06 कुंडली में ये योग बन रहा है तो आपकी जरूर होगी लव मैरिज | Desi Totke - देसी टोटके
ज्योतिष शास्त्र में सप्तम स्थान विवाह का होता है। हिंदू धर्म में 8 प्रकार के विवाह माने गये है ब्रह्मा विवाह को सर्वश्रेष्ट तथा पैशाच विवाह को निकृष्ट विवाह की श्रेणी में रखा गया है। इन में गंधर्व विवाह भी विवाह का एक प्रकार है। गंधर्व विवाह को ही प्रेम विवाह किया जाता है। प्रेम विवाह में वर कन्या अपनी मर्जी से विवाह करते है।
जन्म कुंडली का सप्तम स्थान विवाह स्थान होता है। जब सप्तम या सप्तमेष का सम्बंध 3,5,9,11 और 12वें भाव के मालिक के साथ बनता हैं तब जातक प्रेम विवाह करता है। इन सम्बंधों में दृष्टी युति के अतिरिकत त्रिकोण तथा केंद्र सम्बंधों को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। जन्म कुंडली में ग्रहों की विभिन्न स्थिति कैसे प्रेम विवाह को दर्शाती है आइये जानेंं -:
प्रेम विवाह
ज्योतिष शास्त्र में सप्तम स्थान विवाह का होता है। हिंदू धर्म में 8 प्रकार के विवाह माने गये है ब्रह्मा विवाह को सर्वश्रेष्ट तथा पैशाच विवाह को निकृष्ट विवाह की श्रेणी में रखा गया है। इन में गंधर्व विवाह भी विवाह का एक प्रकार है। गंधर्व विवाह को ही प्रेम विवाह किया जाता है। प्रेम विवाह में वर कन्या अपनी मर्जी से विवाह करते है।
जन्म कुंडली का सप्तम स्थान विवाह स्थान होता है। जब सप्तम या सप्तमेष का सम्बंध 3,5,9,11 और 12वें भाव के मालिक के साथ बनता हैं तब जातक प्रेम विवाह करता है। इन सम्बंधों में दृष्टी युति के अतिरिकत त्रिकोण तथा केंद्र सम्बंधों को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। जन्म कुंडली में ग्रहों की विभिन्न स्थिति कैसे प्रेम विवाह को दर्शाती है आइये जानेंं -:
प्रेम विवाह
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