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बगहा के नौरंगिया में सीता नवमी को 12 घंटे के लिए वीरानगी छा जाती है. गांव छोड़ लोग जंगल में शरण लेते हैं. पढ़ें खबर

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00:00बगहा का आदिवासी बहुद नौरग्या गाउं जहां लोगों की अनोखी परंपरा है दरसल यहां के ग्रामीड 12 घंटे के लिए जंगल में वनवास पर चले जाते हैं
00:14सीता नौमी के दिन प्राचीन समय से यह परंपरा निभाई जाती है और पूरा गाउं खाली कर लोग वालमिकी टाइगर रिजर्ब इस्थित भजनी कुट्टी में आ जाते हैं और एक तरह से कहें कि यहां पर पिक्निक मनाते हैं
00:31दरसल कहा यह जाता है कि गाउं में आगजनी होती थी और दैविय प्रकुप होता था लिहाजा उससे निजात के लिए लोग जंगल में माता की शरण में आ जाते हैं
00:46हमारे साथ ग्रामिण मौजूद हैं हम इनसे बात करते हैं कि आखेत 365 दिन में एक दिन 12 घंटे के लिए जंगल में क्यों आते हैं
00:57आजया है पहले मनों फुस्तनियों सही आ जाता के मनों भज़नी कोटी बोले ला पाइला इस लोग भाग भाग के जंगल में आए एक दिन खाती रहा ना आप दिन भार रहे हो आप वे यहां कुल चल जिए उस बिसांज लेगर चल जिए तो ज़र रहे हो आग लाँ खाःे
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01:55Why do has them got hurt?
02:08There are many times, people have not wanted to get hurt for it.
02:14There are many times that are not only remote, these are things that say about us.
02:18What is going on in the village?
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05:16ुपने परंप्रा का निर्वहन दश्कों से करते आ रहे हैं।
05:20जिलिप कुमार गुपता, ETV भारत, बगहां।

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