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सिंधु जल संधि को सरकार द्वारा स्थगित किए जाने पर बोलते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा कि अगर कोई पानी रोकता है, तो उसे रोकने दो... ये नदियाँ हज़ारों सालों से बह रही हैं, आप उनका पानी कहाँ ले जाएँगे? यह आसान नहीं है। मुझे लगता है कि प्यार का होना चाहिए।
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00:00पानी आज से धोड़े एक कता पता नहीं कितने हजार सार से सतलच, बयास, रावी, चुनाब, जहलुम, बयर हैं, वहां जाकर को दर्यास सिंध बन जाते, आसान है इन दर्याओं कहने जा हुए, आज हम जानते हैं, हम मुसल्मान हैं, हम इस जिन्दगी अपनी जिन्दगी को �
00:30आज से की लोगा मांगर हुआ, आपको लगता है ऐसा कि यह इतना इज़ी है, आसान है कि पानी रोग कीजे, बुल की जाए बजे आपने परेस कांफिरेंस रखके मेरा खाना बंद कर दिया, अब बताओ, जुल्म है जहीं है जुल्म, बहुँजे क्या देना है, पानी को को
01:00आज जाकर कि बुझर यास सिंद बन जाते, आसान है इन दर्याओ को ले जाओए, वे आसान का मेरा, मेरा कोई मतालबा सरकार से नहीं यह पियार और महबत की हकूमत होनी चाहिए, नफरत की हकूमत नहीं होनी चाहिए, आज हम जानते हैं, हम मुसल्मान हैं, हम इस जिंदग
01:30जा रहा है, वो चीज मुलक के लिए, खुद उनके लिए भी तबाह है, आज नहीं हुआ अभी तक, लेकिन अगर ये नफरत की सियासत का दर्वादा खुला रहा, देख लीजेगा, मैं तो बुड़ा आदमी हूँ, कई दिन जिन जिन्दा रहता हूँ, लेकिन ऐसा दिन आ
02:00जितने प्यारो महबभत का आग लगा दी, उसे है, अपने मुलक का आग लगा दी
02:07अगर वो आतंकवादी हैं तो उनके घरों को गिरा दिया गया तो मैं नहीं समिछता हूं को यहाद में इसकी ताहित करेगा
02:30मैं नहीं जानता हूं कि वो आतंकवादी थे अगर वो आतंकवादी थे और सो फीस्द यकीन था उनके घरों को गिरा देना यह हक था कि गिरा दिया जाता बुल्डो के तरह दिया जाता अगर वो नहीं है तो उनके ओपर बुल्डो के खचराना मैं नहीं समझता हूं कि इसकी
03:00झाल, झाल, झाल, झाल.

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