इंसानियत कहीं-कहीं जन्म लेती है:Motivational thoughts
मेरे पास एक मैसेज आया,कि आज मैं अपने ही घर से बेघर हूँ मेरा गुनाह यही है कि मैं बूढ़ा और लाचार हूँ,मेरे अपनों ने ही मुझे मेरे घर से बेघर कर दिया,जिस दौलत को मैंने सारी जिंदगी अपनों की खुशियों के लिए कमाया आज उन्हीं ने मुझे मेरे ही घर से बेघर कर दिया,मेरे अपने ही घर से मैं आज बेघर होकर दिल्ली में अपने दोस्त के यहाँ उसकी दया पर रह रहा हूँ.क्या इंसान का बूढ़ा होना गुनाह है,क्या बूढ़ा इंसान मॉडर्न नहीं है इसलिए,या फिर किसी पर आश्रित है इसलिए उसके साथ हमारा व्यवहार अन्य लोगों की तुलना में अलग है,अगर देखेंगे तो हमारी उम्र के लोग हमें क्या सिखाएंगे पार्टी करना,घूमना और मस्ती करना,हाँ इस से समय तो कट जाता है पर जिंदगी नहीं क्योंकि जिंदगी जीने के लिए अनुभवों का होना बहुत आवश्यक है और यही वो विरासत है जो हमें मिलती है अपने से बड़ों के जिंदगी भर के अनुभव से.जब मनुष्य इस श्रष्टि में आता है तो वो कई तरह के कानूनों के दायरे में आता है जैसे देश के संविधान का कानून,मानवाधिकार का कानून,कुदरत का कानून,और अंत में मा