमीन के संगर्षों के उपर क्योंकि जमीन एक दम जात अधरित मुद्दा है इस देश का जिसके पास जमीन है और जिसके पास जमीन नहीं है इतिहास में और जमीन आजादी का एक सपना मी था अधिक तर 55 प्रतिशत से उपर हमारे लोग अभी भी खेती की जिंदिगी में है
05:35उतनी जमीन उतना आस्मान उन संगर्शों को भी मुझे लगता है काफी गती मिलीगी एक दूसरा वर्ग है जो जानता है कि उसके पास सब कुछ है उपर का जो वर्ग है जो जादा करके अगर आप चाहेंगे तो सोचेंगे तो वही वर्ग इसके खिलाफ है वो जानता है इस्
06:05सेंसस का आज हो कल हो आप पूछ रहेते अगले साल होगा शायद नहीं लेकिन अगले 5-7 सालों में वो समाजिक संरक्षा संरक्षना को बदलने के लिए बहुत महत्पून साबित होगा धन्यवाद
06:17इस अब इसका डेटलाइन कब तक क्या रहा है कि अब तक यह हो पाएगा इंक्लिम्मेंख धूगा या पूरा हो पाएगा तो अब अब तो जब तक सेंसस नहीं आएगा एक तो सेंसस आने भी ऑँ दो यह तीन साल मुझे लगता है वी लगेंगे एक डेर साल 2 साल लगे उसके
06:47किसको कितना फायदा होगा कैसे उसका फायदा उठाएंगे वो राजितिक खेल आपके सामनों अभी शुरू हो जाएगा पर अगर दोजार उनतीस के चुनावी साल को भी अगर एक डेडलाइन के रूप
07:09पर देखें तो दाओ पर तो बहुत कुछ है सर पुलिटिकली भी बीजेपी की सर क्या मजबूरी थी इस समय इस फैसले को लेने की पॉइंट वन और अब तक जो परहेज किया गया था इस जातिकत जनगनना को कराये जाने के लिए क्या कारण थे परहेज के लिए क्या कारण �
07:39करें और वही ट्रेडिशन भी होता है वही अमेरिका के बारे मों कह रहेते हैंसे तो मुझे लगता है बीजेपी के पास एपिटाइट बहुत स्ट्रॉंग है तो वह किसी भी मुद्दे को पचा करके उसको अपना मुद्दा बनाके और बहुत अच्छी पॉलिटिक्स उसक

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