सन 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गुजरात के भुज शहर की महिलाओं ने भी काफी अहम योगदान दिया। जिस दौर में महिलाओं को घर से निकलने पर मनाही थी उस दौरान भुज की इन महिलाओं ने होमगार्ड सर्विस ज्वाइन किया। भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान शहर में ब्लैकआउट कराना हो या फिर घर-घर जाकर लोगों को सचेत करना हो या जागरूक या फिर अन्य प्रशासनिक कामकाज, इन महिलाओं ने देशहित में युद्ध के दौरान वो सभी काम किए।
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00:00सन 1971 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान गुजरात के भुज शेहर की महिलाओं ने भी काफी अहम योगदान दिया
00:14जिस दौरार में महिलाओं को घर से निकलने पर मना ही थी उस दौरान भुज की इन महिलाओं ने होम गार्ड सर्विस ज्वाइन किया
00:21भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान शेहर में ब्लैक आउट कराना हो या फिर घर घर जाकर लोगों को सचेत करना हो या जाग्रूप या पिर अन्य प्रशासनिक कामकाज इन महिलाओं ने देश हित में युद्ध के दौरान वो सभी काम किये
00:35मैं सेवन्टी वन से होमगार्ड में थी और जब युद्ध का माहोल चल रहा था तब लेकाउट थी भुज में इस उस वक्त हम सब महिलाएं शेरी गलियों में गुम के लेकाउट कराती थी
00:55अब घर वाली वस्तियां बहुत गबराई हुई थी फिर भी हम उन्हें हिमत देती थी गबराओं नहीं और पाकिस्तान वालों ने बंबाड किया किया भुज पर एक दिन में सत्रा बंब फैके थे और उस माहोल का जनता का क्या हाल था वो हम सोच के भी हमें गबरा जाते है
01:25कि नोक्री कर रही थी वैसे भी शेवा तो करनी थी तब यहां जे लड़ाई का महलोवा और लड़ाई हुई शुरू उससे पहले हम होमगाड में सामिलो गया थी हमारा पूरा प्लाटून था महिला प्लाटून था होमगाड में तो हम लोग सब जूटी करते हूँ हमको प�
01:55पहले से ट्रेनिंग मिली हुई थी जब लड़ाई हुई उससे पहले हम जॉइंट किया था तो हमको यह ट्रेनिंग हमको बहुत काम आई गरगर में जाके महिलाओं को बाहर निकलना तब टाइम बहुत कठी था उसमें भी जब होमगाड का युनीफॉम पहिन के निकलना व
02:25देश की सेवा के लिए तो काम कर रहे हैं।
02:55सोटे हैं। तो मैंने क्या कर गया।
03:25तब हमारे जो होपिस के जो कादमचारी थे वो हमें बुलाते थे और पोलते थे का आपको आनना पड़े।
03:35तो हम दो किलो मिटर हमारे गदू था। पैदल जाते थे ओपिस में। जब हमको बुलाते हैं।
03:41तब जाते हैं। जाते हैं। जाते हैं। जाते हैं। और खाना तो कुछ हम लेकर खा लेते थे। तब यसा माहल भी नहीं था कि हमको आहां खाना मिल जाए।
03:51मेरी माता थी। वह कच्च की प्रथम मेला हमगाट थी। और उस जमाने में पैंसट की साल में।
04:01जब जवान लड़ाई होई थी। तो उसके बाद जो जवानों घायल होए थे। उनके लिए ब्लेट की ज़रुरत पड़ी। तो भी उन्होंने ब्लेट डॉनेट किया।
04:21के रिपोर्ट के मुताबिक 101 बॉम पड़े थे। लेकिन फिर भी कोई भी मरा नहीं था। आदवी, इंसान, कोई जानवर या कोई चिडिया।
04:34तो ऐसे माहौल में हमारी बैने ने जो काम किया है, उनका जुस्सा था जब। आज भी जुस्सा इतनी बड़ी उमर की बैने सित्तर से आगे बढ़ चुकी है, लेकिन फिर भी उसका जुस्सा वही है।
04:48आज हम भी, मैं भी यही बोलती हूँ, कि मेरी मा ने हमको ऐसी टैनिक दिये, मैं खुद भी एंसी सी की सार्जन रह चुकी हूँ, जब भी देश पर आतकी हुमला हुआ है, कभी भी देश में जरुरत पड़ी है, तब हमारी मैला पहले मोर्चा संभाला है।
05:04आज भी बड़े हो गए हैं, लेकिन फिर भी सब बैनों में इतनी ताकत है कि कुछ नहीं कर सकती, लेकिन आपको एक बल दे सकती है, काम कर सकती है, आज भी हम लड़ने के लिए, अगर हम इन दोन बैनों को हाथ में बंदुक मिल जाए, तो डेफिनेटली वो फायरिंग कर स
05:34हम भी काम करेंगे, हमको भी करना है, इन महिलाओं ने अपने परिवारों के खिलाफ जाकर देश को पहले रखते हुए, 1971 के युद्ध के दौरान अहम योगदान दिया था, जिसके बाद देश हित में दिये गए इस योगदान को देखते हुए, इन महिलाओं को ततकालीन स
06:04करना हम आदाव है çंट इसके उनकित याओं को ओ मैं जायन को देखते हुए, सोगने परिश सेखते हुए, इन महिलाओं को ने गsk