प्रदेश में अद्र्धकुशल श्रमिक की न्यूनतम मजदूरी है २३७ रुपए
अद्र्धकुशल श्रमिक की मजदूरी से भी कम मिल रहा इंटर्नशिप भत्ता
10 साल से नहीं बढ़ाया गया है इंटर्नशिप भत्ता
राज्य के विभिन्न पशु चिकित्सा महाविद्यालयों में एक वर्ष की इंटर्नशिप समयावधि के दौरान इंटर्न डॉक्टर्स दिन भर सेवाएं देते हैं। यहां तक कि कोविड के समय ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर भी इन वेटरनरी इंटर्न ने अपनी सेवाएं दीं, काम के दबाब से उन्हें कोई परेशानी नहीं है। इन इटर्न की परेशानी है काम के बदले में मिलने वाला मेहनताना यानी इंटर्नशिप भत्ता, जिसे स्टाइपेंड कहा जाता है। सरकार की ओर से उन्हें 115 रुपए मात्र दिए जाते हैं जो प्रदेश में अद्र्धकुशल श्रमिक की न्यूनतम मजदूरी 237 रुपए से भी कम है। इंटर्नशिप भत्ता बढ़ाने की मांग को लेकर वेटरनरी इंटर्न डॉक्टर व विभिन्न छात्र संगठन पिछले काफी समय से प्रयास कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही।
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