SSDN : Guru Dev Ki Rehmat Ko (Bhajan) :गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है (भजन)
श्री सतगुरु देवाए नमः
बोलो जयकारा बोल मेरे श्री गुरु महाराज की जय
बोल सांचे दरबार की जय
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
मन बिन गुरु-कृपा कें, निश्छल कहां होता है-२,
बिन नजरें-करम जीवन, उज्जवल कहां होता है-२,
बिन रहमतं सतगुरु की, निश्चय कहां आता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
गुरु-कृपा जीवन की,पीड़ा हर लेती है-२,
और नाम की दौलत सें,झोली भर देती हैं-२,
फिर सहज अवस्था कों, सेवक पा जाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
हर जन्म में सेवक कें,निगरान वों होतें है-२,
हर जन्म में अर्जुन कें,रथवान वो होतें है-२,
जों शरणं में आता है,रणं जीत के जाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
प्रभु भाग्य जगातें है, गुरु सन्त मिलाते है-२,
पर नर सें नारायण, गुरुदेव बनातें है-२,
सेवक-जन जड़-पत्थर, सतगुरु र्निमाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
शुभ-रुहों कों दासां, गुरुदेव जगातें है-२,
जब उचित समय आता,चरणों सें लगातें है-२,
लोहा भी छूं करकें,पारस बन जाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
जय सच्चिदानन्द जी
नाम जपिये
बोलो जयकारा बोल मेरे श्री गुरु महाराज की जय
बोल सांचे दरबार की जय
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
मन बिन गुरु-कृपा कें, निश्छल कहां होता है-२,
बिन नजरें-करम जीवन, उज्जवल कहां होता है-२,
बिन रहमतं सतगुरु की, निश्चय कहां आता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
गुरु-कृपा जीवन की,पीड़ा हर लेती है-२,
और नाम की दौलत सें,झोली भर देती हैं-२,
फिर सहज अवस्था कों, सेवक पा जाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
हर जन्म में सेवक कें,निगरान वों होतें है-२,
हर जन्म में अर्जुन कें,रथवान वो होतें है-२,
जों शरणं में आता है,रणं जीत के जाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
प्रभु भाग्य जगातें है, गुरु सन्त मिलाते है-२,
पर नर सें नारायण, गुरुदेव बनातें है-२,
सेवक-जन जड़-पत्थर, सतगुरु र्निमाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
शुभ-रुहों कों दासां, गुरुदेव जगातें है-२,
जब उचित समय आता,चरणों सें लगातें है-२,
लोहा भी छूं करकें,पारस बन जाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
जय सच्चिदानन्द जी
नाम जपिये
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