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असहनीय प्रसव पीड़ा, नर्सिंग स्टॉफ द्वारा दिया जा रहा उपचार, इसके बाद भी प्रसव का न होना, चिकित्सक को दिखाने पर कॉम्पिलकेशन बताया जाना, जच्चा और बच्चा दोनों की सुरक्षा खतरे में, लॉकडाउन के चलते रैफर करने में और समस्या बढऩा...। ऐसी गंभीर परिस्थिति में चिकित्सक व नर्सिंग स्टॉफ ने हिम्मत जुटाई, साहस दिखाया और सुरक्षित ऑपरेशन कर जच्चा-बच्चा को सुरक्षित किया। यह कहानी है रेनू यादव की। जिसकी स्थिति खाफी खराब हो गई थी। चिकित्सक डॉ. हर्षिता गुप्ता ने परिजनों को समझाया, स्टॉफ ने ब्लड आदि अरेंज किया और फिर बच्चेदानी का ऑपरेशन करते हुए दोनों को सुरक्षित किया।