पैसे की कमी के चलते FIFA वर्ल्ड कप नहीं खेल पाया भारत? जानें सच
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00:00नमस्कार, मैं हूँ AI Anchor Sanah.
00:03भारत फुटबॉल वर्ल्ड कप में भले आज तक हिस्सा नहीं ले पाया हो,
00:07लेकिन आज की पीड़ी के कम ही खेल प्रेमियों को मालूम होगा,
00:10कि एक मौका ऐसा भी आया था, जब भारत फुटबॉल वर्ल्ड कप में हिस्सा ले सकता था.
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00:41दरअसल दूसरे विश्व युद्ध के चलते, 1942 और 1946 में वर्ल्ड कप फुटबॉल का आयोजन नहीं हो सका था.
00:491950 में 12 साल के इंतजार के बाद वर्ल्ड कप का आयोजन होने वाला था.
00:54ब्राजील में होने वाले वर्ल्ड कप के लिए महस 33 देशों ने क्वालिफाइंग राउंड में खेलने पर सहमती जताई थी.
01:01भारत को ग्रुप 10 में बर्मा यानी म्यानमार और फिलिपीन्स के साथ रखा गया था, लेकिन बर्मा और फिलिपीन्स ने नाम वापस ले लिया, जिससे भारत बिना कोई मैच खेले वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाइ कर गया था.
01:14भारत को पूल 3 में स्वीडन, इटली और परागवे के साथ जगह मिली थी.
01:18ये भारत के लिए वर्ल्ड कप में पहली बार खेलने का बड़ा मौका था, उस समय भारतिय फुटबॉल को ज्यादा इंटरनेशनल एक्सपीरियंस नहीं था, लेकिन वो अच्छा खेलने के लिए जानी जाती थी.
01:281948 के लंदन ओलंपिक में भारत ने फ्रांस जैसी मजबूट टीम से सिर्फ एक दो से हार कर अपनी ताकत दिखाई थी.
01:37एहमद खान, S. रमन, M. A. सत्तार और S. मेवालाल जैसे खिलाडी अपने डिबलिंग और आकरामक खेल के लिए मशहूर थे.
01:44कई खिलाडी नंगे पाव खेलते थे, जो उस समय दुनिया में आम था.
01:50फुटबॉल पत्रकार नोभी कपाडिया ने BBC को बताया है कि भारत अपने ग्रुप में स्वीडन के बाद दूसरे नंबर पर रह सकता था,
01:57क्योंकि इटली की टीम कमजोर थी और परागवे का अनुभव कम था.
02:01अब सवाल ये है कि आखिर भारत ने 1950 का FIFA World Cup क्यों नहीं खेला?
02:06क्वालिफाई करने के बावजूद भारत ने 1950 के World Cup से नाम वापस ले लिया था.
02:12इसके कई कारण थे.
02:14AIFF का कारण
02:16All India Football Federation यानि AIFF ने कहा है कि टीम चुनने में प्रॉबलम थी और प्रैक्टिस के लिए समय कम था.
02:24उस समय भारतिय फुटबॉल का और्गनाईजेशन भी मजबूत नहीं था.
02:27नंगे पाउव का मित
02:29कुछ लोग कहते हैं कि फीफा ने नंगे पाउव खेलने की इजाज़त नहीं दी थी.
02:33लेकिन नोवी कपाडिया और जैदीब बसु जैसे एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ये सच नहीं है.
02:38बसु की किताब Box to Box, 75 Years of the Indian Football Team में लिखा है कि कई खिलाडियों के पास स्पाइक्ड बूट थे.
02:47नंगे पाउव खेलना उनकी चॉइस थी.
02:49फीफा की पाबंदी नहीं.
02:511948 के ओलंपिक में भी भारत ने नंगे पाउव खेला था.
02:55बजट की प्रॉब्लम, शुरू में ब्राजील जाने के लिए पैसे की कमी थी.
02:59लेकिन बसू और कपाडिया कहते हैं कि ये प्रॉब्लम हल हो गई थी.
03:03तीन स्टेट लेवल फुटबॉल असोसियेशन्स ने पैसे देने का वादा किया था.
03:07ब्राजील ने भी टीम के ज्यादा तर खर्चे उठाने की बात कही थी.
03:11क्योंकि स्कॉट्लैंड, फ्रांस, तुर्की और चेकोस्लोवाकिया ने नाम वापस ले लिया था.
03:16ब्राजील चाहता था कि गांधी और नहरू के देश की टीम खेले.
03:20मौके की समझ नहोना.
03:22सबसे बड़ा कारण था कि उस समय वर्ल्ड कप का महत्व समझ नहीं आया था.
03:261950 में वर्ल्ड कप आज जितना फेमस नहीं था.
03:30भारत में हौकी टीम ओलंपिक चैंपियन थी, और खेलों में सक्सेस का मतलब यही था.
03:35AIFF और खेलाडियों का ध्यान 1948 ओलंपिक्स और 1951 में दिल्ली में होने वाले एशियन गेम्स पर था, जिसमें भारत होस्ट था.
03:45रूल्स की गलत समझ
03:46FIFA के रूल्स में वर्ल्ड कप खेलने वाले खेलाडी प्रोफेशनल माने जाते थे.
03:51इससे वे ओलंपिक और एशियन गेम्स जैसे एमेचर टूर्नामेंट में नहीं खेल सकते थे.
03:56हंगरी और रूस जैसे देश अपने खिलाडियों को आर्मी मेंबर बता कर इस रूल से बचते थे.
04:01लेकिन भारत के ओफिशल्स को शायद ये जानकारी नहीं थी.
04:04शायद ओलंपिक और एशियन गेम्स से बाहर होने के डर से भारत ने वर्ल्ड कप में हिस्सा नहीं लिया.
04:101950 का फीफा वर्ल्ड कप न खेलना भारत की एक बड़ी गलती थी.
04:15पिछले कई दशकों से ये दुख भारतिय खेल फैंस को सताता है.
04:18हर चार साल में वर्ल्ड कप के समय ये दर्द और बढ़ जाता है.
04:23और्गनाइजेशन की कमिया, गलत प्रायोरिटीज और रूल्स की कम जानकारी ने भारत को फुटबॉल के इस बड़े मंच पर चमकने से रोग दिया.