नमस्कार ..!
गणेश चतुर्थी कैसे शुरू हुआ इस पर कई कथाएं है मगर सबसे तथ्यपूर्ण कथा शिवपुराण की मानी जाती है,
शिवपुराण के अनुसार यह वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपाल बना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिव ने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सके। अन्ततोगत्वा भगवान ने शिव क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया। इससे पार्वती शिव नाराज हो गयी और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की सलाह पर पार्वती की स्तुति करके उन्हें शांत किया। शिवजी के निर्देश पर विष्णुजीउत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया।गणपति उत्सव का इतिहास वैसे तो काफी पुराना है लेकिन इस सालाना घरेलू उत्सव को एक विशाल, संगठित सार्वजनिक आयोजन में तब्दील करने का श्रेय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक लोकमान्य तिलक को जाता है।
रोशनी तरह तरह की झांकियों, फूल मालाओं से सजे मंडप में गणेश चतुर्थी के दिन पूजा अर्चना, मंत्रोच्चार के बाद गणपति स्थापना होती है। यह रस्म षोडशोपचार कहलाती है। भगवान को फूल और दूब चढ़ाए जाते हैं तथा नारियल, खांड, 21 मोदक का भोग लगाया जाता है।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाये !
गणेश चतुर्थी कैसे शुरू हुआ इस पर कई कथाएं है मगर सबसे तथ्यपूर्ण कथा शिवपुराण की मानी जाती है,
शिवपुराण के अनुसार यह वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपाल बना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिव ने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सके। अन्ततोगत्वा भगवान ने शिव क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया। इससे पार्वती शिव नाराज हो गयी और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की सलाह पर पार्वती की स्तुति करके उन्हें शांत किया। शिवजी के निर्देश पर विष्णुजीउत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया।गणपति उत्सव का इतिहास वैसे तो काफी पुराना है लेकिन इस सालाना घरेलू उत्सव को एक विशाल, संगठित सार्वजनिक आयोजन में तब्दील करने का श्रेय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक लोकमान्य तिलक को जाता है।
रोशनी तरह तरह की झांकियों, फूल मालाओं से सजे मंडप में गणेश चतुर्थी के दिन पूजा अर्चना, मंत्रोच्चार के बाद गणपति स्थापना होती है। यह रस्म षोडशोपचार कहलाती है। भगवान को फूल और दूब चढ़ाए जाते हैं तथा नारियल, खांड, 21 मोदक का भोग लगाया जाता है।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाये !
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