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iliguri | Project 22 | इंसानी तरक्की और कुदरती खूबसूरती का संगम सिलीगुड़ी शहर

Positive 2 की #KnowAboutMuslimAreas सीरीज़ की बीसवीं कड़ी: सिलीगुड़ी #Siliguri

Positive 2:- गेटवे ऑफ़ नार्थ ईस्ट के नाम से मशहूर सिलीगुड़ी मेट्रो सिटीज में कोलकाता के बाद सबसे बड़ा शहर है। कुदरती नेमतों से मालामाल और इंसानी तरक्की दोनों के मेल का खूबसूरत संगम है सिलीगुड़ी। महानंदा नदी के किनारे और हिमालय के क़दमों में स्थित अपने आप में आइडियल शहर का दर्जा रखता है। सड़क, रेल, हवाई मार्ग हर तरीके से ये शहर पुरे भारत से वेल कनेक्टेड है। देश के दो खूबसूरत हिल स्टेशन दार्जीलिंग और गंगटोक जाने का रास्ता भी सिलीगुड़ी ही है। UNESCO द्वारा विश्व विरासत घोषित टॉय ट्रैन भी सिलीगुड़ी से ही चलती है।

ज्योग्राफिकल तौर पर बेहद अहम यह शहर 1451 sq km में फैला हुआ है। सिलीगुड़ी में 4 विधानसभा हलके और दार्जीलिंग लोकसभा हलका है। इस शहर की आबादी तक़रीबन 7 लाख है जिसमें एक बड़ी आबादी दूसरे राज्यों से आये हुये लोगों की है। पूरी आबादी का लगभग 6 फीसद मुस्लिम समुदाय है। एक वक़्त था जब सिलीगुड़ी शहर अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता था मगर जैसे जैसे यहाँ की आबादी बढ़ रही है इस शहर में प्रदूषण और गंदगी का आलम अपनी चरम सीमा पर पहुंच रहा है।

सिलीगुड़ी शहर में बरसात के मौसम में खूब बारिश होती है जिससे इसकी हरियाली आज भी बरक़रार है मगर धड़ल्ले से हो रहे शहरीकरण में यह कब तक बरकरार रहेगा कहना मुश्किल है। यूँ तो इस शहर में बड़े बड़े नामवर स्कूल कॉलेज है मगर फिर भी अच्छी उच्च शिक्षा के लिए यहाँ के बच्चों को बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है। इस शहर को व्यापारी लोगों की जन्नत भी कहा जा सकता है क्यों कि यहां की फिज़ा में ही धंधा है।

चूँकि यह शहर दार्जीलिंग जिला में पड़ता है और इसका बॉर्डर कई देशों के करीब है तो यह शहर हमेशा राष्ट्र सुरक्षा के लिहाज़ से बहुत अहम रहा है चाहे वो गोर्खालैंड मूवमेंट हो या बांग्लादेश आज़ादी संग्राम हो। 4-5 साल पहले तक जिस शहर को मैं रहने के लिहाज़ से पहले पायदान पर रखता था वो आज के अपने हालात की वजह से टॉप 5 में से भी निकल चुका है।
बाकी सब खैरियत है!!!
Ansar Imran SR

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