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  • 2 days ago
Watch Chhaava Part 1, the beginning of an epic historical Bollywood film, now available in Urdu dubbed version. This powerful story follows the legendary warrior and his fight for honor, justice, and pride. With gripping action, emotional depth, and intense drama, this first chapter sets the tone for an unforgettable cinematic journey. Don’t miss the start of this powerful three-part series.

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Transcript
00:00दुनिया के बागी हिस्सों में जब इनसान अपने वजूद पे लिए लड़ रहा था, तब भारत वर्ष में महान संस्कृति का निर्मान हो रहा था,
00:15जहां हर धर्ण के लोग एक परिवार की तरह रहते थे, पर इस मंदिर को भारी आकरमनकारियों की नजर लगते ही,
00:2116 सदी में पानिपत का युद्ध जीत कर दिल्ली के तक्त पर लहराया मुगल सल्तनत का पर्चम,
00:30उस समय कई शासक और सल्तनत खुद को जिन्दा रखने की कोशिश कर रहे थे,
00:35भारत वर्ष में अगले सौ सालों तक कोई और शासक मुगल सल्तनत को मात बाते पाया,
00:40सत्रवी सदी में मुगलों का सबसे ताकतवर, बेरहम और निर्दई बादशा और अग्जेप तक्त पर बेढ़ा,
00:48जिसने अत्यचार की हदे पार कर दी,
00:54पर जब जब धर्ती पर आतंक और अत्यचार बढ़ता है,
00:57तब तब धर्ती को बचाने किसी महापुरुष का जनब होता है,
01:01समय आ गया था,
01:03साक्षात माता भवानी और भगवाज शिफ का अज,
01:05मा जिजाउक की कोक से शाहजी राजे भूसले परिवार में जनब ले रहा था,
01:12इस धर्ती को औरंग की जुल्मों से बचाने,
01:27उनकी लड़ाई किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं थी,
01:31उनका संघर्ष कटरता और उद्दंडता के विरुद्थ था,
01:35उनकी बढ़ती हुई शक्ती से चिंते थोकर,
01:38औरंग ने कई बार स्वराज पर आकर्मन किये,
01:40बढ़ हर बार मात खा गया,
01:42औरंग जेब और उसकी बेरहम सल्थनत पुललकार में वाला अगर इस धर्थी पर कोई था,
01:49तो वो दखन का शेर,
01:50बीर पराकरमी,
01:52शत्रपती, शिवाजी, महराज.
01:54पंगाल से शाहिश्ता खान ने शाही नजराना भिजाए आलमगीर.
02:16तिबत की जंग में मुगलों ने पते हासिल कर ली है जहां बना.
02:20माशाला, माशाला.
02:24आलमगीर का इकबाल बुलंद रहे.
02:33दखन से खबर आईये जहां पना.
02:36दखन का सिवा, मराठो का चछतरपती,
02:40इस दुनिया से रुखसत हो गया है.
02:49सुनते ही हमें,
02:51मुगल सद्दत का पर्चब,
02:52पूरे हिंदुस्तान के कोने कोने में उच्छा लहराता नदर आ रहा है.
02:57आमीन, आमीन, आमीन, आमीन.
03:01शिवा जी गया,
03:02अब दखन की जमीन खुद बखुद हमारी जमीन से जुट जाएगी.
03:05आमीन, आमीन, आमीन, आमीन.
03:08जब उसे आगरा में कैद किया था, तब शेहिंशा और मौत दोनों की नजरों से बच्चके भाग किया था.
03:15और तब से अब तक, हम दक्कन पर कब्जा नहीं कर भाए है.
03:19आखिर का राज, जहापना का एक लौता अधूरा खौब मुकमल हुआ.
03:25आमीन, आमीन, आमीन, आमीन.
03:28कान तरस गए पर आज भी कोई अच्छी ख़बर नसीब नहीं हुई.
03:32स्वाजय सब दुष्मन, अब मिलेगा कहा या अल्लाह तच्से नराज गामर हाँ रहेगी।
03:52शननत के दर्वाजे खुले रखना शेल आ रहा है।
04:01जशन मनाव फकीरों को अमीर बनाव
04:12मराथा सामराज्य के इंदकाल की खुशिया मनाव
04:19अमीर मनाव सामराज पुशिया मनाव
04:49लेखे फिर दूप सब्सक्राइए.
04:59के एक नूआ से टर्ट जफर नजए निजिए वड़ी तेज रफद्वान लोग हमें पनी दॉलत
05:25अपनी जान के सद्के में देने लग गए है
05:29माचाला, माचाला, माचाला
05:32इसलिए तुम आलिश करवा रहे हैं काकड मिया
05:35बैठे-बैठे हड्डियों में जंग लग रहा है
05:38कमवख्त ना कोई जंग हो रही है
05:41ना लूट मार
05:42खुद आपके ताकत और जिसम को महफूज रखे हुजूर
05:45बुरहनपूर सोने की खान है हुजूर
05:48मुगलिया सल्तनत की जान है
05:50नजाने कब जरुवत पढ़ जाए इसे किसी की बुरी नजर से बचाने के
05:54कौन करेगा हमला
05:56राजपूत अपने शांदार राजपुताना के इफाज़त में मसरूफ रहते हैं
06:01और माराथे अनाध हो चुके हैं
06:03हमारी मानिये तो कहभा पीजी और चकन्ना रहिए
06:06क्योंकि अल्ला के घर से मौत का फर्मान
06:09और अपने घर में बिन बुलाया महमान
06:11क्रबी जासकता है
06:24हुजर! मर!
06:25मर!
06:26अरे कौन मर गया?
06:27मराणओं के पोंजा रही है
06:33खर्मादे करो!
06:38मराध्यान है
06:41गुँ हाँ
07:11आने दो, पुरानपुर की सारथ भाही ने दफन कर देंगे।
07:15बेशक हजूर, एक भी मराटा अंदर गुष्ट ही भाएगा।
07:18जनाम, मराटों की फाथ पुरानपुर में घुच चुकी आए।
07:41हरा हरा, महादेप!
08:02कर दो कर दो कर दो कर दो
08:32कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर �
09:02अजय भादे हैग अगो झाल जो दाने है अजय तोर वादे में भीक आराधे था बादे में जाए तर अ pension वादे कि वादेख वादे है
09:17एंधो दूब यह ओए हार ठेए हैं अजय हैं इनक पीक वादे हैं?...
09:28एंद एंदे सिर्ड्न तोर तोर यह वादे हैं वादे हैं?
09:30अआखो अवारिंग वग झाल की झाल की पुछ प्रेंगा टूमकूड़ यूम झाल शोजड़ यूखो अवारिंग झाल की लूकोली यूमकूड़ को बत्राइगंग तर ही झाल जेक एले खराम हारुड़ु़ुड़ुज।
10:00अजआ है।
10:29हुआ हुआ हुआ हुआ है
10:59हुआ हुआ हुआ हुआ है
11:29हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हु
11:59कि अल से वहा रभानी
12:07पाना रहले जल सिल आपने
12:14एँछने
12:20कि अल सिल आपने
12:24झाल ऑाल ऑड़ ऑाल
12:54कर दो कर दो
13:24कर दो
13:31कर दो
13:38कर दो
13:45कर दो
13:54बोर उन्हे सम्लीमें list मतले रहता है अर्ग प्योज ग math को भुलें अरे ओम
14:19प्वाता है
14:49झाल झाल
15:19लार किश मे पांने किशए खबू čा मेंड़रे सक्षक्त और का भूत कि अटारी कि मैव तूरा है.
15:49झाल झाल
16:19हुआ हुआ है
16:49हुआ हुआ हुआ
17:14शुकान जमान, केदन आपने मालिक से, शेर नहीं रहा, लेकिन चावा आप भी पी जंकल में कुम्रा है, भाड देंगे मुगल सल्तनत की चाती अगर माराथा समराजी के विरुद सोचने की जुर्रत की, हम जोर नहीं करते हैं, सिता शिकार करते हैं.
17:32करते हैं!
18:02कर दो कि अपने ये देना जी बहुत कुन बहरा है अरे थोड़ा सा बहने दीजी असा जी काका सुवराज का खून मुगलों के समिट्टी को पवीत्र कर रहा है
18:25साबस्टी मोहर बंद कर के रायगर रवाना कर दो संता ठीक है बाब लेकिन इतना खाजाना ले जाने बहुत कठीन है भूख खाजाने की नहीं शत्र को हराने की है संता जी और अरंग्जेब को बुरानपूर पूरा लुटा पुटा मिलना चाहिए ठीक है
18:45अरे भाई अन्ता ये क्या बात हुई हमारे युराज के सबसे चहीते कभी कलश या अकेल बेट खाना खाना खारें
18:59कभी मनके मीत अनेक फूल पंछी प्रकृति समेत वहर किसी को अपनाता है
19:05संगत का वो स्वारती नहीं जो हर महफिल को सजाता है वाह ऐसे व्यक्ति को कोई अकेला कैसे छोड़ सकता है
19:13मुगलों के लाके में रहने वाला व्यक्ति आज मराठों के बीच रचा बसा हुआ है तो आप ही बताईए अन्ता जी
19:20कैसे कोई हमारे साथ बैठके भोजन गरहन करना स्विकार करेगा बिलकुल ऐसे आपको बुरा नहीं लगता है
19:29प्रभू अगर प्रसन्न है तो क्या लाज समाज इस कभी कलश के मीत है संभाजी शिवराज वाह
19:39आई साहिब आई साहिब आई साहिब जी शम्भू अबा साहिब ये धुवा कब कर दो मगा अबा साहिब
19:56जब तक स्वराज की आग जलती रहेगी ये धुवा भी उड़ता रहेगा शम्भू
20:01जब आई साहिए साहिए जब आई साहिए अब्यवा
20:15जब राज
20:22आप तो मैं शम्भू गई आए हैंने मामा अउड़ मामा शम्भू सुनने के लिए कां अना दरसका है
20:31आमें आपमें बड़े महाराज की छवी दिखा ही देती है
20:36इसलिए समकोच होता है
20:44और आमें आपसे आई सहाब और आपा सहाब दोनों के अशरवात की शक्ति मिलती है
20:48सामने हजार शत्रू क्यो ना हो हम जानते हैं आपके आखे केवल हमारी अक्षा करती है
20:53हम इतने भी बड़े नहीं हैं शम्पा
20:58हम तो सिर्फ इतना जानते हैं कि हमारे रक्त की प्रत्ते एक पूंद
21:05आपको समर्बदे
21:08आए लोग प्रतीक शकर
21:23यह केवल एक जीत नहीं एक धाड़ है जो औरंग के कानों में गुंजेगी और चीक चीक करकाईगी कि छत्रपति शिवाजी महराज आज भी जिन्दा है
21:45इस लड़ाई में हम हर धर्म का सम्मान करते हुआ आगे बढ़ेंगे क्योंकि यह युद्धक किसी एक धर्म के विरुद्ध नहीं है
21:56यह संग्राम एक स्वराज बनाने का प्रयत्न है
22:00जहां हर धर्म का मनुष्य बिना लड़े जी सके
22:03इस धर्ती का हर इंसान एक राजा की तरह चले
22:08और रंग और उसके जैसा कोई भी शैतान
22:13यदि छट्रपती शिवाजी महराज के सुराज के विरुद्ध कदम उठाएगा
22:17तो मा जगदंब की सौगंद च्वाला मुखी की तरह फटेंगे और भस्म कर देंगे उसे
22:22हमें हराने वाली हर कोशिश को मारेंगे
22:25हर शडियां दर को तोड़ेंगे
22:28आबा साहिब का सपना पूरा करके ही छोड़ेंगे
22:31जाए भवाने
22:32जाए भवाने
22:35जाए भवाने
22:36राम आदे
22:37राजगदी तो अपने दूसरे च्छत्रपती के लिए सज रही है अना जी
22:45और सुना है और हनपूर को वीरानपूर में बदल दिया योव राज ने
22:49पल भर में जश्न का माहौल मातम में बदल दिया
22:52हमारे सपनों का भी अंत का दिया शम्बुनी
22:56हमारी पिछली गलतियों को शमा करके हमें दुबारा आउसर दे तो दिया पर किस लिए
23:02खुट-खुट के मरने के लिए या खुट-खुट कर जीने के लिए
23:07हमारा ये जीवन्दान जर्थ हो जाएगा अगर हम राम राजे को चत्रपती के गदी पे बिठान पाए तो
23:14शासन हमारे हाथ में होगा परन तु ये संभाव इसके चत्रपती बनने के बाद हमारा हुना डगुना एक समान है
23:29बच्पन से हमारी आँखों में वो एक कोटे की तरह सल रहा ये संभाजी
23:44इतना सा था आगरा में और अंगजेब की किरफ्ट से फरार होकर बड़े महराज और युवराज दरबदर भटक रहे थे
23:55अगल सैनिकों को ये आदेश दिया गया था कि किसी भी भेश में कोई भी बाप पेटा यदी नजर आए तो उने तुरंत कैद कर लिया जाए
24:05एक दूसरे की सुरक्षा के लिए दोनों अलग-अलग दिशाओं में हो लिया
24:13लेकिन कहीं युवराज अकेले ना पकड़े जाए
24:19तो महराज ने उनका जूटा अंतिम संस्कार तक कर दिया
24:24मुगनों को यकीन दिलाने के लिए पूरा तक हिंशोक मना रहा था
24:35तो जिसकी भाग्य में छुपना भागना मर ना लिखा हो
24:48राजा कैसे बन सकता है
24:53राजी अभी शिक किसी का भी हो
25:00राजी तो हमारे राम राजी ही है
25:18जाने तो जानों मैं मेरी जातो ही दितो ही है
25:28मैने तो जीना है जीना है तेरे सासों में
25:38मेरे साथी
25:48जाने तो जानों मैं मेरी जातो ही थी तो ही है
25:58ये सासे क्या सासे इमका आना जाना यो ही है
26:08मेरी जातो है
26:12महारनी
26:13तो थी हाथ तो है
26:16ये क्या?
26:22लगता है आपकी नजर वापस उतारनी हो गया
26:26अरे जिस धराव मा का दूद पीकर बड़े हुए
26:29वो दूद इतना कमजोर नहीं कोई भी तीर तलवार चुगा
26:32रोमे कुछ हो जाए
26:34अगर जिस पर पुरे सुराज्य की नजर है
26:37उसे कैसे किसी की बुरी नजर लगेगी
26:39श्री सकी
26:51एक बात पूछू
26:53वैसे जब राजा महाराजा युद से लोटते हैं
26:56तब राणी साहिबा प्रेम और चिंता जटाने उन्हें नाराज़गी दिखाती है
27:00और एक हाम जो बस मुस्कुराई जा रहे है
27:04जो लडाई खत्म करके आया हो उसे घर लोटते ही लडाई के मैदान में उतारना सही होगा
27:11प्राश्न पूछने से पहले ही उत्तर कैसे दे देती हैं आप
27:17क्योंकि हम सिर्फ आपके धर्मपत्नी नहीं श्री सकी भी है
27:21और जहां तक मुस्कराहट की बात है
27:24हमने तो सुनाय है सर्फ दक्कन नहीं
27:26उत्तर में भी कोई स्त्री संभाजी भोसले का नाम सुन ले
27:30तो उसका चेहरा खिल उड़ता है
27:32हमारे बारे में जितनी जानकारी आपको है
27:38उत्तरी तो शायद हमें खुद भी नहीं
27:41यह तो कहीं सुनी बात है
27:43इनकी चानकारी रखना कौन सी बड़ी बात है
27:47हम तो वो बातें भी जानते हैं
27:49जो सर्फ आपका दिल जानता है
27:53अच्छा
27:55चलिए फिर बताईए
27:57इस समय
27:59क्या चल रहा है हमारे मन में
28:01इस समय सक्षी को सिफ एक बात सता रही है
28:05पर चिंदा करने की कोई बात नहीं
28:07यह जबी पहले से ही पूरी कर रखी है हमने
28:11क्या
28:15क्या
28:17क्या
28:23क्या
28:25क्या
28:27क्या
28:29क्या
28:33क्या
28:53क्या
28:55क्या
28:57जिनके आशिर्वाद को आप तरज रहे हैं, वो कबसे यहां आपको आशिर्वाद देने की प्रतिक्षा कर रहे हैं?
29:16आपकी आखों में अपने सपनों को सच होता देख रहे हैं.
29:27कभी-कभी लगता है, हिंदवी सुराज के बारे में आप हमसे सदा सोचती हैं.
29:34आप जो सूचते हैं, हम वही सूचते हैं.
29:38क्योंकि एस सकी इस महर में नहीं, अपने श्रीक एमन में रहती हैं.
29:45जहां आलमगीर की इजाज़त के बिना हवा भी अपना रुख नहीं बदलती थी.
29:56वहां की फिसमत बदल गई है.
29:59मिठी के अलावा, मराथोंने कुछ नहीं छोड़ा बुरानपुर मैं.
30:03मराथा?
30:05जिनके पंज्यों में नाखून तक नहीं बचे.
30:09वह हम लग रहेंगे. वह भी बुरानपुर पर.
30:14लिखते वक्त, खान जमान होश में नहीं थे क्या?
30:19दखकन से फिर एक तुफान उठके आया है आलमगीर.
30:23जिसका नाम है संभाजी भोसले.
30:39सिवा नहीं आया, रमजी.
30:49चत्रबती शिवाजी महराज!
30:52महराज की तबियत थोड़ी नासाज है आलमगीर. उन्हें सक बुखार चड़ाया.
31:04तुमको बुखार नहीं आता है, जिवाजी.
31:20हमें नहीं आता, पर हमारी वज़ा से औरों को बुखार जरूर आता है.
31:27सिवा गया, पर अपनी सौच सिंदा छोड़िया.
31:37या खुदा दुबार हमाई उसमत करना, हमारे तक कन पहुंचने तक संभा की जान में फूद रखना.
31:53गुबदी, गुबदी डेवा, उसमें भणव्धु भणवत देवां लक्ति गुद्वत डेवा।
31:59सिंदे भणवत के में फॉफद में दू उसमति जा खुदेंगे Va....
32:18जागे हुंँ जागे बिंदी पानी एसा ठाया रे तुपा
32:23ङटा वह बख्यख दोन गिशान भे चंका आसमा
32:27आया आयाह रे तुपा
32:31एक अख में पॉनी और एक में हरुवा
32:36आया है या रे तुपा
32:39Hey!
32:40देरसिंगे
32:41और लेक्राथलेशने समभाजी माराण सु आप राइगार्रा तेकल तेकल कार ए रूर्फ्या लुट कर दें
32:48है है दिल सिंक के दल फ्रख नर्ख
32:51यूट सॉ
33:11आओ विराजो, आओ विराजो, शंभू राजा, आओ धिराजो
33:30सेवा को है सिम्हासन, देवों काओ ये आसन, जिमेनारी भराजो, सेवा भराजो
33:47है, दिर सिंगे, रग रग में, रग रग में ले तूवा, युक जागे, जागे, जागे, जागे, ऐसा धाया ये तूवा, भगवे किशाण में चंका आस्मा, महाराज, प्राउध प्रताप पुरंगर, चक्रिया कुलावत आउस,
34:14सेवा सना धीश्वर, महाराजाद इराज, चत्रपती संभाजी महाराज की,
34:24जाए!
34:26जाए!
34:28जाए!
34:30तमदेवा, परमरू तमदेवा
34:46वीरधीर तलवार तीर हो, मर्दमराथा शूरवीर हो
34:50युद्ध मे कौशल गजब दिखावे, रिपुदमन कर शंख बजावे
34:55जनमानस के भूप रहोगे, चरम चमकती धूप रहोगे
35:00प्रसन्न रहे माता जगदंबा, ओ छत्रपति, ओ सहचर संभा
35:05वाँ, वाँ, वाँ, वाँ
35:07मित्र मीत रवी समान, कोई ना सहचर कवी समान
35:12एक दिन, एक दिन हम आपसे कविताओं की प्रतियोगिता करेंगे, चंदोकामातिया
35:20उसमें भी जीत आप की होगी, महराज
35:23कभी-कभी समझ नहीं आता, आप मित्र हो, सेवक हो या हमारी चाया हो, चंदोकामातिया
35:32हम नमक है, महराज
35:34जब जहां जितनी आवशकता हो, प्रियोग कर लीजिए
35:37हम आपको शत्रू के खाव पर लगाएंगे, चंदोकामातिया
35:41सोभाग, सोभाग
35:44आई भावानी के अशिरवात से सब कुछ कुशल मंगल रहा
35:48अब महराज की आग्या हो तो हम गिरकन लोटने का सोच रहे थे
35:51अरे दो दिन बात चले जाएगा गणुजी
35:54अब आप सिर्फ अपनी बेहनों बेहनों के अतीती नहीं है
35:58बलकि मराथा च्छत्रपती के भी अतीती है
36:01बेहन का घर है, हमीर मामा
36:03दादा साब यहां रहने में संकोच तो करेंगे ही
36:06एक विंदी करनी थे आपसे
36:13राज्य अभिशेक के दिन
36:15राज्य की इच्छाएं पूरी की जाती है
36:18हाँ, ना कि उनसे कुछ मांगते है
36:20गणोजी और कनोजी भी हमारे परिवार है
36:25यह हमसे जब भी जो भी चाहे अधिकार है इनका, कहिए
36:31हम चाहा रहे थे कि गिरकान के प्रशासन का संपूर्ण अधिकार हमको सौब दिया जाए
36:37हमारे वतन की वतनदारिय यह दिया हमारे हातों में रहेगी
36:43को उसकी भलाई के लिए हम स्वयम निरने ले सकते हैं बार-बार आपको कश्च देने की कोई आवशक्ता ही नहीं रहेगे महाराज
36:54गणोजी सिर्फ गिरकान नहीं पूरे दखन की प्रगति के बार में सूचना चाहिए आपको
36:59आप ठीके रहें परन्तु बड़े महाराज ने हमारे बाबा को गिरकान की वतंदारी देने का वच्चन दिया था पर आबा साहिब तो खुद वतंदारी के विरुथ थे
37:13के विरुथ थे उल्टा हूँ तो हमेशा कहते थे कि सब को विश्री सुविधाय दे दी तो सब अपने बारे में सोचना शुरू करते में और हमारी आखों के सामने हमारी ही लोगों के हाथ हों स्वाराज तूट के बिखर जाएगा कहना तो दूर आबा साहिब ऐसा सोच भी
37:43कि सीहासना अधीश स्वराज जरक्षक छत्रवती संभाजी महराज की जै
38:00इस घोषणा की घंगनाहट आपके महल में भी गुन्जी होगी राजमाता नहीं
38:08बन गया वो स्वराज का छत्रवती
38:13सोचिए अगर आपके खुद के भाई सरलशकर हम्बिर्राव मोहिते आपका साथ देते तो हमारा अप्रण अभश्य पूर्ण हो जाता
38:23लेकिन अब क्या
38:26अब राम राजे का छत्रवती बनना असंभव है
38:33आपको दुख नहीं होता राजमाता
38:37अब राम राम राम
39:07जोखपालने से मन में घब आठा होती है हं नची
39:12घब आठ ब्यागोंता को जन देती है
39:16अगोटा के उद्ळबर होरे से इंसान चिन्तन में रहता है
39:21उसकी नींद खा जाती है और
39:25साथ ही मर जाते हैं सारे सपनें
39:30भडत महराज के देहांत की बाद ऑने जब ही
39:33शंभू को क्याद करना चाहा?
39:36हम भी राव ने हमारा ने शंभू का साथ दिया
39:42इसने जब भी राजनेत एक सपने पूरे करने हो
39:47तो अपनों से कोई उमीद नहीं रखनी चाहिए
39:55ऐसी परस्तिती में खेर बहुत कामाते है
39:59क्षमा राजमाता
40:00पर जब हो सिर्फ योराज थे राजगदी से दूर थे
40:06तब ही आपके सारे प्रयासा सफल रहे
40:11अब तो छत्रपती है
40:16मराटो के राजा
40:21इस बार कोई चूक हुई तो अनर्थ हो जाएगा
40:25जब राजा ही नहीं होगा
40:28तो राजा ही नहीं होगा
40:31तो सजा काउंट सुनाएगा
40:34बालाजी
40:36छत्रपती संभाजी महाराज की जीवन गाथा का आखरी अध्याय डिखना शुरू करें
40:40अशुरू करें
41:10अशुरू करें
41:12अशुरू करें
41:14अशुरू करें
41:16अशुरू करें
41:18अशुरू करें
41:20यह शेहसादा मिर्जा अकबर
41:22हमसे क्यों बलना चाहता है
41:24इसका काराण अकबर सिर्फ
41:26महाराज के सामने पेश करना चाहता है
41:28हम तो केवल इतना जानते हैं के
41:32औरंग्जेब के जीते जी
41:34मुगलिया सल्तनत का ताज पहनना चाहता है
41:36और अशुरू के चिंगारी में
41:40भी कम आग नहीं
41:42अवश्य कोई खास बात होगी
41:44वरना
41:46महाराज से स्वैम मिलने का आगरवक क्यों करेगा
41:50उसके इरादों के पीछे
41:52कोई शड़ेंत रवश्य है महाराज
41:54नीलो पंजी सही बोल रहे है महाराज
41:58अकबर आखिर खून तो है औरंग का ही
42:02शमये सजी
42:04पर जब तक मिलेंगे नहीं
42:06तब तक सिर्फ अनुमान लगा सकते हैं
42:08अकबर की प्षाओं का और हमें
42:10करता है कि औरंग्जेब का शत्रू होने के नाते वह हमारे काम
42:14आसकता है
42:16अगर आप मुगलों पर भरोसा जताने लगेंगे
42:18कलश जी तो हमारा भरोसा आपकी ऊपर से उठ जाएगा
42:22जो अपने बाप का नहीं हुआ
42:24वह हमारा क्या होगा
42:26अकबर का आपके करीब आना खत्रे को गले लगाना है
42:34आना तो बोच आ रहा है
42:36जिसे मिलने का न्योता हम स्वयम देख रहे हैं
42:43मुगल सल्तनत का स्थम्भ है बुर्हानपुर
42:47में खड़ाता ही सही
42:49लेकिन औरंग दोड़ता हूँ आरा है हमारे पास
42:53करताए
42:59मुगल
43:03भास भ्लाडर वह सोयवाला
43:05रामता परा भाड अडामा बोलत
43:11वह सोयवाला वह स्वयवाला
43:15वह फुक्ल राजए
43:17ऑुत हलग
43:19यह दरन पास बसेदेगए
43:22सिर्फ औरों के दर्शे नहीं राजे
43:25आठ लाग की फाउच
43:27पचास हजार घोडे
43:29तीस हजार हाती
43:31और करणों की संपती
43:33इतने तगडी फाउच
43:36इत्यास में पहली बर और शायद आखरी बार
43:38किसी को ढूंडने निक लिए
43:39बहिर जी और अंका साया बनकर उसके आसपास रहना
43:50यदि वो आधे रास्ते भटक भी जाए
43:53उसे किसी भी तरह हमारी और मोड़ देना
43:57तब तक उसके सुपत्र की खाते दारी करके आते है
44:01किसी बार अधे बार
44:31उरेजिए सब्सक्वराए कि अढ़ता है

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